इंदौर : मप्र श्रम एवं औद्योगिक न्यायालय अभिभाषक संघ के अध्यक्ष गिरीश पटवर्धन और अन्य पदाधिकारियों ने प्रदेश सरकार द्वारा औद्योगिक न्यायाधिकरण का गठन किए जाने पर ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि औद्योगिक संबंध कोड अधिनियम की धारा 44 के तहत औद्योगिक न्यायाधिकरण का गठन प्रस्तावित है। इसी अधिनियम की धारा 51 के अनुसार औद्योगिक विवाद के जो प्रकरण श्रम न्यायालय में लंबित हैं, वो औद्योगिक न्यायाधिकरण में ट्रांसफर हो जाएंगे। ऐसे में श्रम न्यायालय का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
श्री पटवर्धन के मुताबिक कोड ऑन वेजेस की धारा 45 के तहत किसी राजपत्रित अधिकारी को अथॉरिटी बनाने का प्रावधान है। जबकि न्यायिक सेवा के ऐसे व्यक्ति अथवा अधिवक्ता को अथॉरिटी बनाया जाना चाहिए, जिसे औद्योगिक कानूनों की जानकारी होने के साथ औद्योगिक संबंध व मानव संसाधन विकास जैसे क्षेत्रों का अनुभव हो। प्रशासकीय अधिकारियों के पास वैसे भी कई जिम्मेदारियां होती हैं, ऐसे में उन्हें न्यायिक जिम्मेदारी देने से पक्षकारों का हित प्रभावित होगा। उनके मामलों की सुनवाई में भी विलंब होगा। ऐसे में श्रम न्यायालयों को समाप्त करने का प्रयास मजदूरों को न्याय से वंचित करने जैसा है। उनके हितों की रक्षा के लिए श्रम न्यायालयों का अस्तित्व बरकरार रखना आवश्यक है। सरकार को इस दिशा में उचित कदम उठाने चाहिए।
श्रम न्यायालय के अस्तित्व को समाप्त करने के प्रयासों का अभिभाषकों ने किया विरोध
Last Updated: December 19, 2020 " 02:01 pm"
Facebook Comments