इंदौर प्रेस क्लब द्वारा शहर के यातायात को लेकर आयोजित ‘संवाद’ कार्यक्रम में प्रबुद्धजनों ने दिए सुझाव।
इंदौर : यातायात विभाग पीक अवर में चालानी कार्रवाई करने की बजाय ट्रैफिक सुधारने और उसके प्रबंधन पर ध्यान दें। पैदल और साइकिल पर चलने वालों के लिए अलग से पथ मार्ग बनाए जाएं। सियागंज, लोहामंडी, अनाज मंडी, कृषि मंडी को शहर के मध्य से बाहर की ओर शिफ्ट किया जाए। सप्ताह में एक दिन पैदल चलें या साइकिल चलाएं। दुकानदार अपना माल दुकान के बाहर न रखें। वाहन चालक अनावश्यक हॉर्न न बजाए। शहर का सारा विकास पूर्वी क्षेत्र में न हों, पश्चिमी क्षेत्र में भी विकास होना चाहिए। ठेले वालों के लिए हॉकर्स जोन बनाए जाना चाहिए। ये सारे सुझाव विभिन संस्थाओं के प्रतिनिधियों एवं प्रबुद्धजनों के हैं, जो उन्होंने इंदौर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित ‘बेहाल यातायात से जूझता देश का सबसे स्वच्छ शहर’ विषय पर आयोजित रचनात्मक संवाद में व्यक्त किए। इस मौके पर एक फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया, जिसमें बताया गया कि वाहन चालक किस तरह यातायात के नियमों को तोड़ते हैं।
इस मौके पर नवागत डीआईजी मनीष कपूरिया विशेष रूप से उपस्थित थे।
प्राप्त सुझावों पर होगा अमल।
श्री कपूरिया ने इंदौर प्रेस क्लब का आभार मानते हुए कहा कि यह एक सार्थक पहल है। जो सुझाव मिले हैं, वह काफी महत्वपूर्ण हैं, उनका क्रियान्वयन तत्काल शुरू किया जाएगा। शुरुआत उन कार्यों से की जाएगी, जो शीघ्र और आसानी से किए जा सकें। श्री कपूरिया ने कहा कि 15 दिन बाद इसी तरह सामूहिक रूप से बैठक कर इसकी विस्तृत समीक्षा करेंगे और आगे की कार्ययोजना बनाएंगे। उन्होंने कहा कि यातायात सुधार में मानवीय संवेदनाओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि जब इंदौर स्वच्छता के मामले में चौका लगा सकता है और पंच लगना भी तय है, तो फिर इंदौर यातायात में देशभर में नंबर वन क्यों नहीं बन सकता। इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा और तमाम नोडल एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करना होगा। इतना बड़ा सुधार किसी एक व्यक्ति या संस्था के लिए संभव नहीं है। हमें सभी लोगों को साथ में लेकर और सकारात्मक सोच के साथ चलना होगा, तभी इंदौर शहर यातायात के मामले में नंबर वन बन सकता है।
लोगों का मानस बदलने की जरूरत।
वरिष्ठ अभिभाषक एवं सामाजिक कार्यकर्ता अनिल त्रिवेदी ने कहा कि यातायात समस्या में सुधार स्व-अनुशासन से होगा। हमें लोगों का मानस बदलना पड़ेगा। हालांकि इसमें समय लगेगा, लेकिन बदलाव जरूर आएगा। ट्रैफिक समस्या को समृद्ध लोगों ने और पेचीदा किया है। राजवाड़ा से तीन किलोमीटर का दायरा पुराना इंदौर है और सबसे ज्यादा यातायात का दबाव भी इसी क्षेत्र में है। जवाहर मार्ग ट्रैफिक में अराजकता का समुद्र बना हुआ है। हमने रिंग रोड और बायपास तो बना लिए, लेकिन अब वहां फ्लायओवर बनाए जा रहे हैं। ऐसी गलतियां आगे नहीं होना चाहिए। यातायात सिग्नल बोर्ड पर राजनीतिक दल अपने पोस्टर और बैनर लगा देते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए।
मधुमिलन से छावनी तक का मार्ग हो एकांगी।
वरिष्ठ अभिभाषक अजय बागडिय़ा ने कहा कि वर्ष 2019 के मुताबिक इंदौर में एक हजार की आबादी पर 560 वाहन थे। ये संख्या बढ़ती ही जा रही है, जो चिंता का विषय है। मधुमिलन चौराहे से छावनी तक एकांगी मार्ग कर दिया जाए तो इससे यातायात व्यवस्थित हो सकता है।
चारों दिशाओं में आईएसबीटी की है।जरूरत।
पूर्व निगमायुक्त सी.बी. सिंह ने कहा कि शहर में चौराहों पर लेफ्ट टर्न बनने का कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन वहां आसपास में दुकानें लग जाती हैं, जिससे बार-बार यातायात बाधित होता है। बढ़ती जनसंख्या और शहर के फैलाव को देखते हुए शहर के चारों कोनों पर आईएसबीटी स्थापित किए जाने की जरूरत है। ट्रैफिक सुधारने की जिम्मेदारी किसी एक एजेंसी की नहीं है, यह सबकी है। बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए एक फंड बनाए जाने की आवश्यकता है।
मेट्रो पर जल्द हो काम।
पूर्व यातायात एडीशनल एसपी आर.एस. राणावत ने कहा कि शहर में अधिक से अधिक फुट ब्रिज बनाए जाएं। मेट्रो ट्रेन और मोनो रेल की कल्पना को जल्द ही साकार किया जाए। ट्रैफिक पाइंट पर ग्रीन सिग्नल का समय अधिक बढ़ाया जाए। अच्छा ट्रैफिक वही है, जहां वाहन सुगमता से वाहन चलें और दुर्घटना न हो।
मंडियों को शहर से बाहर किया जाए शिफ्ट।
ट्रैफिक एक्सपर्ट प्रफुल्ल जोशी ने कहा कि हमारे शहर के ट्रैफिक का सारा प्रबंधन मध्य क्षेत्र के तीन किलोमीटर क्षेत्र में कायम है। अगर इसे सुधार लिया तो पूरे शहर में यातायात सुचारू हो जाएगा। श्री जोशी ने शहर के मध्य में स्थापित सियागंज, रेडिमेड वस्त्र निर्माता और लोहा मंडी, जिन्हें शहर के बाहर वैकल्पिक स्थान दिया जा चुका है, वहां तत्काल शिफ्ट करने का सुझाव दिया। साथ ही उन्होंने अंडरपास बनाए जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
पश्चिम क्षेत्र के विकास पर भी हो ध्यान।
सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने कहा कि पश्चिम क्षेत्र में कोई विकास नहीं होने से शहर पश्चिम से पूर्व की ओर भागता है। यहां तक कि जिला न्यायालय भी पूर्वी क्षेत्र में बनने जा रहा है। शहर में 26 लाख वाहन हैं। किसी समय इंदौर में 29 हजार साइकिलें होती थीं आज तो एक ही वर्ष में 32 हजार चार पहिया वाहन सड़कों पर आ रहे हैं। बेहतर होगा कि हम महात्मा गांधी रोटरी को छोटी करें। उन्होंने कहा कि मधुमिलन चौराहे, नेहरू प्रतिमा की रोटरी है, जहां कभी भी ट्रैफिक जाम नहीं होता, ऐसी स्थिति हर चौराहे पर हो। यातायात विभाग 50 करोड़ के चालान सालान काटता है, लेकिन ट्रैफिक सुधार पर बहुत कम खर्चा होता है। नगर निगम को भी बड़ी राशि राजस्व के रूप में मिलती है, लेकिन वह भी ट्रैफिक पर खर्च कम करती है। यदि जवाहर मार्ग पर चार पहिया वाहन पार्किंग प्रतिबंधित कर दी जाए और यहां दो वाहनों की पार्किंग एक दिन दाएं और एक दिन बाएं कर दी जाए तो यहां होने वाले ट्रैफिक जाम की समस्या से कुछ हद तक निपटा जा सकता है।
जनभागीदारी से ही सुधरेगा यातायात।
इंदौरवाले एप के संपादक और आईटी एक्सपर्ट समीर शर्मा ने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनशक्ति से ही इंदौर सफाई में चार बार नंबर वन बना। यही सोच इंदौर को यातायात में नंबर वन बनाने में अपनानी होगी। यह आयोजन एक इवेंट बनकर न रह जाए। जनता की सहभागिता से शहर की यातायात समस्या दूर हो सकती है।
भोपू एप की को-फाउंडर अनुपम खरे ने उनके एप द्वारा ट्रैफिक सुधार के संबंध में शहर के विभिन्न इलाकों में रहने वाले अलग-अलग वर्ग से सुझाव आमंत्रित किए थे। इन सुझावों को एक दस्तावेज के रूप में डीआईजी श्री कपूरिया भेंट किया।
वाहनों के लिए हो लेन सिस्टम।
सामाजिक कार्यकर्ता रमेश शर्मा ने कहा कि फोरलेन और सिक्सलेन पर तेज गति से चलने वाले वाहन, मध्यम गति से चलने वाले वाहन और धीमी गति से चलने वाले वाहनों के लिए चिह्नित किए जाएं। दो पाहिया वाहनों से अधिक दुर्घटना होती है। शहर में एक-दो ऐसे आदर्श मार्ग बनाए जाएं, जहां सभी वाहन चालक कतारबद्ध चलने की आदत बनाएं।
हॉकर्स जोन बनाएं।
सामाजिक कार्यकर्ता रामेश्वर गुप्ता ने कहा कि शहर में हॉकर झोन बनाए जाएं और यातायात संकेतकों को सुव्यवस्थित करें।
पीक अवर्स में न बनाएं चालान।
इंदौर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि यातायात विभाग चालानी कार्रवाई पीक अवर में नहीं करे। छोटे शहर में वाहन चालकों को हेलमेट लगाना अनिवार्य नहीं करे।
ट्रैफिक सुधार की वैज्ञानिक पद्धति हो लागू।
सेवा सुरभि के अध्यक्ष ओम नरेडा ने कहा कि रीगल स्थित गांधी प्रतिमा की रोटरी को छोटा किया जाए। ट्रैफिक समस्या सुधार के लिए कोई वैज्ञानिक पद्धति नहीं है, इस पर काम हो। जवाहर मार्ग को एकांगी मार्ग किया जाना चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा गौर ने कहा कि ट्रैफिक पुलिस कहीं भी खड़े होकर चालानी कार्रवाई तो करती है, लेकिन ट्रैफिक सुधार में ध्यान नहीं देती। चौराहों पर वाहन चालक अनावश्यक हॉर्न बजाते रहते हैं, इसके लिए उन्हें जागरूक करने की जरूरत है।
संस्था रूपांकन के अशोक दुबे ने कहा कि एक ठेलेवाला सड़क पर यदि निकलता है तो वह अपना पूरा घर लेकर निकलता है। हमें उसकी चिंता भी करना पड़ेगी। हॉकर्स जोन की बातें तो कई सालों से हो रही हैं, लेकिन इसका क्रियान्वयन कभी नहीं हुआ, जबकि यह शहर के लिए अत्यधिक जरूरी है। साइकिल चालक और पैदल चलने वालों की भी चिंता आवश्यक है।
प्रेस क्लब सभागार में संस्था रूपांकन द्वारा यातायात को लेकर प्रदर्शनी भी लगाई गई।
चालान बनाने पर ज्यादा ध्यान होता है पुलिसकर्मियों का।
वरिष्ठ पत्रकार तपेन्द्र सुगंधी ने कहा कि यातायात कर्मी का ध्यान ट्रैफिक सुधारने कम, चालान बनाने में ज्यादा होता है। इसी चालानी कार्रवाई के कारण बार-बार यातायात बाधित होता है।
सामाजिक कार्यकर्ता
साधना सोडानी ने कहा कि सबसे अधिक यंगस्टर यातायात के नियम तोड़ते हैं। अत: उन्हें प्रशिक्षण देने की जरूरत है। यातायात पुलिस एनजीओ के माध्यम यह कार्य कर सकती है। नागरिक सप्ताह में एक दिन वाहन चलाने के बजाए साइकिल का उपयोग करें।
अतिक्रमण मुक्त हो प्रमुख मार्ग।
सराफा व्यापारी एसोसिएशन के सचिव अविनाश ने कहा कि राजवाड़ा से पीपली बाजार तक के रोड़ को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए। पीपली बाजार चौराहे पर सड़क पर खाने वालों से यातायात बाधित होता है। इसके लिए अभियान चलाकार सड़क पर खाने वालों को समझाइश दी जाए और पैकिंग की सुविधा दी जाए।
आरटीओ में रजिस्टर्ड हो वाहन चालकों के मोबाइल नम्बर।
पूर्व डीएसपी हेमेन्द्रसिंह गौड़ ने कहा कि शहर में कई आटो बगैर परमिट के चल रहे हैं। ऐसे वाहनों के नंबर बड़े अक्षरों में लिखे जाएं, ताकि वह पकड़ में आ जाएं। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालक चालान नहीं भरते हैं, ऐसे वाहन चालकों के मोबाइल नंबर भी आरटीओ के पास रजिस्टर्ड होना चाहिए, ताकि इनसे चालान की राशि वसूली जा सके।
वरिष्ठ साहित्यकार सुश्री सुषमा दुबे ने कहा कि यातायात के लिए मॉनिटरिंग के साथ ही मैनपावर की भी आवश्यकता है।
साफ्टवेयर इंजीनियर रोहन शर्मा ने कहा कि वाहनों के हॉर्न बजाने की सीमा हो। ताकि वे एक समय बाद स्वत: ही बंद हो जाएं और वाहन चालक को यह बदलना पड़े, जिसका आर्थिक बोझ आएगा तो वह हॉर्न का उपयोग कम करेंगे।
इंदौर कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि दांगी ने कहा कि शहर का सबसे व्यस्त चौराहा भंवरकुआं है। जहां पर सर्वाधिक कोचिंग इंस्टीट्यूट और शिक्षा संस्थान हैं, जबकि अधिकांश विद्यार्थी वाहनों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। यातायात विभाग को ट्रैफिक व्यवस्था सुधारना है तो इसकी शुरुआत सबसे पहले भंवरकुआं चौराहे से करना चाहिए, क्योंकि यहां यातायात का सबसे ज्यादा दबाब रहता है।
कार्यक्रम का संचालन इंदौर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी ने किया। कार्यक्रम में प्रेस क्लब महासचिव हेमन्त शर्मा, उपाध्यक्ष दीपक कर्दम, कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी, कार्यकारिणी सदस्य सर्वश्री राहुल वावीकर, अभय तिवारी, विपिन नीमा, नेताजी मोहिते, लक्ष्मीनारायण कसेरा, वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी, रोहित तिवारी, महेन्द्रसिंह सोनगिरा, प्रियंका कौशल, पीयूष पारे, अरुण त्रिवेदी, संजय अग्रवाल, स्वदेश गौर, राजेन्द्र कोपरगांवकर, विशाल यादव, विकास जायसवाल, राजीव थाडा, मुकेश भार्गव सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।