इंदौर : आमतौर पर ये कहा जाता है की राजनीति समाजसेवा का माध्यम है। हालांकि 90 फीसदी से ज्यादा राजनेता समाजसेवा की बजाय स्व. सेवा को प्राथमिकता देते हैं। बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय उन नेताओं में गिने जाते हैं जिन्होंने समाज सेवा को राजनीति का जरिया बनाया। करीब चार दशक पहले जब उन्होंने राजनीति में पदार्पण किया था, उस दौरान भी वे समाजसेवा को प्राथमिकता देते थे। कामयाबी की सीढियां चढ़ते हुए वे विधायक, मंत्री, महापौर और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तक बन गए पर समाजसेवा का जज्बा आज भी वही है। अपनी क्षमता के अनुसार लोगों की मदद करने में वे कभी पीछे नहीं रहे। खासकर उन लोगों के साथ खुशियां बांटने में उन्होंने कभी कोताही नहीं बरती, जो अपनों के ठुकराए हुए हैं या जिनके साथ कुदरत ने नाइंसाफी की है। यही कारण है कि वे कहीं भी रहें पर रक्षाबंधन और दीपावली की खुशियां आस्था वृद्धाश्रम के बुजुर्गों और नेत्रहीन व मंदबुद्धि बालक – बालिकाओं के साथ मनाना नहीं भूलते। यही बात उन्हें अपने समकालीन नेताओं से अलग करती है।
अमेरिका से लौटकर मनाया रक्षाबंधन।
इस बार रक्षाबंधन के दौरान कैलाश विजयवर्गीय अमेरिका के दौरे पर गए हुए थे पर उन्होंने अपने साथियों को ये संदेश भिजवा दिया था कि वे लौटने के बाद वृद्धाश्रम में जाकर रक्षाबंधन जरूर मनाएंगे। एक दिन पूर्व ही वे वापस आए और शुक्रवार को जन्माष्टमी पर अपना वादा निभाने आस्था वृद्धाश्रम पहुंच गए। पार्षद राजेंद्र राठौर और उनके साथियों ने सारा इंतजाम पहले ही कर रखा था। कैलाश विजयवर्गीय के साथ महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक रमेश मेंदोला, आकाश विजयवर्गीय और निगम सभापति मुन्नालाल यादव भी थे।
बुजुर्गों और बच्चों के साथ खेली अंताक्षरी।
कैलाश विजयवर्गीय ने आश्रम में रह रहे बुजुर्गों से मुलाकात कर उनकी कुशलक्षेम पूछी। बाद में उन्होंने दृष्टिहीन कल्याण संघ की नेत्रहीन बालिकाओं के साथ अंताक्षरी खेली। अहम बात ये रही कि सियासत के मैदान में धुरंधरों को मात देने वाले कैलाश विजयवर्गीय को अंताक्षरी में इन नेत्रहीन बालिकाओं से हार माननी पड़ी। कैलाशजी के हर गीत का जवाब इन बालक – बालिकाओं के पास था। उन्होंने शिद्दत के साथ एक से बढ़कर एक गीत गाकर कैलाश जी द्वारा दी गई हर चुनौती का जवाब प्रभावी ढंग से दिया। गीतों की इस प्रतिस्पर्धा का वहां मौजूद महापौर पुष्यमित्र, विधायक रमेश मेंदोला और आकाश विजयवर्गीय सहित तमाम लोगों ने पूरा लुत्फ उठाया।
बंधवाई राखी, भेंट किए उपहार।
बुजुर्गों और नेत्रहीन बच्चों के साथ अंताक्षरी खेलने के बाद कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला ने आश्रम की महिलाओं व नेत्रहीन बालिकाओं से राखियां बंधवाई और उन्हें मिठाई खिलाकर उपहार भी भेंट किए।
39 बरसों से आ रहें वृद्धाश्रम।
कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जो लोग अपने परिवार से वंचित होकर वृद्धाश्रम में रह रहे हैं, उन्हें हम ये अहसास दिलाने आते हैं कि वे अकेले नहीं हैं, हम उनके साथ हैं। 1983 से वे यहां आ रहे हैं। प्रतिवर्ष रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और दिवाली जैसे महापर्व की खुशियां वे इन बुजुर्गों और दिव्यांगजनों के साथ बांटते हैं, बदले में उनका ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद हमें मिलता है। उनका प्रयास यही रहता है कि यहां रह रहे बुजुर्गों को किसी बात की तकलीफ न हों।