इंदौर : संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, मुसीबत कितनी भी विकराल क्यों न हो, हौंसले, जज्बे और जुनून के साथ उसका मुकाबला किया जाए तो उसे हराया जा सकता है। रात का अंधियारा कितना भी गहरा क्यों न हो, भोर की एक किरण उसे भागने पर मजबूर कर देती है। कोरोना रूपी अदृश्य दुश्मन कितना भी ताकतवर क्यों न हो पर इंसानी जज्बे के आगे उसे हार माननी ही पड़ती है।
ये प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स और पैरा मेडिकल स्टॉफ के अनवरत प्रयास और जज्बे का ही परिणाम है कि कई संक्रमित मरीज कोरोना को शिकस्त देने में सफल हो रहे हैं।
7 मरीजों को किया गया डिस्चार्ज।
कोरोना के इलाज के लिए अधिसूचित एमआरटीबी अस्पताल से रविवार को 7 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया। इनमें 5 इंदौर व 2 खरगौन के हैं। कोरोना संक्रमण के उपचार के बाद ये मरीज पूरी तरह ठीक हो गए हैं। इनकी दोनों रिपोर्ट निगेटिव आई है। डिस्चार्ज होकर अस्पताल से बाहर आने पर इन सातों कोरोना योद्धाओं का अस्पताल के डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ और कर्मचारियों ने तालियां बजाकर स्वागत किया।आगे भी पूरी सावधानी बरतने की हिदायत देते हुए उन्हें विदाई दी गई।
कुल 35 मरीज अभी तक हो गए हैं ठीक।
शनिवार को अरविंदो अस्पताल से भी कोरोना से मुक्त हो चुके एक मरीज को डिस्चार्ज किया गया था। रविवार को एमआरटीबी अस्पताल से डिस्चार्ज 5 मरीजों के साथ दो दिन में 6 मरीज डिस्चार्ज किये गए। इन्हें मिलाकर इंदौर में अभी तक 35 मरीज कोरोना को हराकर घर लौट चुके हैं।
प्रशासन, डॉक्टर्स, पैरा मेडिकल स्टॉफ का जताया आभार।
कोरोना से मुक्त होने के बाद डिस्चार्ज किये गए मरीजों की खुशी देखते ही बनती थी। उन्होंने अस्पताल के डॉक्टर्स, नर्स, कर्मचारी और जिला प्रशासन का शुक्रिया अदा किया। उनका कहना था कि उन्हें मिले कारगर इलाज के कारण ही वे कोरोना को हराने में कामयाब हो पाए। उन्होंने कहा कि अस्पताल में रहने के दौरान उन्हें हरतरह की सुविधा मिली। कभी कोई परेशानी नहीं हुई। डिस्चार्ज हुए मरीजों ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे अपनी बीमारी को छुपाए नहीं, खुलकर बताएं और अपना इलाज कराएं। गरम पानी पीने, स्वच्छता रखने, घर में रहने और बार- बार साबुन से हाथ धोने की अपील भी उन्होंने शहर के लोगों से की।