17 फरवरी से प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सक करेंगे कामबंद हड़ताल

  
Last Updated:  February 16, 2023 " 11:32 pm"

इंदौर में एमवाय अस्पताल में इमरजेंसी सहित तमाम सेवाएं होंगी प्रभावित।

स्वास्थ्य सेवाएं बुरीतरह चरमराने के आसार।

अपनी चार सूत्रीय प्रमुख मांगों को लेकर कर रहें हड़ताल।

गुरुवार को भी काली पट्टी बांध कर किया धरना – प्रदर्शन।

इंदौर: चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर मध्य प्रदेश के सभी 13 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रोफेसर्स और इन महाविद्यालयों से जुड़े अस्पतालों के तमाम सीनियर डॉक्टर्स अपनी मांगों को लेकर शुक्रवार 17 फरवरी से कामबंद हड़ताल पर जा रहे हैं। इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज व उससे संबद्ध एमवाय अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों के चिकित्सक भी हड़ताल पर रहेंगे। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों के संगठन, जूनियर डॉक्टर्स एसो. कर्मचारी संगठन भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दे रहे हैं। इस हड़ताल के चलते आपातकालीन सेवाएं भी प्रभावित होने से स्वास्थ्य सेवाओं के चरमराने के आसार बन गए हैं।

दो घंटे काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन।

चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर 15 फरवरी को काली पट्टी बांधकर काम करने के बाद गुरुवार 16 फरवरी को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक इंदौर में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के तमाम प्रोफेसर्स और डॉक्टरों ने एम वाय अस्पताल परिसर में काम बंद करने के साथ काली पट्टी बांधकर धरना – प्रदर्शन किया। जेडीए और कर्मचारी संगठनों ने भी इस धरना – प्रदर्शन को समर्थन दिया। इस दौरान अपनी मांगों को लेकर चिकित्सकों ने नारेबाजी करते हुए प्रदेश सरकार पर उनके हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। दो घंटे के इस धरना – प्रदर्शन में प्रोगेसिव मेडिकल टीचर्स एसो. मप्र के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल, सचिव डॉ. राकेश मालवीय, मेडिकल टीचर्स एसो. इंदौर के अध्यक्ष डॉ. अरविंद घनघोरिया और सचिव डॉ. अशोक ठाकुर सहित बड़ी संख्या में चिकित्सक शामिल हुए। इस दौरान एमवाय अस्पताल की ओपीडी, आइपीडी, ऑपरेशन एमएलसी और पोस्टमार्टम सेवाएं बाधित हुई।

चिकित्सकों के प्रति असंवेदनशील है प्रदेश सरकार।

मेडिकल टीचर्स एसो. इंदौर के अध्यक्ष डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि पिछले दिनों प्रदेश भर में ‘चिकित्सा बचाओ, चिकित्सक बचाओ’ यात्रा निकालकर एसीएस मोहम्मद सुलेमान को चिकित्सकों की मांगों से अवगत कराया गया था। इसके बाद भी प्रदेश सरकार ने हमारी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया। डॉ. घनघोरिया का कहना था कि प्रदेश सरकार चिकित्सा सेवाओं और चिकित्सकों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाए हुए है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की हालत बद से बदतर हो गई है। इंदौर की ही बात करें तो जिला अस्पताल सालों से निर्माणाधीन है। वहां उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है। सारा भार एमवाय अस्पताल पर आ गया है। यहां मरीजों के उपचार के लिए बिस्तरों और आवश्यक संसाधनों की कमी है। एमआरआई और सिटी स्कैन जैसी जांचें ठेके पर दे रखी हैं जबकि ये मशीनें अस्पताल के पास खुद की होनी चाहिए। कैंसर अस्पताल में आज भी 40 साल पुरानी मशीन से इलाज हो रहा है। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में आज दिनांक तक हार्ट सर्जरी और किडनी ट्रांसप्लांट जैसी सेवाएं शुरू नहीं हो पाई है। इसका खामियाजा गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को उठाना पड़ता है। इसके अलावा बेवजह की प्रशासनिक दखलंदाजी भी चिकित्सकों की परेशानी का सबब बनी हुई है।

17 फरवरी से मुकम्मल हड़ताल।

आईएमए इंदौर के सचिव डॉ. अशोक ठाकुर ने बताया कि प्रदेश सरकार के साथ मांगों को लेकर सहमति नहीं बन पाने से शुक्रवार 17 फरवरी से प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक कामबन्द हड़ताल करेंगे।इंदौर में भी चिकित्सक मुकम्मल हड़ताल पर रहेंगे। जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल में शामिल होंगे। इसके चलते एम वाय अस्पताल में इंडोर, ओपीडी, इमरजेंसी, एमएलसी, पोस्टमार्टम, शैक्षणिक सहित सभी सेवाएं बंद रहेंगी।

ये हैं प्रमुख मांगे :-

डॉ. अशोक ठाकुर ने बताया कि चिकित्सकों की चार प्रमुख मांगे हैं
1, समयबद्ध पदोन्नति।
2, सातवे वेतनमान की विसंगतियां दूर की जाएं।
3, पुरानी पेंशन योजना बहाल हो।
4, मेडिकल कॉलेज और उससे जुड़े अस्पतालों में प्रशासनिक दखलंदाजी बंद की जाए।

इसके अलावा सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने, स्टॉफ और संसाधनों की कमी दूर करने, जांच संबंधी तमाम उपकरण उपलब्ध कराने सहित अन्य मांगे पूरी करने को लेकर यह हड़ताल की जा रही है।

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