इंदौर : होलकर रियासत काल से चली आ रही शाही होलिका दहन की परंपरा इस बार भी राजसी ठाठ- बाट के साथ निभाई गई। बरसों बाद होलकर राजपरिवार के सदस्य होलिका दहन में शामिल हुए। उन्होंने लोगों को होली की शुभकामनाएं भी दी।
विधिविधान के साथ हुआ होलिका दहन।
राजवाड़ा के ठीक सामने किए गए शाही होलिका दहन में युवराज शिवाजीराव (रिचर्ड) होलकर और उनके सुपुत्र यशवन्तराव होलकर तृतीय ने शिरकत की। उन्होंने रियासत कालीन पोशाख और पगड़ी धारण कर राजपुरोहित लीलाधर वारकर के मार्गदर्शन में पूजन, अभिषेक और आरती के बाद होलिका दहन किया। इस दौरान राजपरिवार से जुड़े लोग और आम नागरिक भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
इंदौर वासियों को दी होली की शुभकामनाएं।
होलिका दहन के बाद युवराज रिचर्ड होलकर और उनके सुपुत्र यशवन्तराव होलकर तृतीय ने मीडिया कर्मियों से चर्चा करते हुए इंदौर वासियों को होली की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि दो साल के बाद खुलकर होली मनाने का मौका मिला है तो खुशी, उमंग और उल्लास के साथ इसे मनाएं पर सावधानी भी बरते क्योंकि कोरोना अभी गया नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राजवाड़े का जीर्णोद्धार जल्द पूरा हो जाएगा और अगले वर्ष हम नवश्रृंगारित राजवाड़े के सामने होली मनाएंगे।
294 वर्षों से अविरत निभाई जा रही है परंपरा।
होलकर राजपरिवार के पुरोहित पंडित लीलाधर वारकर ने बताया कि बरसों के बाद यह मौका आया जब राजपरिवार के सदस्य युवराज शिवाजीराव (रिचर्ड) होलकर और उनके सुपुत्र यशवंतराव होलकर तृतीय शाही होलिका दहन में शामिल हुए। होलिका दहन के बाद दोनों पिता- पुत्र ने राजवाड़ा स्थित मल्हारी मार्तण्ड मन्दिर में कुलदेवता और होलकर गादी का भी पूजन किया। उन्होंने बताया कि 294 वर्षों से शाही होली की यह परंपरा अनवरत निभाई जा रही है।
शाही होली के समक्ष मांगी गई मनोकामना होती है पूरी।
शाही होलिका दहन में बरसों से शामिल होते आ रही महिलाओं का कहना था कि होलकर कालीन इस होली की खासियत ये है कि यहां दर्शन- पूजन कर मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है।