पर्व की खुशियां किसतरह एक पल में मातम में बदल जाती हैं इसका नजारा अमृतसर हादसे में दिखाई दिया, कहाँ तो लोग रावण दहन का मजा लेते हुए हर्षध्वनि कर रहे थे उसी समय एक ट्रेन धड़धड़ाते हुए वहां से गुजरी, बमुश्किल 5 से 10 सेकंड में ट्रेन वहां से गुजर गई और पीछे छोड़ गई तबाही का भयावह मंजर। लोगों के कटे-पीटे अंग यहां- वहां बिखरे पड़े थे, अफरा- तफरी मची हुई थी, बदहवास परिजन इधर- उधर अपने स्वजनों की तलाश कर रहे थे । देखते ही देखते लाशों की गिनती 60 के ऊपर पहुंच गई वहीं घायलों की तादाद भी 150 तक पहुँच गई। हादसे के बाद शासन- प्रशासन हरकत में आया, घायलों के इलाज, मृतकों के परिजनों को मुआवजा और हादसे की न्यायिक जांच की आनन- फानन में घोषणा कर दी गई पर सवाल ये है क्या ये हादसा टाला नहीं जा सकता था जिसने कई घरों में अंधेरा कर दिया, अमृतसर का जोड़ा फाटक जहाँ रावण दहन रखा गया था वहां से नजदीकी स्टेशन की दूरी 2 किमी है। आयोजकों और स्थानीय प्रशासन को पता था कि वहां से ट्रेनों का आवागमन होता रहता है फिर भी उन्होंने लापरवाही बरती।अगर वे रेल प्रशासन और रेलवे पुलिस के साथ समन्वय कर पटरी के आस- पास पुख्ता इंतजाम करते तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता । पहले भी रेल हादसों में लोगों की जानें गई हैं पर हर बार जांच के नाम पर लीपापोती कर दी जाती है। सरकारों और सरकारी एजेंसियों के नाकारापन का ही परिणाम है कि साल दर साल हादसे होते चले जाते हैं। अमृतसर की घटना गंभीर लापरवाही का ही नतीजा है।इसके जिम्मेदार जो भी हों उनपर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। आम लोगों को भी जागरूक होना होगा तभी ऐसे हादसों पर अंकुश लगाया जा सकता है
सरकारी एजेंसियों की गंभीर लापरवाही का नतीजा है अमृतसर हादसा
Last Updated: October 20, 2018 " 11:23 am"
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