वेंकटेश बालाजी का महा अभिषेक , चक्र स्नान संपन्न ।
इंदौर : यदि भगवान ने आपको धन दिया है तो धन से, ज्ञान दिया है तो ज्ञान से ,तन दिया है तो तन से सेवा करनी चाहिए। विनम्र व्यक्ति ही अच्छा नेतृत्व कर सकता है। अपने से बड़ों के पद चिन्हो पर चलना छोटो का कर्तव्य है। ब्रह्मोत्सव जैसे उत्सव जिंदगी की कड़ियां जोड़ते हैं और वर्ष भर यही 5 दिन की दवाई हमें ताकत देती है। यदि रावण भगवान राम का विरोध नहीं करता तो राम की शक्तियों का पता संसार को नहीं चलता। जो व्यक्ति दिखावे की जिंदगी जी रहा है वह अपने आप को कष्ट दे रहा है। ये विचार स्वामी श्री केशवाचार्य महाराज ने ब्रह्मोत्सव के समापन अवसर पर श्री पद्मावती वेंकटेश देवस्थान पर भक्तों को दिए अपने आशीर्वचन में व्यक्त किए। युवराज स्वामी यतींद्रचार्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जिसको पाने के बाद कुछ भी पाने की आकांक्षा ना रहे वही भगवत कृपा है और यह कृपा आचार्य के, अपने गुरु के आशीर्वाद से ही प्राप्त होती है। जीवन में सुगमता गुरु आशीर्वाद से प्राप्त होती है। गुरु हमें भवसागर पार करवाता है।
मंदिर समिति के हरकिशन साबू मनोहर सोनी एवं नितिन तापड़िया ने बताया कि शुक्रवार को ब्रह्मोत्सव के अंतिम दिन 11 बजे भगवान बालाजी का महा अभिषेक निज मंदिर में प्रारंभ हुआ। इसमें चिचानी परिवार, रमेश मान्धनिया परिवार एवं राधेश्याम लाहोटी परिवार ने पूजन अर्चन कर प्रभु का आशीर्वाद लिया। दूध ,दही ,केसर, हल्दी, शक्कर एवं पवित्र नदियों के जल का प्रयोग कर 108 रजत कलशों से अभिषेक किया गया साथ ही श्री सूक्त, पुरुष सूक्त का मंत्रोच्चार किया गया। अभिषेक के बाद भगवान का श्रृंगार कर आरती की गई। गोष्टी प्रसाद के साथ अभिषेक तीर्थ प्रसाद का भी वितरण किया गया।इस अवसर पर सुभद्रा बाई साबू , भगवानदास हेडा, मोहित कश्यप ,राजा लड्ढा, प्रदीप साबू, बलराम समदानी, राम हुरकट, राजेंद्र काबरा, अशोक अग्रवाल, हरकचंद बियानी, अनुराधा कश्यप भी मौजूद थे।