वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों को लेकर कार्यशाला आयोजित

  
Last Updated:  May 7, 2022 " 04:49 pm"

इंदौर : बढ़ता वायु प्रदूषण और उससे मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले घातक प्रभावों को लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र के हितधारक सहभागिता कार्यशाला गुरुवार को आयोजित की गई। कार्यशाला का आयोजन वैश्विक स्वास्थ्य संगठन वाइटल स्ट्रैटेजीज द्वारा ‘क्लीन एयर कैटलिस्टः ए ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर एक्सीलरेटिंग क्लीन एयर सॉल्यूशंस’ के हिस्से के रूप में किया गया था, जिसे यूएसएआईडी द्वारा वित्त पोषित किया गया।

वायु प्रदूषण और उसके दुष्प्रभावों पर केंद्रित रही कार्यशाला।

कार्यशाला के बारे में शुक्रवार को इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में जानकारी दी गई। अमेरिका से आई इन्वायरमेंटल हेल्थ की वाइस प्रेसिडेंट सुमी मेहता, सौरभ पोरवाल, दिल्ली की गुरप्रीत और पर्यावरण विशेषज्ञ दिलीप वाघेला ने बताया कि वाइटल स्ट्रेटेजीज अमेरिका स्थित एनजीओ है, जो वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण, उसके कारण और निदान पर काम कर रही है। भारत में भी यह संस्था स्थानीय एनजीओ के साथ मिलकर वायु प्रदूषण को लेकर अध्ययन, शोध और समाधान पर काम कर रही है। इसी कड़ी में इंदौर में कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में इंदौर के 36 चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों ने शिरकत की। प्रतिभागियों ने वायु प्रदूषण के स्थानीय स्वास्थ्य प्रभावों से संबंधित जानकारी साझा की। वायु प्रदूषण से बच्चों और गरीबी में रहने वाले लोगों पर होनेवाले प्रभाव पर चर्चा की गई। कार्यशाला में डेटा संग्रह, रोगी मार्गदर्शन, अनुसंधान और वकालत जैसी स्वास्थ्य क्षेत्र की गतिविधियों में वायु गुणवत्ता को बेहतर ढंग से एकीकृत करने के अवसरों का भी पता लगाया गया।

वायु प्रदूषण एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है।

अमेरिका से आई सुमी मेहता ने बताया कि इंदौर में खराब वायु गुणवत्ता के कारण होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को दूर करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य समुदाय की, समाधानों के विकास और कार्यान्वयन में सक्रिय भूमिका है।

इन्वायरमेंटल हेल्थ के सौरभ पोरवाल और सामाजिक कार्यकर्ता गुरप्रीत ने बताया कि कार्यशाला में स्वच्छ वायु उत्प्रेरक सलाहकार समिति के सदस्य और एमजीएम कॉलेज इंदौर में पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. सलिल भार्गव, पर्यावरण रक्षा कोष के स्वच्छ वायु उत्प्रेरक के परियोजना प्रबंधक कौशिक हजारिका, कैंसर विशेषज्ञ (ऑन्कोलॉजिस्ट) डॉ. एस.एस.नैय्यर, मध्य प्रदेश स्वैच्छिक स्वास्थ्य संघ के कार्यकारी निदेशक डॉ मुकेश कुमार सिन्हा ने अपने विचार रखते हुए वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए व्यापक प्रयासों की जरूरत पर बल दिया।

भारत में वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से होती हैं लाखों मौतें।

सुमी मेहता और सौरभ पोरवाल ने दावा किया की एक स्टडी में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से हर साल 10 लाख मौतें होती हैं, जबकि मप्र में यह आंकड़ा एक लाख 10 हजार है। हालांकि इस दावे की पुष्टि में उनके पास कोई तथ्यात्मक सबूत नहीं थे। उन्होंने इसे व्यापक संदर्भों के साथ जोड़ते हुए कहा कि हार्ट, कैंसर और फेफड़े खराब होने से होने वाली ज्यादातर मौतों का कनेक्शन वायु प्रदूषण से होता है।

इंदौर में प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से ज्यादा।

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिटायर्ड होकर क्लीन एयर कैटलिस्ट से तकनीकि सलाहकार के रूप में जुड़े दिलीप वाघेला ने कहा कि इंदौर स्वच्छता में नंबर वन जरूर है पर वायु प्रदूषण के मामले में हालात ठीक नहीं है। वैश्विक स्तर पर निर्धारित मानकों से इंदौर में वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा है, जिसे कम करने की जरूरत है।

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