अब इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में बनना शुरू हुए जयपुर फुट।
जयपुर फुट बनाने के स्थायी सेंटर एवं तीन दिवसीय शिविर का हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधिपति रवि मलिमठ ने किया शुभारंभ।
इंदौर : मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति रवि मलिमठ का कहना है कि विधिक सेवा प्राधिकरण की मंशा है कि हर जरूरतमंद को न्याय मिले और उन्हें आवश्यकता के अनुसार अन्य जरूरी मदद भी मुहैया कराई जाए, जिससे उनका जीवन सुलभ हो सकें। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम में दिव्यांगों के जीवन को आसान बनाने के लिए इंदौर में जयपुर फुट बनाने का स्थाई सेंटर शुरू किया गया है।
मुख्य न्यायाधिपति रवि मलिमठ रविवार को एमवाय हॉस्पिटल में जयपुर फुट बनाने के स्थाई सेंटर एवं तीन दिवसीय शिविर के शुभारंभ कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।
एम वाय अस्पताल में बनाया गया है जयपुर फुट निर्माण का स्थाई सेंटर।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इस संवेदनशील पहल से दिव्यांगों को लगने वाले कृत्रिम अंगों का निर्माण अब इंदौर में ही हो सकेगा। इंदौर के एम वाय हॉस्पिटल में दिव्यांगजनों को आवश्यकता के अनुसार जयपुर फुट एवं अन्य सहायक उपकरणों के वितरण के लिए स्थायी सेंटर बनाया गया है। इस सेंटर के शुभारंभ अवसर पर प्रशासनिक न्यायाधिपति एवं कार्यपालक अध्यक्ष मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर शील नागू , उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर के प्रशासनिक न्यायाधिपति विवेक रूसिया, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित, भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के जी.एस. बापना और भूपेन्द्र राज मेहता विशेष रूप से मौजूद थे। कार्यक्रम में पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्र एवम कलेक्टर इलैया राजा टी भी मौजूद थे।
हर जरूरतमंद को सुलभ हो न्याय और मदद।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति रवि मलिमठ ने कहा कि उन्हें हार्दिक प्रसन्नता है कि इन्दौर में कृत्रिम अंग निर्माण का यह स्थायी सेंटर बना है। यह एक महत्वपूर्ण क़दम है, जिससे उन दिव्यांगों की आवश्यकता की पूर्ति होगी जिन्हें यह सर्वाधिक आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता ज़ाहिर की कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण यह मदद कर पा रहा है। उन्होंने कहा कि लीगल सर्विस अथॉरिटी की मंशा है की हर ज़रूरत मंद को न्याय मिल सके। हमारा दायित्व है कि जिन्हें भी न्याय और मदद की आवश्यकता है, उस हर व्यक्ति को यह सुलभ हो सके।
दिव्यांगों की भलाई ईश्वर की सेवा के समान।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रशासनिक न्यायाधिपति एवं कार्यपालक अध्यक्ष मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर शील नागू ने कहा कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण दिव्यांगजनों की मदद के इस कार्य में सहयोग कर रहा है, यह सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों की भलाई के लिए हर तरह का सहयोग दिया जाएगा। उन्होंने भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने दिव्यांगों के भलाई के कार्यों को ईश्वरीय सेवा तुल्य बताया। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक दिव्यांग लाभान्वित हो, इसके लिए और भी केन्द्र स्थापित किए जाएंगे।
लाखों दिव्यांगों को पहुंचाई मदद।
भगवान महावीर सहायता समिति के जी.ए. बापना ने समिति के सेवा कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारी संस्था विगत 47 वर्षों से दिव्यांगों की सेवा में सतत लगी हुई है। देश-विदेश में अनेक प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। संस्था द्वारा अपनी स्थापना से लेकर अभी तक 20 लाख दिव्यांगों को मदद पहुंचाई जा चुकी है। संस्था द्वारा 6 लाख दिव्यांगों को कृत्रिम पैर लगाए गए हैं।
यह सेंटर व शिविर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर एवं उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के तत्वावधान में भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति जयपुर एवं एमवाय अस्पताल इंदौर के सहयोग से शुरू हुआ है। शिविर 22 नवम्बर तक चलेगा। कार्यक्रम के अंत में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार ए.पी. मिश्र ने आभार व्यक्त किया। श्री मिश्र ने इस शिविर के आयोजन में समन्वय के लिए विशेष तौर पर ओ एस डी नवीन पाराशर की सराहना की।
लाभान्वित दिव्यांगों से की चर्चा।
इस अवसर पर मुख्य न्यायाधिपति रवि मलिमठ ने कृत्रिम पैर लगने से लाभान्वित दिव्यांग छोटे खां, दिव्यांग बालक काशिफ अहमद अंसारी, जितेन्द्र चौधरी आदि से चर्चा की तथा उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी। मुख्य न्यायाधिपति रवि मलिमठ ने सेंटर के कार्यों को भी देखा। उन्होंने शिविर में आए दिव्यांगों से भी चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन राजीव कर्महे, सदस्य सचिव मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर द्वारा किया गया।