2003 में विश्व बैंक से लिए गए लोन के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के लिए बने मुश्किल हालात।
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़े सारे कानून बदल दिए – अशोक राव।
इंदौर : वामपंथी विचारक अशोक राव ने गुरुवार को जाल सभागृह में आयोजित अभ्यास मंडल की 62 वी ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला में अपने विचार रखे। उनका विषय था ‘सार्वजनिक स्वामित्व वाली संपत्तियों के निजीकरण के खतरे व प्रभाव’। संदर्भित विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में विश्व बैंक से भारत द्वारा लिए गए लोन के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के लिए मुश्किल हालात बन गए । सरकार ने इसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़े सभी कानूनों को बदल दिया।
सार्वजनिक क्षेत्र को लाभ – हानि के तराजू पर तौलना गलत।
श्री राव ने कहा कि वर्ष 2003 में जब देश के वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने विश्व बैंक से स्ट्रक्चरल एडजस्टमेंट लोन लिया तो उसके बाद से सार्वजनिक क्षेत्र के हालात बदलने लगे। सरकार की ओर से अब सभी सार्वजनिक क्षेत्रों का लाभ और हानि के रूप में उनका आंकलन किया जाने लगा है जबकि हमारे संविधान में यह स्पष्ट तौर पर लिखा हुआ है कि सार्वजनिक उपक्रम को लाभ और हानि के तराजू में नहीं तोला जाना चाहिए।
90 फीसदी लोगों की आय 25 हजार से कम।
उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकारों द्वारा एक – एक करके सारे सारे सार्वजनिक सेक्टर को निजी क्षेत्र में सौपने का अभियान चलाया गया । हमारे देश में आज 90% लोगों की मासिक आय ₹25000 से कम है और उसी में उन्हें परिवार चलाना होता है । हम यह आसानी से समझ सकते हैं कि मात्र ₹25000 में कोई व्यक्ति किस तरह से परिवार का संचालन कर सकता है।
शिक्षा और स्वास्थ्य आम आदमी की पहुंच से दूर।
उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा की पूरी व्यवस्था को निजी क्षेत्र को सौंप दिया है । सार्वजनिक क्षेत्र में कहीं नवोदय स्कूल है, तो कहीं सर्वोत्तम स्कूल है तो कहीं मॉडल स्कूल है । इतने अलग-अलग नाम के स्कूल क्यों हैं ? स्वास्थ्य के क्षेत्र की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व में डॉक्टर के पास जाते थे तो डॉक्टर हमारा परीक्षण करता था और उसके बाद में दवाई लिखता था । आज स्थिति यह है कि हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर हमारी बात सुनता है और एक कागज पर बहुत सारी जांच करने के लिए लिख देता है । वह कोई परीक्षण नहीं करता है । जब हम जांच कराने के बाद वापस जाते हैं तब भी डॉ जांच की रिपोर्ट को देखता है और उसके आधार पर दवाई लिख देता है । शिक्षा हो या स्वास्थ्य दोनों आम आदमी की पहुंच से दूर हो गए हैं।
बीएसएनएल को बरबादी की कगार पर पहुंचा दिया।
टेलीकम्युनिकेशन क्षेत्र की चर्चा करते हुए श्री राव ने कहा कि हम बीएसएनएल की बात तो करते हैं लेकिन यह नहीं देखते हैं कि अब इस पूरे क्षेत्र में सरकार ने एयरटेल और जियो की मोनोपाली की जगह डियोपाली कर दी है । बीएसएनएल के पास तो अभी 4G भी नहीं है जबकि दूसरे निजी क्षेत्र की कंपनी 5जी लाने की बात कर रही हैं। बीएसएनएल को बाहर से तकनीक लेने की छूट नहीं है। उसे बरबादी की कगार पर पहुंचा दिया गया है।
सोच समझकर किया गया था पेट्रोलियम कंपनियों का राष्ट्रीयकरण।
उन्होंने कहा कि पर्यटन के क्षेत्र को देखें तो एक समय था जब निजी क्षेत्र किसी भी स्थान पर फाइव स्टार होटल बनाने के लिए तैयार नहीं था, तब सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र से ही यह काम कराया था और आज यह क्षेत्र पूरा निजी क्षेत्र को सौंपा जा रहा है । पेट्रोलियम कंपनियों की यदि बात करें तो सरकार ने जिन स्थितियों में इन कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया था अब उन स्थितियों को भूलकर यह पूरा क्षेत्र निजी क्षेत्र को सौंपा जा रहा है।पेट्रोलियम कंपनियों का राष्ट्रीयकरण ही इस बात पर किया गया था की इन कंपनियों ने 1971 के युद्ध में तेल देने से इंकार कर दिया था।
बिजली की वसूली जा रही मनमानी दरें।
अशोक राव ने कहा कि बिजली अब हम लोगों की मूलभूत जरूरत हो गई है । हमारे जीवन का हर काम बिजली से ही चलता है । लोग बिल्डिंग में बीसवीं मंजिल पर रहते हैं और यदि बिजली नहीं हो तो वहां तक पानी भी नहीं पहुंच पाए । बिजली विभाग को कंपनी के रूप में बदल कर उसका बंटवारा कर दिया गया है और अब बिजली की मनमानी दर वसूल की जा रही है। अब एक नया विचार ग्रीन एनर्जी का आया है । यह विचार भी अमेरिका से आया है । देश में थर्मल पावर प्लांट की स्थिति खराब है । सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक बिल 2022 लाया गया है जिसका किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा है । यह बिल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा की चाहत के आधार पर लाया गया है ।
उन्होंने कहा कि ओएनजीसी कंपनी तेल ढूंढ कर उसे निकालने का काम करती थी । अब उसे जबरन 35 हजार करोड रुपए में एचपीसीएल खरीदने के लिए मजबूर किया गया है।
मोनोपाली के क्षेत्र निजी हाथों में सौंप दिए।
श्री राव ने कहा कि सरकार ने उन सार्वजनिक उपक्रमों को भी निजी हाथों में सौंप दिया जिनकी अपने क्षेत्र में मोनोपॉली थी। एयरलाइंस के क्षेत्र का पूरी तरह से निजीकरण करते हुए उसे अडानी को सौंप दिया गया है। अन्य कंपनियों को तो विमानतल 35 साल के लिए दिए गए लेकिन अडानी की कंपनी को 50 साल के लिए दिए गए हैं ।
सरकार ने किसी भी सामाजिक कानून को नहीं बदला, सारे आर्थिक कानूनों में परिवर्तन लाने का काम किया है ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि वक्ता अशोक राव का स्वागत पुरुषोत्तम वाघमारे, शफी शेख, किशन सोमानी, कुणाल भंवर, ग्रीष्मा द्विवेदी, अरविंद पोरवाल ने किया । गुरुवार का व्याख्यान अभ्यास मंडल के संस्थापक सदस्य कॉमरेड बसंत शिंत्रे को समर्पित था । कार्यक्रम का संचालन सुरेश उपाध्याय ने किया। स्मृति चिन्ह पूर्व सांसद एवं पूर्व आयुक्त सीबी सिंह ने भेंट किया।अंत में आभार प्रदर्शन आलोक खरे ने किया।