अब 10 मई को फूटेगा बम !
कोर्ट को सौंपी फैकल्टी डॉटा वाली पेन ड्राइव ।
♦️कीर्ति राणा♦️
इंदौर : कांग्रेस के दगाबाज-नए नवेले भाजपाई अक्षय कांति बम भले ही भाजपा नेताओं के विश्वास पर खरे उतर गए हों लेकिन अदालती मामले ऐसे दलबदल से प्रभावित होते हैं या नहीं यह 10 मई को स्पष्ट हो जाएगा।जिन मामलों में उलझे अक्षय ने स्थायी राहत के लिए राम राम जपना शुरु किया है उन मामलों में 10 मई को सुनवाई है जेयानी अदालती बम उस दिन फूट सकता है। वह बम इस बम की तरह फुस्सी रहेगा या अक्षय का क्षय करेगा यह इंतजार उन सभी को भी है जो इस विचित्र राजनीतिक घटनाक्रम को हजम नहीं कर पा रहे हैं।
जिस अदालती मामले में अक्षय कांति बम उलझे हुए हैं, वह मामला यह है कि उनके लॉ कॉलेज में रहे पुराने फैकल्टीज ने मिलकर परिवाद दायर करा दिया है। दायर हुए इस परिवाद के बाद कोर्ट ने पुलिस से एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
अक्षय कांति बम इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ कॉलेज का संचालन 2003 से कर रहे हैं।इसी कॉलेज के स्टॉफ से धोखाधड़ी, प्रताड़ना के आरोप पर छात्रों के साथ फैकल्टीज ने पहले आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा, सीबीआई तक से जांच कराने के ज्ञापन दिए थे। बाद में जिला कोर्ट में वरिष्ठ अभिभाषक कृष्ण कुमार कुन्हारे के माध्यम से परिवाद भी दायर कर दिया। इस मामले में परिवाद को लेकर सुनवाई तो होना ही है एक अन्य 17 साल पुराने जमीन विवाद में भी अक्षय की पेशी है, जिसमें धारा 307 बढ़ा दी गई है।
चुनाव के बीच भाजपा विधायक रमेश मेंदोला के क्षेत्र वार्ड नंबर 24 में रहने वाली लॉ स्टूडेंट ने प्रताड़ित किए जाने की शिकायत की। उसने 8 अप्रैल 2024 को ज्ञापन देकर कहा कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है इसलिए कॉलेज की मान्यता रद्द करें। एक ज्ञापन ईओडब्ल्यू में भी दिया गया था। इस पर भी छानबीन शुरू कर दी गई लेकिन अक्षय ने जब यकायक पाला बदल दिया तो इन मामलों की जांच भी थम गई। यही नहीं बम के खिलाफ शिकायत करने वाली लॉ स्टूडेंट भी हिन्द राष्ट्र संगठन में इंदौर जिले की महामंत्री पदस्थ हो गईं।
यह शिकायत की थी :-
लॉ स्टूडेंट ने कॉलेज के चेयरमैन डॉ. अक्षय कांति बम, डायरेक्टर डॉ. मनप्रीत कौर राजपाल, प्रिंसिपल डॉ. विनोद पाटीदार, एचओडी एचआर प्रबंधन के विरुद्ध 5 अप्रैल 2024 को पुलिस सहित आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में शिकायत दर्ज कराई। इसका नेतृत्व हिंद राष्ट्र नाम के संगठन ने किया। इसके प्रमुख इंदौर के भाजपा नेता राजेश शिरोडकर हैं। यह ज्ञापन 8 अप्रैल को रीगल चौराहा स्थित पुलिस कार्यालय पर दिया था।
अक्षय के कॉलेज इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ की पुरानी फैकल्टी की ओर से दायर किए गए परिवाद के संबंध में एडवोकेट कृष्ण कुमार कुन्हारे ने बताया कि डॉ. कविता दवे, विशाल पुराणिक, रुपाली व अन्य असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कॉलेज में नौकरी करते थे, बाद में कॉलेज छोड़ दिया था। जिस रश्मि शुक्ला को 2024 तक फैकल्टी बताया है उसने तो नवंबर 2022 में ही आत्महत्या कर ली थी।लेकिन कॉलेज मैनेजमेंट ने वेबसाइट पर नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के डेटा में असिस्टेंट प्रोफेसर रश्मि शुक्ला, विशाल पुराणिक,आशीष कुमार सोनी, डॉ. माधुरी मोदी, डॉ. योगिता मेनन, डॉ. योगिता चौहान, अमरेश पटेल, नवीन दवे, सौरभ कुमार, डॉ. दिनेश अशोक, डॉ. कविता दुबे, करण जीत कौर, रुपाली को कॉलेज में नियमित हनौकरी पर दिखाया। यह डेटा मार्च-अप्रैल 2024 में ही अपलोड किया गया। फैकल्टी के दस्तावेजों के जरिए नेक रैंकिंग A + एवं ऑटोनोमस स्टेटस भी प्राप्त किया था।
वरिष्ठ अभिभाषक कृष्ण कुमार कुन्हारे ने बताया कि दस्तावेजों में फैकल्टी के नामों में रश्मि शुक्ला को 2024 तक रेगुलर वेतन देना बताया है जब कि उसकी मौत नवंबर 22 में हो चुकी है।एक अन्य फैकल्टी गुना में रेडियो जॉकी के रूप में कार्यरत है, उसका नाम भी फैकल्टी में शामिल है।एडवोकेट कुन्हारे के मुताबिक कॉलेज प्रबंधन ने तो फैकल्टीज़ से जुड़ा सारा डाटा उड़ा दिया था लेकिन हमने कोर्ट में एक पेन ड्राइव पेश की है, जिसमें वो सारा डाटा मौजूद है।कोर्ट ने यह पेन ड्राइव एक बंद लिफाफे में पुलिस को सौंपने के साथ एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।