इंदौर : जिला कोर्ट के स्थानांतरण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। पीपल्याहाना तालाब की जमीन पर जिला कोर्ट की नई बिल्डिंग बनाए जाने के खिलाफ इंदौर अभिभाषक संघ की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए ग्राह्य कर ली है। इसी के साथ मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले को संज्ञान में लिया है।
इंदौर अभिभाषक संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा ने पत्रकार वार्ता के जरिये यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिला कोर्ट के विस्तार की लड़ाई वे बरसों से लड़ रहे हैं। सरकार को विस्तारीकरण के लिए उन्होंने जिला कोर्ट से लगी 22 एकड़ जमीन सुझाई थी पर सरकार ने वहां न्यू सियागंज मार्केट बना दिया। अभी भी वहां 14 एकड़ जमीन उपलब्ध है जहां जिला कोर्ट की नई बिल्डिंग बनाई जा सकती है लेकिन प्रदेश सरकार उनके सुझाव को दरकिनार कर पीपल्याहाना तालाब की जमीन पर ही जिला कोर्ट को ले जाना चाहती है। तमाम प्रयासों के बाद भी सरकार अपना निर्णय बदलने को तैयार नहीं है।
श्री वर्मा का कहना है कि पीपल्याहाना तालाब से आसपास की 50- 60 कालोनियों का भूजल स्तर रिचार्ज होता है। बावजूद इसके सरकार तालाब खत्म करने पर आमादा है। जल के स्रोत को खत्म करना पर्यावरण की दृष्टि से भी घातक है। सरकार की बेरुखी के चलते अभिभाषक संघ ने एनजीटी में शिकायत करने के साथ ही मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट की भी शरण ली है। वे पीपल्याहाना तालाब को बचाने की लड़ाई आखरी दम तक लड़ेंगे।
पीपल्याहाना तालाब की जमीन पर जिला कोर्ट ले जाने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
Last Updated: August 31, 2019 " 07:59 am"
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