इंदौर : ठेठ बुंदेलखंडी -छत्तीसगढ़ी भाषा में जब पंडवानी सुनी जाती है तो उसका अपना अलग ही आनंद होता है लोक संस्कृति मंच द्वारा आयोजित मालवा उत्सव में बुधवार शाम लोकगीत की परंपरा व भारतीय सनातन संस्कृति का दर्शन कराते पंडवानी गायन में द्रोपदी चीर हरण व कौरव पांडव की कथा का सुंदर चित्रण किया गया ।
लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड अंचल से आए लोक कलाकारों द्वारा बधाई नृत्य किया गया। महिला- पुरुषों द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य शीतलामाता की आराधना में किया जाता है। निमाड़ अंचल का प्रसिद्ध नृत्य गणगौर “तोड़ो तोड़ो रे डेडम डेड लिंबूवा का तोड़ी लावजो” पर किया गया जिसमें सिर पर गणगौर उठाकर धीमे धीमे कदमों से खूबसूरत नृत्य प्रस्तुत किया गया। पहाड़ी एवं बर्फ प्रदेशों में गाय मानी जाने वाली याक पर याक डांस अरुणाचल प्रदेश के कलाकारों द्वारा किया गया। उन्होंने अतिथि एवं परिवार के बड़ों के स्वागत सत्कार एवं आदर सम्मान देने के लिए किया जाने वाले नृत्य मान्पा की प्रस्तुति भी दी। गुजरात के सुरेंद्रनगर से आए कलाकारों द्वारा लाल पगड़ी, पीली बंडी और सफेद कपड़े पहन कर डांडिया रास खेला गया जो दर्शकों के मन को खूब भाया बोल थे” माधव क्या खोवाना मधुबन में”। छिंदवाड़ा के कलाकारों द्वारा राम ढोल जो कि भारिया आदिवासी जनजाति का लोक नृत्य है, प्रस्तुत किया गया। यह नृत्य भीमसेन देव की आराधना में किया जाता है। सनातनी गुरु घासीदास के पंथ को मानने वाले लोक कलाकारों द्वारा छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध नृत्य पंथी प्रस्तुत किया गया। स्थानीय छंदक समूह के कलाकारों द्वारा ओडीसी नृत्य 3 भाग में पेश किया गया जिसमें शुरुआत में मंगलाचरण बीच में अभिनय शीत कमल एवं आखिर में शंकर पल्लवी प्रस्तुत किया गया।
प्रसिद्ध कलाकार रागिनी मक्खर एवं साथियों द्वारा गुरु पंडिता क्षमा भाटे के निर्देशन में राग मिश्र में निबंध झपताल में तराने व घराने दार बंदिशें प्रस्तुत की गई जो शिव के सत्यम शिवम सुंदरम स्वरूप को दर्शा गई।
पायल गिदवानी एवं सोना कस्तूरी ने बताया कि कला कार्यशाला में प्रीति अय्यर, एकता मेहता एवं पल्लवी जोशी द्वारा टेराकोटा बॉटल पेंटिंग ,वाटर कलर पेंटिंग, जुट, पेपर बैग, वॉल क्लॉक ,विंटेज बोटल आदि बनाना सिखाया गया।
लोक संस्कृति मंच के नितिन तापड़िया एवं पवन शर्मा ने बताया कि 30 दिसंबर को पंडवानी गायन, नौरता, झालरिया, गुजराती हुड्डा, कालबेलिया, बिहू, बधाई आदि नृत्य होंगे।