भारतीय पत्रकारिता महोत्सव।
वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कुमार अष्ठाना का किया गया अभिनंदन।
इन्दौर : हमारे यहां चेहरे की नहीं, चरित्र की पूजा होती है, इसीलिए श्रीराम पूजे जाते हैं। यही कारण है कि भारतीय पत्रकारिता महोत्सव देश की दिग्गज हस्तियां राजेन्द्र माथुर, प्रभाष जोशी, शरद जोशी, राहुल बारपुते, माणिकचंद वाजपेयी को समर्पित है, क्योंकि उनका चरित्र उज्जवल था और उनकी पत्रकारिता खरी और प्रतिबद्ध थी। पत्रकार देश का शिल्पकार होता है। वह समाज को आईना दिखाता है। ये विचार राष्ट्रसंत उत्तम स्वामी के हैं, जो उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कुमार अष्ठाना के अभिनंदन समारोह में व्यक्त किए।
सत्य को उदघाटित करने वाला ही सच्चा पत्रकार।
आईजी हरिनारायणचारी मिश्र ने कहा कि जो सत्य को उद्घाटित करता है और मोमबत्ती की तरह जलता है वही पत्रकार है। इन्दौर के पत्रकारों ने देश में अपने अनूठी छाप बनाई है।
स्टेट प्रेस क्लब, इन्दौर के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल ने कहा कि इन्दौर के लिए विशेष दिन है, क्योंकि प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पत्रकारिता की हस्तियां राजेन्द्र माथुर, प्रभाष जोशी, शरद जोशी, राहुल बारपुते, माणिकचंद वाजपेयी पर डाक टिकट जारी कर इन्दौर और पत्रकारिता दोनों का मान बढ़ाया है।
प्रगति और देश की मीडिया विषय पर टॉक-शो।
टॉक शो में वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र राय (नईदिल्ली) ने भगवान बुद्ध से लेकर वर्तमान पत्रकारिता के उतार-चढ़ाव को रेखांकित करते हुए कहा कि जीयो और जीनें दो की पत्रकारिता होना चाहिए। आज जिसके पास सबसे अधिक डाटा और कंटेन्ट होंगे वही सबसे बड़ा कहलाएगा। आज दुनिया के 100 देशों से ज्यादा अमेरिका की पाँच कम्पनियों के पास सम्पत्ति है। सूचना क्रांति में हमें मनुष्यता को बचाकर रखने की जरूरत है। वरिष्ठ पत्रकार जे.पी. दीवान (दिल्ली) ने कहा कि कृषि की अर्थव्यवस्था में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। पत्रकारों को चाहिए कि इसे सही रूप में प्रेजेन्ट करें, ताकि सरकार को भी राजस्व मिले। कृषि मेें जितनी अधिक तकनीक बढ़ेगी उतना ही सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा। संजीव आचार्य ने कहा कि राष्ट्र की प्रगति में पत्रकारिता का बहुत बड़ा योगदान है। इसे नकारा नहीं जा सकता। अतिथि स्वागत अर्पण जैन, सोनाली यादव, पंकज क्षीरसागर ने किया। अतिथियों को प्रतीक चिन्ह सत्यजीत शिवणेंकर, आकाश चौकसे, सुदेश तिवारी, अश्विन मिश्रा, कमल कस्तूरी ने प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालन संजय रोकड़े ने किया। अंत में आभार डॉ. अर्पण जैन ने माना।