इंदौर : लोक संस्कृति मंच द्वारा संस्कृति मंत्रालय, नगर निगम और अन्य संस्थाओं के सहयोग से लालबाग में आयोजित मालवा उत्सव में लोक संस्कृति के बिखरते रंग लोगों को मोहित कर रहे हैं। मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि जनजातीय नृत्य और लोक कला को समर्पित इस उत्सव में देशभर की लोककलाओं का मंजर दिखाई दे रहा है। इसी के साथ शिल्पकारों के हुनर की बानगी पेश करती नायाब कलाकृतियां, बच्चों और बड़ों के मनोरंजन के लिए लगाए गए झूले- चकरी और अन्य संसाधन यहां आनेवाले इंदौरियों को उत्सवी माहौल की सौगात दे रहे हैं। यही नहीं खानपान के शौकीन इंदौर के लोगों के लिए फ़ूड जोन भी यहां सजाया गया है, जिसमें तमाम स्वादिष्ट व्यंजनों के स्टॉल लगाए गए हैं।
लोकनृत्यों ने बांधा समां।
सोमवार को डिंडोरी से बैगा जनजाति के समूह द्वारा दशहरा से होली तक किया जाने वाला नृत्य घोड़ी पठाई बहुत ही सुंदर बन पड़ा था, जिसमें कलाकारों ने पीला झोंगा, पीला शर्ट, माला, बिछिया, मोर पंख, कलंगी लगाकर नृत्य किया। गोंड जनजाति द्वारा किया जाने वाला नृत्य जो गोवर्धन पूजा के समय दीपावली पर किया जाता है इसमें लोक कलाकारों ने लंबी-लंबी बांसुरी एवं सिंगी वाद्य का उपयोग कर धोती कुर्ता एवं साफे में नृत्य किया । कोरकु जनजाति के कलाकारों ने होली, दीपावली दशहरा एवं हर खुशी के मौके पर किया जाने वाला नृत्य गदली प्रस्तुत किया। स्थानीय कलाकार अंकिता अग्रवाल एवं 15 साथियों ने शिव” वंदना कर्पूर गौरम करुणावतारं” प्रस्तुत की।
ढाल- तलवार नृत्य को खूब मिली दाद।
गुजरात पोरबंदर से आई टीम, जो राष्ट्रीय परेड में 5 बार शामिल हो चुकी हैं और 15 देशों में अपनी प्रस्तुतियां दे चुकी है, ने शानदार ढाल तलवार नृत्य प्रस्तुत किया। यह महर राजपूत जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है इसमें अद्भुत शौर्य रस का नजारा पेश किया गया। यह नृत्य महर राजपूत समाज द्वारा वतन के लिए युद्ध में विजय प्राप्त करने के पश्चात खुशी व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा तेलंगाना का लंबार्डी, माथुरी एवं आंध्र प्रदेश का गरा गल्लू नृत्य भी प्रस्तुत किए गए।
नृत्य प्रस्तुतियों का लुत्फ उठाने के साथ परिवार सहित आए लोगों ने ऊंट की सवारी का भी आनंद लिया।