शहर के प्रबुद्धजनों ने मास्टर प्लान को लेकर प्रदेश सरकार की उदासीनता पर जताई चिंता।
मास्टर प्लान को लेकर इंदौर उत्थान अभियान के बैनर तले दिए कई सुझाव।
सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए निकालेंगे आशीर्वाद यात्रा।
इंदौर : शहर के प्रभारी मंत्री, नगरीय प्रशासन मंत्री, सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री से भी कई बार अनुरोध करने के बावजूद बढ़ते इंदौर की जरूरतों के अनुरूप मास्टर प्लान बनाने को लेकर मप्र सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही है। नया मास्टर प्लान 2035 तैयार करने का काम सरकार ने अधिकारियों के भरोसे छोड़ रखा है जबकि 2050 के इंदौर के विस्तार, अनुमानित जनसंख्या और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सर्वश्रेष्ठ मास्टर प्लान तैयार करना जरूरी है। जनभागीदारी के साथ शहर, देश और प्रदेश के श्रेष्ठ विशेषज्ञों की टीम बनाकर सर्वश्रेष्ठ मास्टर प्लान बनाया जा सकता है।
ये कहना है शहर के नियोजित विकास का सपना देखने वाले प्रबुद्धजनों का। इंदौर उत्थान अभियान के बैनर तले एकजुट होकर वे पत्रकार वार्ता के जरिए अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार के ध्यानाकर्षण के लिए वे जल्द ही बड़ा गणपति से खजराना गणेश मंदिर तक आशीर्वाद यात्रा भी निकालेंगे।l
मास्टर प्लान को लेकर होलकर महाराजाओं जैसी दिखाएं गंभीरता।
इंदौर उत्थान अभियान के अजीत सिंह नारंग और उनसे जुड़े तमाम समाजसेवी संगठनों का कहना है कि इंदौर के मास्टर प्लान को लेकर जो गंभीरता होलकर रियासत काल में तत्कालीन महाराजाओं ने दिखाई थी, वैसी ही गंभीरता वर्तमान जनप्रतिनिधियों और प्रदेश सरकार को भी दिखाने की जरूरत है। होलकर महाराजाओं ने इंदौर के विकास का स्वरूप निर्धारित करने के लिए देश – विदेश से सिटी डेवलपर एक्सपर्ट्स को बुलाया था। यही कारण है कि आज इंदौर अन्य शहरों की तुलना में बेहतर शहर है।
2050 तक मेगा सिटी बन जाएगा इंदौर।
इंदौर उत्थान अभियान से जुड़े प्रबुद्धजनों का कहना है कि इंदौर की जनसंख्या 2035 में 50 लाख और 2050 में एक करोड़ पार कर जाएगी। अर्थात इंदौर 2035 में मिनी मेगा सिटी और 2050 में मेगा सिटी का स्वरूप ले लेगा। ऐसे में क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य,महानगरीय पृष्ठभूमि और बेहतर नगरीय व उपनगरीय परिवहन सरंचना के बिना शहर का बेतरतीब ढंग से हो रहा विकास और विस्तार भविष्य में कई समस्याओं को जन्म देगा।अतः आवश्यक है की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सपनों के शहर इंदौर को सर्वश्रेष्ठ मेगा सिटी बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ मास्टर प्लान बनाया जाए।
बहुआयामी मेगा सिटी के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की जरूरत।
अजीतसिंह नारंग और अन्य प्रबुद्धजनों के अनुसार 2050 के इंदौर की प्लानिंग के लिए नगरीय नियोजक, परिवहन नियोजक, क्षेत्रीय नियोजक और तकनीकि रूप से दक्ष विशेषज्ञों के साथ भूगर्भ विज्ञानी, पर्यावरणविद, सामाजिक विज्ञान विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, इकोलॉजिस्ट और हाइड्रोलॉजिस्ट की सेवाएं भी लेना होंगी। इसके चलते देश – विदेश के एक्सपर्ट नगर नियोजकों से सलाह लेकर इंदौर का मास्टर प्लान बनाया जाना चाहिए।
15 बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित किया।
शहर के बेहतर मास्टर प्लान को लेकर लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे अजीत सिंह नारंग ने शहर के जल, मल निकास, पेयजल, सार्वजनिक परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, खेल मैदान, एम
प्रदूषण से मुक्ति सहित कई बिंदुओं पर प्रदेश सरकार का ध्यान आकर्षित करने के साथ सवाल भी खड़े किए हैं कि क्या ऐसा होना जायज नहीं है..?
- इंदौर का मास्टर प्लान देश का सर्वश्रेष्ठ मास्टर प्लान हो, इसके लिए विशेषज्ञ नगर नियोजकों की सेवाएं ली जाएं।
- शासन द्वारा घोषित महानगर क्षेत्र केवल 900 वर्ग किमी है, इसे बढ़ाकर 1690 वर्ग किमी किया जाना चाहिए। महानगर योजना समिति और क्षेत्रीय विकास समिति का गठन शीघ्र होना चाहिए।
- मास्टर प्लान प्राकृतिक अवधारणा पर बनें, जिसमें न कोई मालामाल हो और न कोई कंगाल हो।
- लगभग 4 लाख गरीबों को स्वास्थ्यप्रद जीवन उपलब्ध कराने हेतु उनकी बस्तियों का नियमितीकरण किया जाए। वर्ष 2005, 2011 और 2021 के प्रारूप में इसका प्रावधान था लेकिन विकास योजना 2021 घोषित होने पर इसका पालन नहीं किया गया।
- सड़कें चौड़ी करने हेतु जिनके मकान तोड़े गए हैं, उन्हें जल्द मुआवजा मिले इसके लिए टीडीआर के नियमों को तुरंत लागू करना जरूरी है।
- भू स्थल की वास्तविकता के सिद्धांत के अनुसार मास्टर प्लान बनाया जाए।
- संपूर्ण निवेश क्षेत्र क्षेत्रों में तमाम गतिविधियों का समान वितरण हो ताकि हर जगह सभी जीवन उपयोगी सुविधाएं मिल सकें।
- घोषित विकास योजना 2021 में गंदी और अवैध बस्तियों को आमोद – प्रमोद के क्षेत्रों में दर्शाया गया जो अनुचित था, भविष्य में इसतरह की गलतियां न हों, इसका ध्यान रखा जाए।
- आमोद – प्रमोद की गतिविधियां जो हरियाली से आच्छादित होकर मन को सुकून पहुंचाती है, के मापदंड व्यावहारिक और आर्थिक रूप से सक्षम बनाने वालें हों।
- इंदौर का विकास TOD और ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा पर हो।
- मिक्स यूजेस के प्रावधान, नई पार्किंग नीति और प्लॉट संयुक्तिकारण की व्यवस्था हो।
- ट्रांसपोर्ट नगर, अनाज मंडियां, लोहा मंडी, लॉजिस्टिक हब एकसाथ हो, वहां आने – जाने और रहने वाले लोगों को जीवन यापन की सुविधाएं मिले।
- इकोलॉजिकली सेंसिटिव जोन और प्राचीन धरोहरों का सरंक्षण किया जाए।
- नगरीयकरण प्रक्रिया से आर्थिक मजबूती के अवसरों का लाभ लेने के लिए लचीली मिश्रित लैंडयुज प्रणाली अपनाई जाए।
- शहर में खुली शासकीय भूमि का उपयोग हॉकर जोन, बगीचे, खेल मैदान, बस स्टॉप बनाने के साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों जैसी गतिविधियों के लिए सुनिश्चित किया जाए।
इंदौर उत्थान अभियान ने इंदौर के समन्वित और एकीकृत विकास हेतु इंदौर को महानगर घोषित करने के साथ महानगर नियोजन और विकास प्राधिकरण का गठन कर जल – मल प्राधिकरण बनाने पर भी जोर दिया है।