वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग में 01जुलाई से प्रारंभ होगा ब्रह्मोत्सव और रथयात्रा महोत्सव

  
Last Updated:  June 30, 2024 " 01:03 am"

ध्वजारोहण के साथ होगी ब्रह्मोत्सव की शुरुआत।

सातों दिन होंगे विभिन्न धार्मिक उत्सव।

मनोहारी फूल बंगले में प्रभु वेंकटेश देंगे दिव्य दर्शन।

भव्य रथयात्रा के साथ होगा सात दिवसीय महोत्सव का समापन।

इंदौर : श्री लक्ष्मी – वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग में पारंपरिक ब्रह्मोत्सव एवं रथयात्रा महोत्सव का आयोजन 01 से 07 जुलाई 2024 तक किया जाएगा। इस दौरान रामानुज स्वामीजी की सवारी, भगवती महालक्ष्मी और प्रभु वेंकटेश का महाभिषेक, मां की कुमकुम अर्चना, वसंतोत्सव, तिरुपाड़ा उत्सव, प्रभु वेंकटेश का विवाह, मनोहारी पुष्प बंगला जैसे कार्यक्रम संपन्न होंगे। महोत्सव का समापन भव्य रथयात्रा के साथ होगा। इस मौके पर प्रभु वेंकटेश रजत रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। पूरे महोत्सव में पर्यावरण, जल संरक्षण और मां अहिल्या की 300 वी जयंती के साथ अयोध्या के श्रीराम मंदिर की भी झलक दिखेगी।

ये जानकारी रामानुजाचार्य नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णु प्रपन्नाचार्य महाराज ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए दी।मंदिर ट्रस्ट के मंत्री रवींद्र धूत, आयोजन समिति के सत्यनारायण शर्मा, विष्णु बिंदल, टीसी गर्ग, महेंद्र नीमा, रंगेश बियाणी, सुमित मंत्री, दिनेश माहेश्वरी, विजय हेडा, शरद पसारी, केदारमल जाखेटिया, बालकिशन सिंगी,कैलाश मुंगड़ और पंकज तोतला भी मौजूद रहे।

स्वामी श्री विष्णु प्रपन्नाचार्य महाराज ने बताया कि इस वर्ष उत्तर तोताद्री मठ के प्रमुख वानमामले जीयर स्वामीजी इंदौर आकर ब्रह्मोत्सव के दौरान श्रद्धालुओं को आशीर्वचन प्रदान करेंगे।

सात दिवसीय महोत्सव में ये होंगे कार्यक्रम।

नागोरिया पीठाधीश्वर ने बताया कि महोत्सव की पूर्व संध्या पर रविवार 30 जून को महिला मंडल द्वारा सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा। इसी के साथ शाम को विश्वक सेन पूजन की विधि भी संपन्न होगी।

पहले दिन होगा ध्वजारोहण।

उन्होंने बताया कि महोत्सव का औपचारिक शुभारंभ सोमवार, 01 जुलाई को ध्वाजारोहण के साथ होगा। दक्षिण भारत से पधारे भट्टर स्वामी की टीम देवस्थान स्थित स्वर्ण खम्ब पर भगवान गरुड़ का ध्वज चढ़ाया जाएगा।इस मौके पर नादस्वरम यंत्र की धुन भी गुंजायमान होगी।

दूसरे दिन भगवती महालक्ष्मी की होगी कुमकुम अर्चना।

प्रचार प्रमुख पंकज तोतला ने बताया कि महोत्सव के दूसरे दिन 02 जुलाई को भगवती श्री महालक्ष्मी का महाभिषेक और कुमकुम अर्चना होगी। माता महालक्ष्मी की स्वर्ण मंगलगिरी पर शोभायात्रा निकलेगी और भजनों की प्रस्तुति भी दी जाएगी।

03 जुलाई को निकलेगी छोटी रथयात्रा।

महोत्सव के तहत 03 जुलाई को प्रभु वेंकटेश का रजत कलशों से महाभिषेक होगा। बाद में संतों के प्रवचन होंगे। रात में भगवान वेंकटेश की छोटी रथयात्रा निकलेगी। प्रभु वेंकटेश हनुमान वाहन पर सवार होकर पूरे लवाजमें के साथ भ्रमण पर निकलेंगे। यह छोटी रथयात्रा छत्रीबाग क्षेत्र में घूमेगी और पुनः मंदिर पर आकर समाप्त होगी।

04 जुलाई को मनेगा तिरुपावडा और वसंतोत्सव।

महोत्सव में 04 जुलाई को दक्षिण भारतीय पद्धति के अनुरूप तिरुपावड़ा और वसंतोत्सव मनाया जाएगा। वसंतोत्सव में प्रभु वेंकटेश का चंदन पाउडर, हल्दी, आंवला, अरिठा आदि से महाभिषेक किया जाएगा। इसके बाद भगवान के तिरुपावडा दर्शन होंगे, इसके तहत इमली के चावल से प्रभु वेंकटेश का श्रृंगार किया जाएगा। प्रभु वेंकटेश के दिव्य दर्शन के बाद भक्तों में इमली चावल का प्रसाद के रूप में वितरण किया जाएगा।

धूमधाम से मनेगा प्रभु वेंकटेश का विवाहोत्सव।

ब्रह्मोत्सव के तहत 05 जुलाई को प्रभु वेंकटेश का कल्याण उत्सव (विवाहोत्सव) मनाया जाएगा। इस दिन सुबह प्रभु वेंकटेश की बारात निकलेगी और देवी भगवती के साथ विवाह की सभी रस्में संपन्न होंगी। संध्यकाल में परकाल स्वामी की लीला का सुंदर चित्रण होगा।

06 जुलाई को सजेगा मनोहारी पुष्प बंगला।

सात दिवसीय महोत्सव के छठे दिन वेंकटेश देवस्थान में वृंदावन के कलाकार दिव्य पुष्प बंगले का निर्माण करेंगे। इस मनोहारी पुष्प बंगले के बीच प्रभु वेंकटेश के दिव्य दर्शन श्रद्धालु कर सकेंगे।

07 जुलाई को निकलेगी भव्य रथयात्रा।

प्रचार प्रमुख पंकज तोतला ने बताया कि महोत्सव के अंतिम दिन भव्य रथयात्रा निकाली जाएगी। प्रभु वेंकटेश रजत रथ पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देने नगर भ्रमण पर निकलेंगे। प्रभु के रथ को श्रद्धालु अपने हाथों से खींचते हुए चलेंगे। रथयात्रा में शामिल झांकियों के माध्यम से प्रभु भक्ति, गौ माता, मां अहिल्या का 300 वा जयंती वर्ष, हरियाली और जल संरक्षण की झलक दिखाई जाएगी।रथयात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए पुनः मंदिर पहुंचकर समाप्त होगी।

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