गौमाता कृषि व पर्यावरण के जीवन की धुरी है : संघ प्रमुख भागवत

  
Last Updated:  January 6, 2025 " 12:13 am"

मंडलेश्वर : भारत भूमि हजारों सालों से उर्वर रही है, इसका कारण गौ आधारित कृषि है। भारत में गौमाता केवल दूध का स्रोत नहीं है, अपितु कृषि और पर्यावरण के जीवन की धुरी है। ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने मंडलेश्वर में माधवाश्रम गौशाला में व्यक्त किये।

मंडलेश्वर में तीन दशक पूर्व माधवाश्रम न्यास द्वारा गौशाला प्रारंभ की गई। आज यह गौशाला निमाडी नस्ल की गाय को विकसित और संरक्षित करने का शोध केन्द्र बन चुकी है। जैविक खाद और नाफेड खाद सहित वर्मी कंपोस्ट का भी यहाँ उन्नयन और उत्पादन हो रहा है। इस गौशाला में ग्राम विकास के विभिन्न आयामों के प्रशिक्षण के लिय प्रशिक्षण केन्द्र भी विकसित किया गया है।

गौशाला निर्माण में प्रारंभिक सहयोग करने वाले समाजसेवी अरविंद जोशी का संघ प्रमुख के हाथों शाल श्रीफल भेंटकर सम्मान किया गया।

सर संघचालक ने गौशाला दर्शन के साथ ही माँ नर्मदा और गौमाता का पूजन किया। उन्होंने नक्षत्र वाटिका का अवलोकन भी किया।

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