इन्वेस्टर्स समिट को लेकर सरकार की मंशा पर कमलनाथ ने उठाए सवाल।
भोपाल : पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इंदौर में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट को लेकर अपने बयान में मध्यप्रदेश में आए तमाम इन्वेस्टर्स का स्वागत किया है लेकिन मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं।उन्होंने कहा कि मप्र में विश्वास की एक नई परंपरा बने इस बात का हम स्वागत करते हैं ।परंतु निवेश तब आता है, जब निवेशकों को हमारे प्रदेश में विश्वास हो, केवल भाषण बाजी करने से और विज्ञापन व मीडिया इवेंट्स से निवेश नहीं आता। विज्ञापन तो विगत 18 वर्षों से चल रहे हैं। इन वर्षों में कई इन्वेस्टर्स समिट हुए। छह हजार पांच सौ प्रस्ताव आए। हम पूछना चाहते हैं की कितने प्रस्ताव धरातल पर उतरे ?
कौरवों से नहीं की आरएसएस की तुलना।
कमलनाथ ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एक सवाल पर कहा कि राहुल गांधी ने आरएसएस की तुलना कौरवों से नहीं की।उन्होंने धार्मिक और अधार्मिक होने के अंतर को समझाया है । केवल नेकर पहन लेने से कोई धार्मिक नहीं हो जाता । हम भी धार्मिक हैं । हम जब भी किसी धार्मिक आयोजन में जाते हैं भाजपा और आरएसएस के पेट में दर्द शुरू हो जाता है। क्या धर्म की कोई एजेंसी डिस्ट्रीब्यूटरशिप भाजपा के पास है?
प्रवासी भारतीयों के साथ हुआ घटनाक्रम दु:खद।
बड़े ही दुख की बात है कि अप्रवासी भारतीय सम्मेलन में पधारे तमाम NRI बंधुओं को असुविधा का सामना करना पड़ा। यह मध्यप्रदेश की परंपरा नहीं है।
प्रोजेक्ट का इंपैक्ट असेसमेंट कर लेते तो जोशी मठ में ये समस्या नहीं आती।
कमलनाथ ने कहा कि उत्तराखंड के जोशी मठ के तमाम लोग आरोप लगा रहे हैं कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था परंतु वहां के इकोसिस्टम में गड़बड़ी होने के कारण सरकार को चाहिए था कि पहले प्रोजेक्ट का इंपैक्ट एसेसमेंट कर लेते ताकि यह समस्या ना होती।
मैंने आप सबसे पहले भी कहा था कि पुलिस के कुछ अधिकारी कुछ वीडियो मुझे लैपटॉप पर दिखाने लाये अवश्य थे ,परंतु मैंने तत्काल इस विषय में गंभीरतापूर्वक जांच के आदेश दे दिए थे। मैं नहीं चाहता था मध्यप्रदेश की बदनामी हो।
करणी सेना से बात करें सरकार।
करणी सेना के आंदोलन को लेकर पूछे गए सवाल पर कमलनाथ का कहना था कि किसी भी बात का हल चर्चा के माध्यम से किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री और सरकार को समझना चाहिए कि उनका आक्रोश किस बात पर है। उनकी बात सुनकर रास्ता निकालने का प्रयास करना चाहिए। मैंने अपनी सरकार में यह परंपरा बनाई थी कि सभी संगठनों की समस्या को सुना जाए और उनसे बातचीत की जाए।
अधिकारियों को दी चेतावनी।
कमलनाथ ने कहा कि जो अधिकारी- कर्मचारी बीजेपी का बिल्ला लिए जेब में घूम रहे हैं अथवा जो पुलिसकर्मी अपनी वर्दी का या जो अधिकारी अपनी शपथ का सम्मान नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ एक्शन जरूर लेंगे। जो लोग ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं उन्हें डरने की क्या आवश्यकता है?
बीजेपी ने पैसे और प्रशासन के बल पर लड़ा निकाय चुनाव।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा जनपद और नगरीय निकाय चुनाव पुलिस पैसे और प्रशासन के बलबूते पर लड़ा गया है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाया जा रहा है और उन पर झूठे केस लगाए जा रहे हैं। भाजपा जानती है कि उनके पास अब जनाधार बचा नहीं है इसीलिए इस प्रकार के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।