इंदौर : कम्प्यूटर बाबा की दिवाली अब जेल की सलाखों के पीछे ही मनेगी। एरोड्रम और अन्य थानों में भी केस दर्ज होने से बाबा की जल्द रिहाई मुश्किल हो गई है। इस बीच उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इस मामले में सधी हुई टिप्पणी की। उनका कहना था कि वे साधु- संतों का सम्मान करते हैं। साधु- संत सियासत करें इसमें भी कोई ऐतराज नहीं है, पर किसी भी बात का अतिरेक नहीं होना चाहिए। धर्मगुरुओं की राजनीति में सीमित भूमिका होनी चाहिए। धार्मिक गतिविधियों पर राजनीतिक क्रियाकलापों को तरजीह देने का परिणाम कम्प्यूटर बाबा के रूप में हमारे सामने है।
अपनी करनी का फल भुगत रहे बाबा।
उधर बीजेपी के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे कम्प्यूटर बाबा के मामले में तीखे बाण चलाने से नहीं चूके। उनका मानना है कि कम्प्यूटर बाबा की हार्ड डिस्क करप्ट हो गई थी, वे अपनी करनी का फल भुगत रहे हैं। जमीनों पर अवैध कब्जे करना और पुलिसकर्मियों पर बंदूक तानकर उन्हें धमकाना साधु- संतों का काम नहीं होता। जब रणदिवे से पूछा गया कि बीजेपी ने भी एक समय कम्प्यूटर बाबा को राज्यमंत्री का दर्जा देकर सिर- आंखों पर बिठाया था तो उनका चतुराई भरा जवाब था कि उससमय बाबा नर्मदा शुद्धिकरण अभियान को लेकर निकले थे। उनका भाव शुद्ध था। अब वे जो कर रहे हैं वह साधु- संतों वाला काम नहीं है।