नई दिल्ली : लॉक डाउन पीरियड की फीस को लेकर सरकार, सांसद और प्रशासन कोई भी पालको की परेशानी नहीं समझ रहा है। पालकों की आर्थिक परेशानिया बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में स्कूल प्रबंधक उनसे लॉक डाउन पीरियड की फीस भी वसूलना चाहते हैं। इसी बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है।
9 राज्यों की और से लगाई गई याचिका में मध्यप्रदेश का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था और उसमें कुछ जरूरी मुद्दे छूट गए थे | इस बात को देखते हुए “जागो पालक जागो” संघ के एडव्होकेट चंचल गुप्ता व अन्य सदस्यों ने उक्त याचिका में इंटरवेंशन आवेदन प्रस्तुत किया।
ऑनलाइन पढाई को लेकर बनें पॉलिसी।
एडव्होकेट चंचल गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन शिक्षण को लेकर केंद्र स्तर पर पॉलिसी का निर्माण करने, लॉक डाउन अवधि में बन्द स्कूलों की फीस नहीं लेने, जब भी स्कूल खुलें तब त्रैमासिक फीस के बजाए मासिक फीस लेने की मांग की गई है | याचिका में यह भी कहा गया है | कि स्कूलों द्वारा एडमिशन के समय कॉशन मनी के नाम से 5000/- से 50000/- तक या कहीं कहीं इससे भी ज्यादा रिफंडेबल राशि जमा करवाई जाती है | जो लगभग 15 वर्षों तक स्कूल के पास जमा रहती है | जिसके निवेश से स्कूल संचालकों द्वारा लाभ अर्जित किया जाता है | जिसका फायदा पालकों को नहीं मिलता है | तो इस महामारी के चलते कॉशन मनी द्वारा अर्जित लाभ से स्कूल संचालन के व्ययों की पूर्ति कर पालकों को फीस में राहत प्रदान करें ।
याचिकाकर्ता द्वारा ये भी कहा गया है कि एडमिशन के समय जिस स्तर की शिक्षा और सुविधा स्कूल द्वारा देना बताया जाता था, वह ऑनलाइन शिक्षण के माध्यम से उपलब्ध नहीं होने से भी पूरी फीस की मांग करना न्यायोचित नहीं होकर उपभोक्ता अधिकारों का हनन है ।
याचिकाकर्ता द्वारा पूर्व में केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मुलाकात का समय मांगा था | जिससे वे पालकों का पक्ष उनके सामने प्रस्तुत कर फीस में राहत की मांग कर सकें | परन्तु उनके द्वारा कोई जवाब नहीं देने से भी याचिका में इंटरवेंशन करना जरूरी हो गया था ।
ये हैं याचिकाकर्ता…
1. एडवोकेट चंचल गुप्ता
2. सचिन माहेश्वरी
3. सतीश शर्मा
4. विशाल प्रेमी
5. दीपक शर्मा
6. देव खुबानी
7. अयन बंसल
8. प्रो. धीरज हसीजा