शिक्षित महिला उन्नत समाज का निर्माण करती है- डॉ.डेविश जैन

  
Last Updated:  March 25, 2021 " 05:24 pm"

इंदौर: एक कहावत है कि “यदि आप किसी पुरुष को शिक्षित करते हैं, तो एक व्यक्ति को ही शिक्षित करेंगे, लेकिन यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं, तो पूरा राष्ट्र शिक्षित होता है।” यह बात आज भी सच है और आने वाली सभी पीढ़ियों में इसकी इतनी ही प्रासंगिकता होगी। इस बात को स्वीकारने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए कि एक शिक्षित, उदार, स्वतंत्र और पेशेवर रूप से सफल महिला पीढ़ियों को आकार दे सकती है। एक ऐसा समाज जो अपनी महिलाओं को शिक्षित और सशक्त बनाता है, एक उन्नत समाज बन सकता है।
शिक्षा पाना पुरुषों के साथ साथ महिलाओं का भी जन्मसिद्ध अधिकार है। अब समय आ गया है की हम सब इस तथ्य को स्वीकार करे। यह प्रेरणादायी उद्बोधन प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ डेविश जैन ने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रायोजित ‘प्रबुद्ध विश्व मिशन के लिए महिलाओं को शिक्षित करना’ विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ई कॉन्फ्रेंस UN क्सव 65 को संबोधित करते हुए कही।
डॉ जैन ने कहा कि ज्ञान और शिक्षा भारत में जन्मी प्रत्येक बालिका का जन्मसिद्ध अधिकार है। लेकिन दुख की बात है कि हमारे समाज के उच्च पितृसत्तात्मक स्वभाव के कारण, देश की अधिकांश महिलाएं इस अधिकार से वंचित हैं। हम अब यह समझने लगे हैं, कि महिलाओं के सक्रिय योगदान के बिना समाज कार्य नहीं कर सकता।
यह हमारा दुर्भाग्य है कि ग्रामीण हिस्सों के साथ साथ भारत के कुछ शहरी इलाकों में भी, महिलाओं को स्वतंत्र निर्णय लेने में अक्षम माना जाता है। एक समाज के रूप में सामूहिक रूप से विकसित होने के लिए, महिलाओं को सशक्त होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा जमीनी स्तर पर महिला सशक्तीकरण के द्वार खोलने की मास्टर कुंजी है।
उन्होंने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में महिला साक्षरता दर पुरुष साक्षरता दर 80% की तुलना में मात्र 65.46% थी। इसलिए हमें इस अंतर को पाटने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। एक समाज के रूप में हम आगे बढ़ने के साथ आर्थिक विकास की अपेक्षाओं को तभी प्राप्त कर सकते हैं जब हमारे देश एवं समाज की महिलाएं शिक्षित होंगी क्योंकि शिक्षा एक नई प्रबुद्ध दुनिया के द्वार खोलती है।
शिक्षा ने महिलाओं को सामान्य व्यवसायों से परे जाने में सक्षम बनाया है। आज, महिलाएं मॉडल, अभिनेता, आर्किटेक्ट, इंजीनियर, पत्रकार, वकील, प्रबंधक, सीईओ, वैज्ञानिक, सेना और पुलिस बलों में शामिल हो रही हैं, और यहां तक ​​की पूरे राष्ट्र को चला रही हैं।
डॉ जैन ने आगे कहा कि उनके प्रेस्टीज शिक्षण समूह में जहां 10,000 से अधिक छात्र एलकेजी से पीएचडी तक की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, कुल छात्रों का लगभग 40 प्रतिशत छात्राएं हैं। प्रेस्टीज शिक्षण समूह में उच्च शिक्षा में कोई लैंगिक असमानता नहीं है। पिछले 26 वर्षों में, बड़ी संख्या में हमारे विभिन्न शिक्षण संस्थानों से निकली छात्राओं ने स्नातक तथा स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारे शिक्षण संस्थानों का गौरव बढ़ाया है।

डॉ जैन ने पैनलिस्टों द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि देश के अन्य शहरों की तरह कोरोना महामारी का इंदौर के शैक्षणिक संस्थानों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि इंदौर, मध्य प्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी के साथ साथ शिक्षा का प्रमुख केंद्र होने के नाते भारत के विभिन्न क्षेत्रों से छात्र एवं छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आकर्षित करता है। इंदौर में कई प्रतिष्ठित सरकारी सहायता प्राप्त और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में लगभग डेढ़ लाख से अधिक छात्र छात्राएं उच्च शिक्षा अध्ययन के लिए हर साल इंदौर आते हैं। पर पिछले एक साल से अधिक समय से कोरोना महामारी के कारण शिक्षण संस्थानों के बंद होने के कारण, बहुसंख्यंक छात्र छात्राएं अपने अपने शहरों एवं गावों को चले गए हैं। इंटरनेट की अनुपलब्धता के कारण इन छात्र छात्राओं को शिक्षण संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे ऑनलाइन शिक्षा का लाभ नहीं प्राप्त होता, जिससे ऐसे छात्रों को पढाई का भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक कोरोना महामारी की देश में नए सिरे से वृद्धि एवं दूसरी लहर के बीच, मध्य प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानों को एक बार फिर 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है। इस विषम परिस्थिति को देखते हुए छात्राओं को उनके माता-पिता को वर्तमान परिस्थितियों में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए इंदौर आने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जिसके के कारण उनकी पढाई में काफी बाधाएं आ रही हैं।

यूनाइटेड नेशन द्वारा आयोजित उच्च शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तीकरण विषय पर आयोजित इस अंतरराष्ट्रिय ई कांफ्रेंस में जोरास्ट्रियन कॉलेज की डॉ.मेहर मास्टर मूस, चन्द्र कृष्णमूर्ति, फिरोजा अबुलोवा, जूलिया मतीश, डॉ सीमा तराला गाला और डॉ. वीणा एडीगे सहित कई विद्वान वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

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