आजादी से पहले स्वाधीनता के लिये लड़े
अब सूचना के अधिकार के लिये संघर्ष करें
इन्दौर। देश के सूचना आयुक्त प्रो. एम.श्रीधर आचार्यलू ने स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद, सूचना का अधिकार और चुनौतियां को संबोधित करते हुए कहा कि सूचना के अधिकार के तहत प्रश्न करने की शक्ति होना चाहिए। कभी हारना नहीं चाहिए। सूचना देने के लिए सूचना अधिकारी का यह बहाना बेमानी है कि फाईल दीमक खा गई या गुम हो गई या चोरी हो गई। आजादी के पूर्व देशवासी स्वाधीनता के लिए लड़े थे और 2005 के बाद अपने अधिकार की स्वतंत्रता के लिए लड़ना है। प्रश्न करेंगे तो अन्याय के खिलाफ खड़े होने की ताकत मिलेगी। हम सवाल करेंगे तो सरकारी विभागों के सिस्टम में परिवर्तन अवश्य आएगा। देश में जैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है वैसे ही लोकहित वाली जानकारी को जानने का पूर्ण अधिकार हैं। उन्होंने आरटीआई कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक उदाहरण दिए और उन्हें सतत् सक्रिय रहने का आव्हान किया ताकि भावी पीढ़ी को इसका पूरा-पूरा लाभ मिल सके। प्रो. आचार्यलू ने फाईल गुम होने, दीमक चाहने और चोरी होने या तंत्र करते हुए कहा अधिकारी अपनी पोल छुपाने के लिए यह सब बहाना करते हैं और जानकारी उपलब्ध कराने से बचते हैं। व्यक्ति की शिक्षा संबंधी कोई भी जानकारी निजी नहीं होती है। विवाह और लव लेटर तक निजी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि 10 रू. का नाममात्र शुल्क को समाप्त करना चाहिए, क्योंकि 10 रू. शुल्क से अधिक जानकारी देने का खर्च अधिक होता है। इसके लिए नीति में परिवर्तन करना होगा। प्रो. आचार्यलू ने कहा कि सरकारी सिस्टम को ठीक करने के लिए लड़ना होगा, क्योंकि लोकतंत्र का आधार पारदर्शिता ही हैं।
मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त एच.एल. त्रिवेदी ने कहा मध्यप्रदेश में जब सूचना के अधिकार संबंधी जब परिपत्र बना था तब वे उसके साथी रहे हैं। प्रदेश में जागरूकता अभियान चलाए जाने की प्रबल आवश्यकता है। जानकारी लेने और जानकारी देने वाले दोनों को ही प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता है। जानकारियों की वेबसाइट पर ही अपडेट कर दें तो आधी से अधिक समस्याओं का समाधान अपने आप हो जाएगा, किंतु अब तक वेबसाइट अपडेट नहीं हो पा रही है। अभी भी हम जूझ रहे हैं। नई-नई जानकारियाँ अपडेट करना बाकी है। सूचना अधिकारी अगर प्रशिक्षित हो जाएं तो शिकायतों और अपील का ढेर ही समाप्त हो जाएगा। आमजन को भी इसके लिए मदद करना होगी। पारदर्शिता से भ्रष्टाचार रूक सकता है। इन सबके लिए मानसिकता बदलने की जरूरत हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट नईदिल्ली सुभाषचन्द्र अग्रवाल ने कहा सूचना के अधिकार के तहत हमें अधिकार मिला है। इसे हम जनहित में अमल में लाएं। आमजन ही नहीं, इसका केन्द्र के वित्तमंत्री तक ने सहारा लिया। बात जब खर्च की चली तो पूर्व मंत्री सुरेश पचोरी ने बड़ी गंभीर बात की कि इससे भविष्य में होने वाले घोटाले रूक जाएंगे तो देश को बड़ी आर्थिक बचत होगी। इसका उदाहरण जब 2जी घोटाला पकड़ा तो 3जी, 4जी स्पेक्ट्रम की ऊँची कीमत लगी। आरटीआई से राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तक की जानकारी प्रकाश में आयी। श्री अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने अब तक करीब 6 हजार याचिकाएँ कोर्ट में लगाई जिसमें 90 प्रतिशत का निराकरण हुआ और उससे देश लाभान्वित हुआ। उन्होंने कहा पूर्व जज खुले आम पत्र लिखते है, किंतु आम नागरिक के लिए कोर्ट स्थगन आदेश पारित करती है। स्टे हानिकारक हैं। सिस्टम को सुधारना होगा। नीतियों में परिवर्तन करना होगा। इस डिजीटल युग में सब कुछ पारदर्शी होना चाहिए। चुनावी चंदा का हिसाब भी साफ होना चाहिए। गोपनीयता राजनीतिक दलों के लिए नहीं होना चाहिए। सूचना अधिकारी स्वतंत्र नहीं है वह उच्चाधिकारियों के आदेश से बंधा होता है इसके लिए नई नीति बनना चाहिए। उनके अनेक सुझावों पर कई प्रधानमंत्रियों ने अपनी नीति में परिवर्तन किए हैं।
पूर्व विधायक एवं व्यापम के विसल ब्लोअर पारस सकलेचा ने कहा वर्तमान चुनौतियां बड़ी विचित्र हैं। सूचना के अधिकारों को सीमित करना चाहिए यह सब चाहते हैं, किंतु जनता को हर बात जानने के अधिकार का गला नहीं घोटना चाहिए। यह आमजन की आवाज को अमलीजामा पहनाने की एक इकाई हैं। इसे सक्षम बनाना हम सबकी जिम्मेदारी है। सूचना के अधिकार का और अधिक विस्तार होना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्र में यह न के बराबर है जबकि सर्वाधिक अनियमितता हैं ग्रामीण क्षेत्र में हैं। जागरूकता की जरूरत है। हमें 16 पैसे से बढ़ाकर अंतिम व्यक्ति तक 98 पैसे पहुंचाने का लक्ष्य रखकर काम करना होगा तभी भ्रष्टाचार की जड़ों तक पहुंचा पाएंगे। सरकार को आरटीआई को संरक्षण देना चाहिए। हमें बोलना पड़ेगा। मौन रहने से कोई काम नहीं चलेगा।
अतिथियों का स्वागत प्रवीण कुमार खारीवाल, विजय अड़िचवाल, अजय भट्ट, विजय गूंजाल, अभिषेक बड़जात्या, सुरेश पुरोहित, नीलेश जैन, सोनाली यादव ने किया। कार्यक्रम का संचालन सूचना का अधिकार आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अजय दुबे ने किया। कार्यक्रम में प्रदेश के 15 आरटीआई कार्यकर्ताओं का सम्मान भी किया गया। सम्मानित होने वाले कार्यकर्ताओं में सर्वश्री डॉ. आनन्द राय, डॉ. गौतम कोठारी, डॉ. सचिन राय, श्री लोकेन्द्र शर्मा, श्री अभय चौपड़ा, डॉ. गुरूदेव तिवारी, श्री सुशील लेवी, श्री राजेन्द्र के. गुप्ता, श्री प्रशांत पाण्डेय, श्री विनायक परिहार, श्री कीर्ति गेहलोत, श्री चन्द्रशेखर गौर, श्री आशीष चतुर्वेदी, श्री नीतिन सक्सेना, श्री सलीम मोहम्मद शामिल थे।