लखनऊ : यूपी में 25 साल पुराना इतिहास फिर दोहराया गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए एसपी- बीएसपी ने गठबंधन का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस को इसमें जगह नहीं दी गई है। 1993 के बाद ये पहली बार है जब एसपी और बीएसपी साथ आए हैं।
शनिवार को मायावती और अखिलेश यादव ने गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया। दोनों पार्टियां यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखा गया है पर उसे मामूली राहत देते हुए तय किया गया है कि अमेठी और रायबरेली में गठबंधन अपने प्रत्याशी खड़े नहीं करेगा। 2 सीटें अन्य संभावित सहयोगियों के लिए छोड़ी गई हैं।
बीजेपी को हराने के लिए आए साथ
मायावती ने कहा कि बीजेपी की घोर जातिवादी और साम्प्रदायिक राजनीति को हराने के लिए ये गठबंधन बनाया गया है। मोदी- शाह की नींद उड़ानेवाला ये गठबंधन है। 1993 में जिसतरह गठबंधन करके बीजेपी को हराया था, वैसे ही इस बार भी हराएंगे।
बीजेपी के साथ कांग्रेस को भी लिया निशाने पर
मायावती ने बीजेपी के साथ कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आजादी के बाद बरसों तक देश पर राज किया लेकिन उसके राज में गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ा। बीजेपी और कांग्रेस दोनों के राज में घोटाले हुए। बोफोर्स घोटाले ने कांग्रेस के हाथ से सत्ता छीन ली थी और राफेल घोटाला बीजेपी को सत्ता से दूर कर देगा।
जनहित के लिये आए साथ
मायावती 1995 के गेस्ट हाउस कांड के कड़वे अनुभव का जिक्र करना नहीं भूली। उन्होंने कहा कि जनहित को ऊपर रखते हुए उस कड़वी याद को भुलाकर एसपी के साथ गठबंधन बनाया है। मायावती ने दावा किया कि ये गठबंधन नई सामाजिक क्रांति का सूत्रपात करेगा।
अखिलेश यादव ने प्रेस वार्ता में कहा कि ये गठबंधन मजबूत है। बीजेपी को हराना ही उनका प्रमुख लक्ष्य है।