शहर भर में रही बाल – गोपाल के जन्मोत्सव की धूम

  
Last Updated:  August 25, 2019 " 03:21 pm"

इंदौर : देश और प्रदेश के साथ इंदौर में भी कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आस्था और उल्लास के साथ मनाया गया। बाल गोपाल के जन्मोत्सव की खुशी श्रद्धालुओं के चेहरे पर देखते ही बन रही थी। शहर के तमाम मंदिरों में कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रही।
गीता भवन में जन्माष्टमी का उत्सव हरिद्वार से आए स्वामी श्री सर्वेश चैतन्य के सान्निध्य में मनाया गया। अभिषेक पूजन के साथ श्रीकृष्ण के जन्म की महत्ता पर भी स्वामी सर्वेश चैतन्य ने प्रकाश डाला। बाल गोपाल के जन्म के बाद उन्हें पलने में झुलाया गया। मंगल गीत गाए गए और जय कन्हैयालाल की जयघोष से मन्दिर परिसर गूंज उठा। बाद में आरती और प्रसाद वितरण भी किया गया। इस मौके पर गीता भवन को आकर्षक ढंग से सजाया गया था।

विद्याधाम में मनाया गया नंदोत्सव।

एयरपोर्ट रोड स्थित विद्याधाम में महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सान्निध्य में नंदोत्सव मनाया गया। यहां देवकीनंदन के बाल रूप की झांकी सजाकर माखन मिश्री व 56 भोग लगाया गया। दिनभर यहां बाल गोपाल के दर्शन, पूजन और नौका विहार की झांकी निहारने के लिए लोगों का तांता लगा रहा।

हँसदास मठ में राधा – कृष्ण का मनोहारी श्रृंगार।

प्राचीन हँसदास मठ में कृष्ण जन्मोत्सव उल्लास के साथ मनाया गया। यहां 6 फुट ऊंची राधा – कृष्ण की दिव्य प्रतिमाओं का मनोहारी श्रृंगार किया गया था। मन्दिर के सामने स्थित जलाशय एवम फव्वारे में राधा – कृष्ण की मनोहारी छवि देखते ही बनती थी। यहां हुई महाआरती में सैकड़ों कृष्ण भक्त शामिल हुए।

कृष्ण भक्तों ने गौशाला में मनाया जन्मोत्सव।

केशरबाग रोड स्थित अहिल्या माता गौशाला में बाल – गोपाल का प्रकटोत्सव धूमधाम से मनाया गया। यहां ठाकुरजी के विग्रह को गौशाला स्थित सप्त गौमाता मन्दिर में स्थापित कर गौमाता के साथ उनका पूजन किया गया। इस मौके पर बच्चों को राधा – कृष्ण की वेशभूषा में सजाकर यहां लाया गया था। पूजन व अभिषेक के बाद हुई महाआरती में भी सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया।

महाप्रचंड हनुमान मंदिर में भी मनाई जन्माष्टमी।

माली मोहल्ला एमओजी लाइंस स्थित महाप्रचंड़ हनुमान मंदिर में जन्माष्टमी उत्सव दो दिन मनाया गया। लादुनाथ महाराज गुरु आश्रम न्यास के बैनर तले मनाए गए इस उत्सव में भजन संध्या, पूजन, अभिषेक के साथ नंदोत्सव का भी आयोजन किया गया। इस मौके पर कृष्ण के बाल रूप का मनोहारी श्रृंगार किया गया था।

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