हजारों श्रद्धालुओं ने हाथों से खींचा प्रभु वेंकटेश का रजत रथ।
रथयात्रा का मार्ग में पुष्प वर्षा कर किया गया जोरदार स्वागत।
नासिक से आए ढोल – ताशा पथक ने दी विशेष प्रस्तुति।
रथयात्रा में शामिल झांकियां रहीं आकर्षण का केंद्र।
शेषावतार श्री रामानुज स्वामी कमल पुष्प पर विराजमान होकर दर्शन देने निकले।
इंदौर : पावनसिद्ध धाम श्री लक्ष्मी – वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग से देश की तीसरी सबसे बड़ी पारंपरिक रथयात्रा गोविंदा गोविंदा के जयघोष के साथ निकली। ठाकुरजी की एक झलक पाने को हजारों भक्त आतुर नजर आए।भगवन वेंकटेश अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए पूरे लाव लश्कर के साथ रजत रथ में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलें। जगतगुरु रामानुजाचार्य नागोरिया पिठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज यात्रा में पैदल चलते हुए भक्तो को आशीर्वाद प्रदान कर रहे थे। विभिन्न मार्गों से होती हुई ये रथयात्रा देर रात पुनः मंदिर परिसर पहुंचकर समाप्त हुई। जगह — जगह सजाए गए मंचों से पुष्पवर्षा कर यात्रा का भव्य स्वागत किया गया।
इसके पूर्व नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्यजी जी महाराज के साथ सत्यनारायण शर्मा,,पवन लड्डा परिवार(गुणवद) रमेश विजय चितलांगया परिवार, वेंकटेश मंदिर ट्रस्ट कमेटी के रवींद्र धूत, ब्रम्होत्सव समिति के महेंद्र नीमा, रंगेश बियाणी,दिनेश गुप्ता, सुमित मंत्री, पंकज तोतला, भरत तोतला, अशोक डागा, केलाश मुंगड़,पवन व्यास, आशीष लड्डा, अंकित जाखेटिया और बालमुकुंद तोषनीवाल ने रथ का पूजन किया।
इसके बाद वेंकट रमणा गोविन्दा के उदघोष के साथ रथयात्रा शुरू हुई। हजारों श्रद्धालु रथयात्रा के साथ चल रहे थे।रथयात्रा छत्रीबाग से प्रारंभ होकर नरसिंह बाज़ार , सीतलामाता बाज़ार , गोरकुण्ड चौराहा , शक्कर बाज़ार,बड़ा सराफा, पीपली बाज़ार, बर्तन बाजार, बजाजखाना, साठा बाजार से होते हुए देर रात पुनः मदिर परिसर पहुंची। मार्ग में लगे सैकड़ों मंचो से रथ यात्रा का फूल बरसाकर भव्य स्वागत किया गया। कई स्थानों पर धार्मिक,सामाजिक संगठनों, परिवारों और कारोबारियों ने प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की थी।
संदेशपरक मनोहारी झांकियां रहीं आकर्षण का केंद्र।
रथयात्रा में देश की प्रगति , उन्नति का संदेश प्रमुखता से दिया गया रथयात्रा में गौ माता की रक्षा करने और हर दिन के चूल्हे की पहली रोटी गाय तक पहुचने की अपील को मार्मिकता के साथ उठाया गया। शेषावतार श्री रामानुज स्वामीजी को कमल के पुष्प पर विराजमान किय्या गया था। इसके अलावा भारत माता,देवी अहिल्याबाई होलकर, अयोध्या में विराजित रामलला,
समुद्र मंथन और भगवान जग्गनाथ की झांकियां आकर्षण का केंद्र बनीं रहीं।
सबसे आगे राजकमल बैंड के साथ 21 घोड़ो पर भगवा पताका लिए कमांडो की विशेष पोशाख में युवा चल रहे थे।देश भर से पधारे 21 संत बग्गियों में विराजमान होकर भक्तो को आशीर्वाद दे रहे थे।
इसके पीछे चांदी के ठाकुरजी की सवारी के वाहन के रूप में गरुड़ वाहन , हनुमान वाहन , अश्व वाहन , गज वाहन , मंगलगिरी चल रहे थे। इन वाहनों पर ठाकुरजी के चित्र विराजित थे।
भजनों से माहौल हुआ उल्लासमय।
देवास से पधारे द्वारका दास मंत्री उनके साथी और हरिकिशन साबू भोंपुजी रथयात्रा में भजनों की रस गंगा प्रवाहित कर माहौल को भक्तिमय बना रहे थे। महिलाएं और युवतियों का समूह भजनों पर नृत्य करते हुए उल्लास का नजारा पेश कर रहे थे।
नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपंनचार्य महाराज पूरे लाव लश्कर व छड़ी छत्र के साथ भक्तों को आशीर्वाद देते पैदल चल रहे थे।सजी धजी विन्टेज कार में नागुनेरी से पधारे वानमामलै रामनुज जीयर स्वामीजी महाराज विराजमान हो भक्तों को दर्शन दे रहे थे।
नासिक से आए ढोल -,ताशा पथक ने बांधा समां।
रथयात्रा में नासिक से आये 80 लड़के व लड़कियों के ढोल – ताशा पथक अपनी प्रस्तुति देते हुए चल रहा था। भगवा लहराते हुए ढोल – ताशों का सामूहिक निनाद माहौल को ऊर्जा से सराबोर कर रहा था।
प्रभु वेंकटेश के रथ को हाथों से खींच रहे थे श्रद्धालु।
फूलों से सजे धजे रजत रथ में प्रभु वेंकटेश, श्री देवी, भू देवी के साथ विराजमान भक्तों को दिव्य दर्शन दे रहे थे। श्रद्धालुओं में प्रभु के रथ को हाथों से खींचने की होड़ मची हुई थी।मार्ग में अनेक स्थानों पर थाली सजाकर प्रभु की आरती व गुरुदेव का चरण पूजन किया गया। रथयात्रा भ्रमण करते हुए देर रात पुनः वेंकटेश मंदिर पहुंचकर समाप्त हुई।रथयात्रा में 250 कार्यकर्ताओं की टीम ने पूरे मार्ग पर व्यवस्था संभाल रखी थी। इसके पहले सुबह के सत्र में मंदिर स्थित गौशाला में गौ अन्नकूट महोत्सव भी मनाया गया।