( सुमधुर यादें )
✍️ नरेंद्र भाले
सिल्वरस्क्रीन का एक परी चेहरा उस जमात में शामिल हो गया जहां से कोई वापस नहीं आ सकता। साधना केवल तीन शब्द है, लेकिन उसे घडऩे में ऊपर वाले ने भी भरपूर समय लिया होगा। कंचन काया, बला का खूबसूरत चेहरा, मनमोहक मुस्कान और ललाट पर अपने ही अंदाज में लुभावने बालों की लट और उसके बाद जीवंत अभिनय। इन चंद लाइनों में साधना को अलमस्ती में बयां किया जा सकता है।
अभिनेता प्रधान फिल्मों में एक इकलौती अभिनेत्री जिसने 35 फिल्मों में से चार में डबल रोल निभाया और 80 से 90 के दशक में उसका साधना कट हेयर स्टाइल यूथ आइकॉन बन गई। झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में गीत जब बजता तो दर्शक टॉकीज सिर पर उठा लेते थे और फिल्म समाप्ति के पश्चात झोले भर के सिक्के समेटने पड़ते थे। यह रुतबा केवल साधना को ही मिला। वह कौन थी, हम दोनों, मेरा साया, आरजू, मेरे मेहबूब, वक्त, एक फूल दो माली जैसी सुपर हिट फिल्मों के जब भी मधुर गीत कानों में रस घोलेंगे, बरबस ही साधना कट, तिरछे कजरारे नैन, चूड़ीदार पायजामा ,सलवार और चूड़ी के आकार वाली कानों की बालियों वाला यह नजाकत भरा चेहरा बरबस साधना नैयर की याद दिलाएगा। लिख रहा हूं कि अभी न जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं… जानता हूं अब यह संभव ही नहीं है लेकिन दिल है कि मानता नहीं। फूलों की रानी बहारों की मलिका को शब्दों के सुमन अर्पित करता हूं।