इंदौर : पिछले दिनों इंदौर में ही ऐसे कई मामले सामने आए थे जिसमें कतिपय एडवाइजरी फर्मों के कर्ताधर्ता निवेशकों को बड़ी कमाई का प्रलोभन देने के बाद उनका पैसा लेकर रातोंरात गायब हो गए थे। लाखों – करोड़ों की धोखाधड़ी की शिकायतें जब जिला व पुलिस प्रशासन तक पहुंची तो उन्होंने ऐसी फर्जी एडवाइजरी फर्मों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। कई फर्मों को सील भी किया गया। सेबी ने भी निवेशकों की शिकायत पर धोखाधड़ी करने वाली फर्मों को ब्लैकलिस्ट किया था। इन सब का खामियाजा उन एडवाइजरी फर्मों को भी भुगतना पड़ा जो ईमानदारी से काम करते हुए निवेशकों के हितों का संरक्षण कर रहीं थीं।
ऐसी एडवाइजरी फर्म्स के संचालकों ने ( आयरा ) एसोसिएशन ऑफ इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स एंड रिसर्च एनालिस्ट का गठन किया है। शनिवार (28 सितंबर ) को प्रेस वार्ता के जरिये आयरा के पदाधिकारियों ने एडवाइजर्स का पक्ष मीडिया के सामने रखा।
हम निवेशकों को केवल सलाह देते हैं।
आयरा के अध्यक्ष अभिषेक पारख और सचिव राजीव शर्मा ने बताया कि तमाम इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स उच्च शिक्षित और अपने पेशे में दक्ष हैं। उन्होंने बकायदा सेबी की परीक्षा पास कर उसका लाइसेंस हासिल किया है। वे सेबी की निधारित गाइड लाइन का कड़ाई से पालन करते हुए निवेशकों को केवल उचित सलाह देते हैं। उनके ग्राहक वही निवेशक होते हैं जिनके पहले से ही डीमैट खाते खुले होते हैं। वे ग्राहकों की ओर से ट्रेड नहीं करते और न ही उनसे किसी तरह की दलाली या कमीशन वसूलते हैं। उनका काम बाजार का एनालिसिस कर निवेशकों को उचित सलाह देना भर है। उसी की फीस वे ( एडवाइजर्स) लेते हैं।
कुछ लोगों की गलती की सजा सभी को देना ठीक नहीं।
आयरा के पदाधिकारियों का कहना था इंदौर में 160 से अधिक सेबी से रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी फर्म्स हैं। जो पेशेवर तरीके से दक्ष वित्तीय सलाहकारों के जरिये निवेशकों को निवेश के लिए उचित मार्गदर्शन देती हैं। यहां शिकायतों की संख्या महज 1-2 फीसदी है। ये शिकायतें उन एडवाइजरी फर्मों को लेकर हैं जो सेबी से रजिस्टर्ड नहीं है और अवैध रूप से काम कर रहीं हैं। ऐसी करीब 75 फर्मों की सूची उन्होंने जिला व पुलिस प्रशासन को उपलब्ध कराई है। आयरा पदाधिकारियों ने माना कि अवैध रूप से संचालित एडवाइजरी कम्पनियां सैकड़ों में हैं। उनका पता लगाया जा रहा है। कुछ फर्मों की गलती की सजा सभी एडवाइजरी फर्म्स को देना ठीक नहीं है।
फ्रेंचाइजी देना धोखाधड़ी का बड़ा कारण।
आयरा के उपाध्यक्ष दीप कांडपाल और कोषाध्यक्ष पीयूष जोशी ने बताया कि ज्यादातर धोखाधड़ी की शिकायतें उन एडवाइजरी फर्मों से जुड़ी हैं जो फ्रेंचाइजी देकर मुक्त हो जाती हैं। फ्रेचाइजी फर्मों की कोई सीधी जिम्मेदारी निवेशकों के प्रति नहीं होती। इसका खामियाजा फ्रेंचाइजी देनेवाली फर्म को भुगतना पड़ता है।
अर्थव्यवस्था में दे रहे अहम योगदान।
इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स देश और प्रदेश की इकोनॉमी में अहम योगदान दे रहें हैं। सिर्फ इंदौर में ही एडवाइजर्स जीएसटी में 60- 70 करोड़ का योगदान दे रहे हैं। एडवाइजरी फर्म्स 20 हजार लोगों को सीधे और करीब 1 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार दे रही हैं।
शिकायतों पर जांच के बाद हो कार्रवाई।
आयरा पदाधिकारियों ने जिला व पुलिस प्रशासन से आग्रह किया है कि वे किसी भी शिकायत पर पहले जांच करें, सेबी से पूरी जानकारी लें और उसके बाद ही अगला कदम उठाएं। बिना जांच के किसी भी एडवाइजरी फर्म पर तालाबंदी कर देना सही नहीं हैं।