दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत : हिमांशु राय

  
Last Updated:  March 3, 2024 " 03:15 am"

आईएमए के इंटरनेशनल मैनेजमेंट कॉन्क्लेव के पहले दिन विभिन्न सत्रों में चला चर्चा और विमर्श का दौर।

इंदौर : आइएमए (इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन) के 31 वे दो दिवसीय इंटरनेशनल मैनेजमेंट कॉन्क्लेव की शुरुआत शुक्रवार एक मार्च को हुई।पहले दिन विभिन्न सत्रों के माध्यम से कारोबार और प्रबंधन से जुड़े विशेषज्ञों ने अपने विचार रखें। उन्होंने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य, भारत की आर्थिक ग्रोथ और भविष्य की संभावनाओं पर तथ्यों के साथ अपनी बात कही।

पहले सत्र में आईआईएम इंदौर के निदेशक डॉ. हिमांशु राय ने वैश्विक परिदृश्य में भारत की बढ़ती भागीदारी और अहमियत पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि अत्यधिक कुशल कार्यबल और स्वास्थ्य देखभाल में प्रगति के साथ भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। व्यक्तिगत और व्यवसायिक सफलता के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत को जरूरी बताया।

विश्वसनीय अतीत सुनहरे भविष्य की गारंटी नहीं।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप भारत के प्रबंध निदेशक अल्पेश शाह ने कहा कि विश्वसनीय अतीत भरोसेमंद भविष्य की गारंटी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि समय के साथ सतत प्रयास के अच्छे परिणाम मिलते हैं। असीमित कम्प्यूटिंग शक्ति और डेटा विश्लेषण कार्यों को आसान बनाते हैं। कंपनियों को बदलावों के अनुरूप रणनीतियां बनानी चाहिए।

उद्योगों में डिजिटल नवाचार और सौंदर्यशास्त्र समय की मांग।

वास्तुविद मनीष गुलाटी ने वास्तुकला पर एआई के प्रभाव, डिजाइन और निर्माण प्रक्रियाओं में बदलाव को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि उद्योगों में डिजिटल नवाचार और सौंदर्यशास्त्र का समावेश समय की मांग है।

अर्थव्यवस्था में बढ़ रही रियल स्टेट की भागीदारी।

इंटरग्रो एसेट मैनेजमेंट के संस्थापक रामाश्रय यादव ने भारत की उभरती अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आगामी 8 – 9 साल में विनिर्माण (रियल स्टेट) क्षेत्र की भागीदारी बढ़कर एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि भारत एक वैश्विक निवेश केंद्र के रूप में उभर रहा है।

नया सीखने की मानसिकता विकसित करें।

एसपी जैन स्कूल ऑफ ग्लोबल मैनेजमेंट के निदेशक डॉ. परिमल मर्चेंट ने असफलताओं से सीखने और विकास की मानसिकता बनाए रखने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बदलाव का दौर नया नहीं है, पहली बार हम इसे खुलकर स्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमेशा कुछ नया सीखने में संकोच न करें। पारिवारिक व्यवसाय में अवसरों को पहचाने और चुनौतियों को स्वीकार करें।

ब्रांड भारत उदय, आश्चर्य और उद्यम प्रदान करता है।

समसिका मार्केटिंग कंसल्टेंट्स प्रा. लि. के संस्थापक और एमडी जगदीप कपूर ने कहा कि ब्रांड भारत की क्षमता और मजबूती के लिए नई संचार रणनीतियां अपनाएं।उन्होंने मार्केटिंग के मंत्र साझा करते हुए कहा कि जो दिखता है वो बिकता है। अगर आप दिमाग खोलोगे तो बाजार खुलेगा। ब्रांड भारत उदय, आश्चर्य और उद्यम प्रदान करता है। उन्होंने भरोसा जताया की भारत 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश जल्द बनेगा।

ग्लोबल सीएसओ एम बालासुब्रमण्यम ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने में छात्रों की अहम भूमिका है।जब हम विकसित भारत के बारे में बात करते हैं तो छात्र उत्प्रेरक होते हैं।उन्होंने कहा कि सफल होने के लिए असफलता जरूरी है।उन्होंने कहा कि छात्रों को सक्षम बनाने और उद्योग का अनुभव प्राप्त करने हेतु प्रयास करने की भी जरूरत है।

कैपिलरी के वैश्विक सीईओ और कार्यकारी निदेशक समीर गार्ड ने भारत की विकसित होती पहचान और वैश्विक लीडर बनने की क्षमता पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आनेवाले समय में भारत महाशक्ति बनेगा। भारत अब खुद को परिभाषित करेगा।

पेशेवर लोग भी आ रहे स्टार्टअप में।

जियो जेन नेक्स्ट के प्रमुख अमेय माशेलकर ने ग्राहकों के जीवन को बेहतर बनाने में तकनीक की अहमियत को बताया। उन्होंने इंदौर के स्टार्टअप के क्षेत्र में बढ़ते कदमों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि अच्छी प्रतिभा, कम लागत, क्षमता, जीवनयापन के कम खर्च और संसाधनों की उपलब्धता इंदौर को स्टार्टअप का हब बनाने में सहायक साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब पेशेवर लोग भी स्टार्टअप में आ रहे हैं। वांछित लक्ष्य हासिल करने के लिए दीर्घकालीन रणनीति अपनाने पर भी माशेलकर ने जोर दिया।

गलतियां करना सीखने की स्वाभाविक प्रक्रिया है।

विश्व के सबसे युवा रॉकेट वैज्ञानिक डॉ. जतिन वाहने ने कहा कि रॉकेट साइंस के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण नियम सावधानी बरतना है।ये पहचानना की गलतियां करना सीखने की प्रक्रिया का स्वाभाविक हिस्सा है।उन्होंने कहा कि किसी भी पेशे की जटिल यात्रा में छोटे कदम वास्तव में मायने रखते हैं।जो आवश्यक है, उसपर ध्यान केंद्रित करें।

कॉन्क्लेव के पहले दिन बौद्धिक चर्चाएं और विमर्श के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए गए।

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