विश्व मधुमेह दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बोले विशेषज्ञ चिकित्सक।
एमवायएच की ओपीडी में रखा गया था कार्यक्रम।
इंदौर : विश्व मधुमेह (diabities ) दिवस के अवसर पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग की एंडोक्रिनोलॉजी इकाई के बैनर तले जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एम वाय अस्पताल की ओपीडी में रखे गए इस कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित, एमवायएच के अधीक्षक डॉ. पीएस ठाकुर, एचओडी मेडिसिन डॉ. वीपी पांडे, डॉ. धर्मेंद्र झंवर, डॉ. अशोक ठाकुर सहित बड़ी संख्या में सीनियर व जूनियर डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टूडेंट और आम लोगों ने भाग लिया।
35 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति कराएं मधुमेह की जांच।
इस मौके पर अपने विचार रखते हुए डॉ. वीपी पांडे ने कहा कि मधुमेह से ग्रसित रोगियों की संख्या भारत में तेजी से बढ़ रही है। ताजा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में करीब 10 करोड़ लोग मधुमेह से ग्रसित हैं। जागरूकता के अभाव में ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें मधुमेह है। डॉ. पांडे ने कहा कि 35 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक व्यक्ति को खून की जांच कर अपने शुगर लेवल का पता लगा लेना चाहिए।
मधुमेह से शरीर के तमाम अंग होते हैं प्रभावित।
डॉ. पांडे ने कहा कि मधुमेह का समय पर इलाज शुरू नहीं किया गया तो यह शरीर के महत्वपूर्ण अंगों हार्ट, किडनी, ब्रेन और आंखों को प्रभावित करने लगता है। इससे कई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। अतः ज़रूरी है की जांच करवाने के बाद शुगर लेवल बाधा हुआ पाए जाने पर उसका त्वरित उपचार शुरू किया जाए।
खानपान पर रखे नियंत्रण।
डॉ. पांडे ने कहा कि मधुमेह के रोगियों को खानपान पर नियंत्रण रखना चाहिए। अधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ कम खाएं। व्यायाम करें और दवाई नियमित रूप से लेते रहें।
इन्सुलिन का कोई विकल्प नहीं।
इस दौरान जूनियर डॉक्टरों और आम लोगों के सवालों और जिज्ञासाओं का समाधान भी डॉ. पांडे व डॉ. झंवर ने किया। उन्होंने साफ किया कि मधुमेह को नियंत्रित रखने का सबसे कारगर तरीका इन्सुलिन ही है। अन्य तरीकों की कोई वैधता नहीं है।
कार्यक्रम स्थल पर पोस्टरों के जरिए भी मधुमेह के बारे में जानकारी देने के साथ क्या खाएं और क्या न खाएं इस बात से भी अवगत कराया गया।
कार्यक्रम का संचालन व आभार प्रदर्शन डॉ. राजेश वर्मा ने किया।