लोकतंत्र के लिए खतरा है एआई, बढ़ रहे इसके दुष्प्रभाव

  
Last Updated:  June 24, 2024 " 04:39 pm"

नौकरियों को खत्म कर सकता है एआई।

आनेवाले समय में एआई के हाथ में होगा ट्रिगर।

मानवीय संवेदना और नैतिकता के लिए बड़ा संकट है एआई।

एआई सीखें और औजार की तरह करें उसका इस्तेमाल।

एआई सुविधा या मुसीबत विषय पर बोले अतिथि वक्ता।

भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के दूसरे दिन का तीसरा सत्र।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुविधा या मुसीबत विषय पर वक्ताओं ने दी महत्वपूर्ण जानकारी।

इंदौर : स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के दूसरे दिन का तीसरा और अंतिम सत्र बहुत ही रोचक व ज्ञानवर्धक रहा। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गुण-दोषों पर विस्तार से चर्चा की गई। यह एक ऐसा सत्र था जिसमें मीडियाकर्मियों सहित मीडिया के स्टूडेंट्स और शोधार्थी भी उपस्थित रहे।

“एआई सुविधा य्या मुसीबत” विषय पर रखे गए इस सत्र में डीआरडीओ के महानिदेशक उपेंद्र कुमार, टीवी पत्रकार एआई एक्सपर्ट सुनील प्रभाकर, श्रीधर राव, ज्योति मिश्रा, मुकेश कुमार और विजय त्रिवेदी ने बेबाकी के साथ अपने विचार साझा करते हुए एआई के लाभ,नुकसान और खतरों से अवगत कराया। बताया गया कि एआई का इस्तेमाल एक औजार के रूप में ही किया जाए वहां तक तो ठीक है पर हम इसके गुलाम बन जाएं तो यह तबाही भी ला सकता है।मंच पर स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, रचना जौहरी, संजीव श्रीवास्तव भी मौजूद थे।

लोकतंत्र के लिए खतरा है एआई।

चर्चा सत्र की शुरुआत करते हुए टाइम्स नाऊ नवभारत की वरिष्ठ एंकर और रिपोर्टर ज्योति मिश्रा ने कहा कि एआई मानव निर्मित कृत्रिम ज्ञान है, इसका जो फायदा था वह हम ले रहे हैं लेकिन इसका दुष्प्रभाव भी हमारी ज़िंदगी पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि एआई का उपयोग शिक्षा, कारोबार, उद्योग, शोध, चिकित्सा सहित लगभग सभी क्षेत्रों में होने लगा है पर इसके दुष्प्रभाव भी सामने आ रहे हैं।एंकर ज्योति ने एआई के खतरों से आगाह करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में गृहमंत्री अमित शाह तक का एआई की मदद से फेक वीडियो बनाकर जनता में भ्रम फैलाया गया। एआई की मदद से बड़े – बड़े स्कैम हो रहे हैं। यह हमारी बौद्धिक कुशलता को भी कुंद कर रहा है। इसका दुरुपयोग कर लोगों के साथ ठगी की वारदातें की जा रहीं हैं।

नौकरियों को खत्म कर सकता है एआई।

एंकर ज्योति ने आगे कहा कि एआई दिनों और घंटों का काम सेकंड्स में कर सकता है। इसका बढ़ता उपयोग नौकरियों को खत्म कर सकता है क्योंकि एआई के जरिए 05 लोगों का काम एक ही आदमी कर सकता है। ज्योति मिश्रा ने कहा कि एआई इंसानी दिमाग का विकल्प नहीं बन सकता। इसे सीखें और अपनी व समाज की भलाई में इसका इस्तेमाल करें।

एआई पर नियंत्रण जरूरी।

डीआरडीओ के महानिदेशक उपेंद्र कुमार ने पाॅवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के जरिए अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि एआई मानव मस्तिष्क की उपज है। इसके पास बहुत दिमाग है। यह प्रश्न भी है और उत्तर भी। यह साध्य भी है और साधन भी। यह मित्र भी है और शत्रु भी है। आने वाला समय ऐसा आएगा कि इंसान को कुछ नहीं करना पड़ेगा, सब एआई करेगा। यह एक डॉक्टर है जो इंसान की 520 बीमारियों को बता देगा। एआई एक ऐसा घोड़ा है जो हमें तेजी से दौड़ाता है, लेकिन उस पर कंट्रोल जरूरी है। एआई हमें एक साथ खुशी, उत्तेजना चिंता, अवसाद भी देता है। दुनिया की जितनी जीडीपी है उसकी एक तिहाई राशि एआई पर खर्च हो रही है। इसका मतलब साफ है कि आज एआई के विकास, सुरक्षा और अनुसंधान पर काफी काम हो रहा है। उन्होंने बताया कि एआई आगामी एक हजार या दस हजार वर्ष बाद क्या होगा उसकी भी तथ्यात्मक जानकारी देगा। एआई रोबोटिक सोल्ज़र बना रहा है, जो दुर्गम जगह पर जाकर हमारी सुरक्षा करेगा। उन्होंने कहा एआई को एक यंत्र की तरह यूज करें नहीं तो यह हमारा मालिक बन बैठेगा।

आनेवाले समय में एआई के हाथ में होगा ट्रिगर।

सुदर्शन न्यूज़ के रेजिडेंट एडिटर व चैनल हेड मुकेश कुमार ने कहा कि आने वाले दिनों में जब एआई मनुष्य पर राज करने लगेगा, तब बहुत बुरी स्थिति होगी। अभी तो एआई केवल नौकरियां खा रहा है या मानवीय रोजगार को खत्म कर रहा है। अभी तो किसी को मारने के लिए किसी इंसान को सुपारी दी जाती है लेकिन अब यह सुपारी हथियार को दी जाएगी। अब ट्रिगर इंसान के हाथ मे नहीं एआई के हाथ में होगा। वैसे एआई की शुरुआत शीतयुद्ध के समय से मानी जा सकती है, क्योंकि उस वक्त अमेरिका और सोवियत संघ के मध्य सैनिकों से अधिक तकनीक से युद्ध लड़ा जा रहा था। एआई इतना शक्तिशाली है कि यह दुश्मन देश की मिसाइल को आकाश में उड़ते हुए ही खत्म कर देगा।

एआई नैतिकता के लिए बड़ा संकट।

वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने कहा कि नैतिकता के लिए सबसे बड़ा संकट एआई है।हालांकि नैतिकता को चुनोतियाँ आज और भी विधाएं दे रही है। इसलिए हम सबको नैतिकता बची रहे, इसकी कोशिश करना होगी।

एआई से बड़ी तादाद में रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

वरिष्ठ पत्रकार श्रीधर राव ने कहा कि एआई से आज भले ही नौकरियों को खतरा है लेकिन आने वाले वर्षो में इससे नये रोजगार सृजन होंगे। गूगल 1000 कंटेंट राइटर तलाश रहा है। आज जो एआई के स्टूडेंट है उनके लिए तो एआई कमाई का बेहतर जरिया होगा। जिनकी आवाज अच्छी है उनके लिए भी एआई फायदेमंद साबित होगा। आखिर एआई को भी एक अच्छी आवाज चाहिए। उन्होने आगे कहा कि एआई के कुछ नुकसान भी है क्योंकि यह मानवीय भावनाओं का तिरस्कार कर मानवीय संबंधों को भी खत्म कर देगा।

भस्मासुर साबित हो सकता है एआई।

कोच्चि से आए वरिष्ठ पत्रकार सुनील प्रभाकर ने बताया कि एआई का इस्तेमाल सोच समझकर करें। यह एक दिन भस्मासुर साबित हो सकता है।

अतिथि स्वागत राकेश द्विवेदी,राजेंद्र कोपरगांवकर, जितेंद्र जाखेटिया, सोनाली यादव सन्दीप जोशी, शीतल रॉय, रचना जौहरी, आकाश चौकसे आदि ने किया। प्रतीक चिन्ह संदीप जोशी, मनीष काले, राजकुमार जैन ने प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालन आलोक वाजपेयी ने किया।

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