विचार प्रवाह साहित्य मंच ने लघुकथा अधिवेशन आयोजित किया।
पांच वरिष्ठ लघुकथाकार हुए सम्मानित।
इंदौर : लघुकथा जीवंत विधा है, इसका साहित्य में कोई विकल्प नहीं है। देह का आत्मा हो जाना लघुकथा है।
यह बात साहित्य अकादमी, मप्र के निदेशक डाॅ. विकास दवे ने कही। वे विचार प्रवाह साहित्य मंच द्वारा रविवार को इंदौर प्रेस क्लब सभागृह में आयोजित तृतीय लघुकथा अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में अध्यक्षीय उद्बोधन दे रहे थे। सत्र के मुख्य अतिथि वरिष्ठ लघु कथाकार डाॅ. पुरुषोत्तम दुबे ने लघुकथा विधा में मप्र और इंदौर के योगदान का जिक्र करते हुए इंदौर को लघुकथा का इंद्रप्रस्थ बताया।
स्वागत भाषण सुषमा दुबे व संस्था परिचय अर्चना मंडलोई ने दिया।संचालन मुकेश तिवारी ने किया।आभार यशोधरा भटनागर ने माना।
इनका किया गया सम्मान।
इस मौके पर वरिष्ठ लघुकथाकार सतीश राठी (इंदौर) घनश्याम मैथिल (भोपाल), श्रीमती ज्योति जैन (इंदौर), डाॅ. वसुधा गाडगिल (इंदौर) और श्रीमती सुनीता प्रकाश (भोपाल) को सम्मानित किया गया।
लघुकथा में सकारात्मकता पर चिंतन।
अधिवेशन में लघुकथा में सकारात्मकता विषय पर हुए चिंतन सत्र में लघुकथा शोध केंद्र की निदेशक श्रीमती कांता राय ने कहा कि सकारात्मकता साहित्य में इत्र के समान है। साहित्य नकारात्मक नहीं हो सकता, उसमें सकारात्मकता होती ही है। सत्र को वरिष्ठ लघुकथाकार श्रीमती मीरा जैन, संतोष सुपेकर और देवेंद्र सिंह सिसौदिया ने भी संबोधित किया। सत्र संचालन डाॅ. सोनाली नरगुंदे सिंह ने किया। आभार सुषमा व्यास राजनिधि ने माना।
लघुकथाओं का किया पाठ।
लघुकथा पाठ और पुरस्कार वितरण सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ लघुकथाकार डाॅ. योगेंद्रनाथ शुक्ल ने कहा कि साहित्य हदय परिवर्तन की ताकत रखता है। सत्र को वरिष्ठ लेखिका माया बदेका, वरिष्ठ लघुकथाकार घनश्याम मैथिल ने भी संबोधित किया। सत्र का संचालन डाॅ. आरती दुबे ने किया आभार डाॅ. दीपा मनीष व्यास ने माना। मंच पर वरिष्ठ लेखिका माधुरी व्यास और डाॅ. प्रणव श्रोत्रिय भी मौजूद रहे।