नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को चार यूरोपीय देशों की यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं. प्रधानमंत्री के इस दौरे में आर्थिक, रक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और परमाणु के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर बातचीत होगी. साथ ही यूरोपीय संघ-भारत मुक्त व्यापार समझौता, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, बातचीत के मुख्य एजेंडे में शामिल है. पीएम मोदी जर्मनी, स्पेन, रूस और फ्रांस की यात्रा पर जा रहे हैं.
देश का किसी भी प्रधानमंत्री ने पिछले 30 वर्षों से स्पेन की यात्रा नहीं की है. ऐसे में नरेंद्र मोदी 30 वर्षों में स्पेन का दौरान करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे. वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री रूस का रुख भी करेंगे और इसके बाद वह फ्रांस जाएंगे, जहां वह नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से पहली बार मुलाकात करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी की यूरोप यात्रा का पहला पड़ाव बर्लिन होगा, जहां वह चांसलर एंजेला मर्केल के साथ मंगलवार को संयुक्त रूप से द्विवार्षिक अंतर-सरकारी विमर्श (आईजीसी) की अध्यक्षता करेंगे. भारत और जर्मनी के बीच जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और आतंकवाद जैसे अहम क्षेत्रों में 25 से अधिक कार्य समूह हैं.
भारत में जर्मनी के राजदूत मार्टिन ने के अनुसार, 2015 में हुई पिछली आईजीसी की ही तरह इस बार भी दोनों देशों के बीच कई समझौते होंगे. मार्टिन ने के मुताबिक, ‘जर्मनी से बाहर इंडो-जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स जर्मनी का सबसे बड़ा द्विपक्षीय उद्योग मंडल है. इस उद्योग मंडल में भारत और जर्मनी की 7,000 से अधिक कंपनियां शामिल हैं.’
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पश्चिम यूरोप) रणधीर जायसवाल ने प्रधानमंत्री के यूरोप दौरे से ठीक पहले कहा कि यूरोपीय संघ में जर्मनी भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक-वॉल्टर स्टीनमीयर से मुलाकात के बाद पीएम मोदी 30 मई को स्पेन के लिए रवाना होंगे. 1988 में राजीव गांधी स्पेन की यात्रा करने वाले भारत के आखिरी प्रधानमंत्री थे.
मोदी 31 मई को स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राजोय के साथ द्विपक्षीय शिखर बैठक में हिस्सा लेंगे. प्रधानमंत्री मोदी स्पेन के राजा फेलिप-6 से भी मुलाकात करेंगे और भारत में निवेश और अपने कारोबार को विस्तार देने की इच्छुक कंपनियों के अधिकारियों के चयनित समूह के साथ भी बैठक करेंगे. भारत में स्पेन की करीब 200 कंपनियां कारोबार करती हैं.
स्पेन के साथ द्विपक्षीय संबंधों में आर्थिक सहयोग को अहम बताते हुए जायसवाल ने कहा, ‘नवीकरणीय ऊर्जा, तेज गति रेलगाड़ी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सुरंग निर्माण, प्रौद्योगिकी समाधान, नागरिक उड्डयन हवाई मार्ग प्रबंधन और अपशिष्ट जल प्रबंधन के क्षेत्र में स्पेन काफी प्रतिष्ठित है’. स्पेन के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के क्षेत्र में सहयोग अहम मुद्दा होगा.
प्रधानमंत्री मोदी 31 मई को स्पेन से रूस के लिए रवाना होंगे, जहां वह एक जून को सेंट पीटर्सबर्ग में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ 18वीं वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक में हिस्सा लेंगे. अगले दिन प्रधानमंत्री सेंट पीटर्सबर्ग में ही आयोजित व्यापार सम्मेलन ‘सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम’ (एसपीआईईएफ) में शिरकत करेंगे.
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (यूरेशिया) जी वी श्रीनिवास ने कहा कि एसपीआईईएफ में प्रधानमंत्री की हिस्सेदारी से संकेत मिलता है कि रूस दौरे पर कारोबार और निवेश मुख्य एजेंडा होगा. भारत और रूस के बीच रक्षा, परमाणु और अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग को ‘बेहद सुदृढ़’ बताते हुए श्रीनिवास ने कहा कि दोनों देशों के बीच अनेक वजहों से व्यापार में गिरावट आई है, जो 10 अरब डॉलर से घटकर 7 अरब डॉलर रह गया है.
प्रधानमंत्री मोदी दो जून की शाम रूस से पेरिस के लिए रवाना होंगे और अगले दिन फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से मुलाकात करेंगे. फ्रांस को भारत का अहम रणनीतिक साझेदार बताते हुए जायसवाल ने कहा कि दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष, असैन्य परमाणु, रक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में मजबूत सहयोग है.
जायसवाल के मुताबिक, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन की यात्रा के दौरान भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौता अहम मुद्दा रहेगा. भारत ने दिसंबर, 2015 में पुराने द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधियों (बीआईटी) की जगह नया बीआईटी अपनाया, जिसमें यूरोप के कई देश शामिल हैं.