विशेषज्ञों की मदद से इंदौर के किसानों ने तैयार की गेंहूँ की नई किस्म, रंगीन होंगी इस गेहूं की रोटियां…!

  
Last Updated:  February 4, 2021 " 10:33 pm"

इंदौर : जिले के किसानों ने गेंहूँ की ऐसी किस्म तैयार करने में सफलता हासिल की है, जिसकी रोटियां रंगीन बनेगी। ये गेहूं गोल्डन नहीं बल्कि काला, नीला ओर बैंगनी रंग का है। गेहूं का आटा तो सफेद होगा पर रोटियां गुलाबी रंग की बनेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार लंबे प्रयास के बाद इंदौर जिले के किसानों ने वैज्ञानिकों की सहायता से गेहूं की नई किस्म तैयार करने की है। हालांकि इसके लिए सामान्य गेहूं से एक पानी ज्यादा लगेगा, परन्तु पौष्टिक होने के साथ ही इस गेहूं की रोटियां काली, सफेद और गुलाबी रंग की होगी, जो जल्द ही पकाई जा सकेगी। आने वाले समय में यह गेहूं बाजार में दिखाई देने लगेगा। कनक नाम का यह गेहूं आम गेहूं से कई गुना ज्यादा पौष्टिक तो होगा ही, इसमें जामुन, स्ट्रॉबेरी, चुकंदर जैसे फलों से ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट (एनथोसाइनिन) पाया जाता है, जो मानव शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए बहुत आवश्यक होता है। इस गेहूं में यह सभी गुण पर्याप्त मात्रा में हैं। इस गेहूं का उपयोग दिल के रोग, डायबिटिज, कैंसर, मोटापा, कोलेस्ट्राल, तनाव जैसी कई बीमारियों को दूर रखने में सहायक होगा इसके सेवन से रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। किसानों की आमदनी में भी इससे बड़ा इजाफा होगा। गेहूं का वास्तविक नाम (नाबी एमजी) है, जिसे लोग काला गेहूं के नाम से जानते है। विशेषज्ञों के मुताबिक आम गेहूं में पिगमेंट की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है। जबकी काले गेहूं में पिगमेंट की मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है। इसमें जिंक की मात्रा भी अधिक होती है। काला गेहूं की कीमत 3500 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि सामान्य गेहूं का भाव 1900 रुपए से लेकर 2400 रुपए प्रति क्विंटल रहता है। इंदौर में देपालपुर तहसील में शाहपुरा गांव में इसकी खेती बड़े पैमाने पर शुरू हो गई है। खरगोन जिले के कसरावद के 12 गांवों में इसकी खेती की जा रही है। किसान रोशन सेन आरगेनिक खेती कर रहे है। काले गेहूं के लिए इन्होंने दो बीघा जमीन अलग से आरक्षित कर रखी है। इनका मानना हैं कि काले गेहूं की पैदावर सामान्य गेहूं से कम होती है, वहीं इसमें खर्च अधिक होता है। जबकि इसे बोने और दवाई के छिड़काव की प्रोसेस एक जैसी ही हैं। बावजूद इसके काले गेहूं में पौष्टिकता अधिक होती हैं, जबकि सामान्य गेहूं में गुणवत्ता कम पाई जाती है। इस गेहूं का प्रचार अभी प्रारंभ नहीं हुआ है। इसे प्रयोग के तौर पर ही किसान खरीद और बेच रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से काले गेहूं को अभी किसान ही खरीद रहे हैं और किसान ही बेच रहे हैं।

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