इंदौर : राजनीतिक संरक्षण के दम पर गरीबों के अनाज पर डाका डालने वाले राशन माफिया भरत दवे और उनके निकट सहयोगियों का रसूख गरीबों की बददुआ से ही धूल में मिल गया। जिला प्रशासन ने राशन घोटाले का खुलासा करने के बाद काली कमाई से खड़े किए भरत दवे व साथियों के आर्थिक साम्राज्य पर प्रहार करना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में बुधवार को मोतीतबेला मेनरोड स्थित भरत दवे के दफ्तर पर नगर निगम के अमले ने धावा बोला और जेसीबी की मदद से उसे ध्वस्त कर दिया। जिला व पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
मन्दिर की जमीन पर बना था दफ्तर।
सूत्रों के अनुसार राशन माफिया भरत दवे का दफ्तर मन्दिर की जमीन पर अवैध कब्जा कर बनाया गया था। आद्य गौड़ ब्राह्मण ट्रस्ट द्वारा संचालित श्री अंगद हनुमान मंदिर, मोतीतबेला की यह जमीन बताई गई है।
निगम के अमले के साथ रिमूवल की कार्रवाई करने पहुंचे एडीएम अजय देव शर्मा, नगर निगम के अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह, उपायुक्त लता अग्रवाल और पुलिस अधिकारियों से दवे के कतिपय शुभचिंतकों ने तीखी बहस करते हुए कार्रवाई को रुकवाने का प्रयास किया लेकिन भारी पुलिस बल की मौजूदगी के चलते उन्हें पीछे हटना पड़ा। आखिरकार मन्दिर की जमीन पर खड़ा किया गया राशन माफिया भरत दवे का दफ्तर धूल में मिला दिया गया।
अधिकारियों के मुताबिक दस्तावेजों की जांच कर जमीन का कब्जा मन्दिर संचालकों को सौंप दिया जाएगा।
80 लाख के राशन का किया था गबन।
आपको बता दें कि भरत दवे, श्याम दवे, प्रमोद दहिगुडे व उनके साथियों ने कोरोना काल के दौरान पिछले वर्ष अप्रैल से नवम्बर तक राज्य व केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के लिए भेजे गए खाद्यान्न की हेराफेरी करते हुए उसे खुले बाजार में बेच दिया था। जिसकी कीमत करीब 80 लाख रुपए बताई गई है। जिला प्रशासन के मुताबिक 51 हजार से ज्यादा गरीब हितग्राहियों को इसके चलते राशन सामग्री से वंचित रहना पड़ा था। इस मामले में उनकी मदद तत्कालीन प्रभारी जिला खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा ने भी की थी।
बहरहाल, आपदा के समय गरीबों के मुंह का निवाला छीनकर अपनी झोली भरने वाले राशन माफिया भरत दवे, श्याम दवे और अन्य साथी अब गिरफ्तारी से बचने के लिए भागते फिर रहे हैं। दस एफआईआर उनके खिलाफ अब तक दर्ज हो चुकी है। रासुका की कार्रवाई का आदेश कलेक्टर दे चुके हैं। कुल मिलाकर उनका बचना अब नामुमकिन है।