सिंहस्थ 2028 में मेला क्षेत्र तक चलाई जाएंगी मिनी बसें

  
Last Updated:  June 15, 2025 " 04:59 pm"

23सौ हेक्टेयर वाले मेला क्षेत्र में बनेगी 18 मीटर चौड़ी सड़कें।

इस बार क्षिप्रा को प्रवाहमान रखने के लिए टैंकरों से पानी नहीं डालना पड़ेगा।

🔹कीर्ति राणा🔹

उज्जैन में 2028 में होने वाला सिंहस्थ ऐसा पहला सिंहस्थ होगा जिसमें पानी, नाली, सड़क, बिजली के स्थायी कार्य किए जाएंगे। इसके साथ ये पहला ऐसा सिंहस्थ होगा जिसमें करोड़ों श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र तक जाने-आने के लिये बसों की (लोक परिवहन सेवा) सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
सिंहस्थ मेला अधिकारी आशीष सिंह ने चर्चा के दौरान यह जानकारी दी।उन्होंने बताया मेला क्षेत्र के लिए 23 सौ हेक्टेयर जमीन आरक्षित की गई है। मेला क्षेत्र में इस बार ठेला गाड़ी चलाने की जरूरत इसलिये नहीं पड़ेगी क्योंकि 18 मीटर चौड़ी पक्की सड़कें निर्मित करेंगे।श्रद्धालुओं के लिए इन सड़कों पर छोटी बसें चलाई जाएंगी जो उन्हें संतों के कैंप के निकट तक छोड़ेंगी।
मोहन यादव सरकार सिंहस्थ-28 को लेकर कितनी गंभीर है इसे ऐसे समझा जा सकता है कि 14 अप्रैल को रोशन कुमार सिंह को कलेक्टर पदस्थ किए जाने के साथ उसी दिन सिंहस्थ मेला अधिकारी के रूप में इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह को अतिरिक्त प्रभार सौंपने के आदेश जारी हुए थे। दोनों अधिकारियों ने एक साथ महाकाल के दर्शन-पूजन कर अपनी ज्वाइनिंग दी थी।चूंकि सिंहस्थ-28 में आने वालें संतों और देश-विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की अगवानी करने वाला उज्जैन, मुख्यमंत्री यादव का गृह नगर है इसलिये हर काम पर उनकी नजर रहेगी।
इसलिये सरकार विश्वस्त और रिजल्ट ओरिएंटेड अधिकारियों को उज्जैन पदस्थ कर रही है ताकि उज्जैन का सिंहस्थ किसी भी स्तर पर प्रयागराज कुंभ से हल्का साबित न हो।

मेला अधिकारी सिंह ने बताया पिछले सिंहस्थ-16 तक हर बार जो कार्य अस्थायी किए जाते थे, इस बार स्थायी रूप से किए जाएंगे। सरकार ने सड़क निर्माण, बिजली सुविधा के लिए लाइन बिछाने के साथ मेला क्षेत्र में पेयजल लाइन, नाली निर्माण जैसे स्थायी कार्य किए जाने का निर्णय लिया है। सिंहस्थ मद के बजट से कराए जाने वाले इन कार्यों का 2028 के बाद भी शहर को लाभ मिलता रहेगा। जिन किसानों की एक एकड़ से अधिक जमीन मेले के दौरान अधिग्रहित की जाएगी उन्हें धर्मशाला, स्कूल आदि निर्माण करने की छूट देंगे।

इस बार क्षिप्रा में टैंकरों से नहीं डलेगा पानी।

जहां तक 13 अखाड़ों के साथ ही अन्य संस्थाओं के कैंप आदि लगते हैं तो ये सारे कैंप पूर्व के मेलों की तरह अस्थायी ही रहेंगे। क्षिप्रा नदी के दोनों किनारों पर सौ सौ मीटर का इलाका हरा-भरा रहे इसके लिये पौधारोपण इसी बारिश से शुरु करेंगे। पिछले सिंहस्थ में भले ही क्षिप्रा को प्रवाहमान रखने के लिए टैंकरों से पानी सप्लाय किया गया लेकिन इस बार क्षिप्रा में पानी का संकट नहीं आएगा। सिलारखेड़ी में नया डेम 2027 तक बन कर तैयार हो जाएगा। एक डेम अरन्याखेड़ी में भी 900 करोड़ की लागत से निर्मित किया जाएगा।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *