कैलाशजी ने बुजुर्गों व विशेष बच्चों संग बांटी दीपोत्सव की खुशियां

  
Last Updated:  October 27, 2019 " 12:25 pm"

इंदौर : प्रभु श्रीराम के लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाए जाने वाले महापर्व ‘दिवाली’ की खुशियां लोग आमतौर पर घर- परिवार और परिचितों के साथ मनाते हैं लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय दिवाली का पर्व बुजुर्गों और उन विशेष बच्चों के साथ मनाते हैं जिनके साथ कुदरत ने तो नाइंसाफी की ही है, अपनों ने भी उन्हें पराया कर दिया है। इस बार आसमान से बरसती बूंदें आफत बनकर दीप पर्व के उत्साह पर पानी फेरने पर आमादा थी लेकिन कैलाशजी ने तय कर रखा था कि चाहे कोई भी बाधा आए वे दिवाली की खुशियां बुज़ुर्गों और विशेष बच्चों के साथ जरूर बाटेंगे।

बरसते पानी में हुआ कार्यक्रम।

रविवार सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे कैलाशजी आईटीआई रोड स्थित आस्था वृद्धाश्रम पहुंचे। बरसते पानी के बीच उनके साथियों ने तमाम व्यवस्थाएं कर रखीं थीं। आस्था वृद्धाश्रम के बुज़ुर्गों के अलावा वानप्रस्थ आश्रम के बुजुर्ग, महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ के दृष्टिहीन बच्चे और मूक – बधिर व मानसिक रूप से कमजोर बच्चों ने भी बरसते बादलों को ठेंगा दिखाते हुए कार्यक्रम में जोर – शोर से भाग लिया। टेंट की छत से पानी टपक रहा था पर बुज़ुर्गों व बच्चों के उत्साह में कोई कमीं नहीं थी।

बच्चों, बूज़ुर्गों के साथ खेली अंताक्षरी।

दिवाली महापर्व पर बच्चों व बुजुर्गों के उत्साह को परवान चढ़ाते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने उनके साथ अंताक्षरी खेली। देखते ही देखते एक से बढ़कर एक गीतों की बानगी का सिलसिला शुरू हो गया। क्या बच्चे, क्या बुज़ुर्ग सभी ने बढ़- चढ़कर अंताक्षरी में भाग लिया। इस दौरान उनका उत्साह देखते ही बनता था। लगभग डेढ़ घंटे चली इस सुरीली कॉम्पिटिशन में बाजी दृष्टिहीन बच्चों के हाथ लगी। उन्हें विजेता घोषित किया गया।

भजनों पर जमकर थिरके बच्चे, बुजुर्ग।

कैलाशजी ने अंताक्षरी के बाद भजनों की प्रस्तुति दी। भजनों पर बच्चो व बूज़ुर्गों ने जमकर ठुमके लगाए। इस दौरान उनकी खुशी देखते ही बनती थी। अंत में रामचरित मानस की एक चौपाई गाकर कैलाशजी ने कार्यक्रम का समापन किया।

दृष्टिहीन बालिका रानू का बनाया जन्मदिन।

इस मौके पर दृष्टिहीन बालिका रानू का जन्मदिन भी मनाया गया। कैलाशजी ने रानू को मिठाई खिलाई और उपहार देकर उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। बाद में सभी बच्चों व बूज़ुर्गों को कपड़े, मिठाई और पटाखे उपहार में दिए गए। सभी के लिए स्वादिष्ट भोजन का इंतजाम भी किया गया था।

35 साल से जारी है खुशियां बांटने का सिलसिला।

बाद में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि वे 35 वर्षों से बुजुर्गों और विशेष बच्चों के साथ राखी और दिवाली की खुशियां बांटते चले आ रहे हैं। इनके चेहरों पर खुशी देखकर त्योहार का आनंद दुगुना हो जाता है। प्रयास यही होता है कि इन्हें घर- परिवार की कमीं महसूस न हो।

अयोध्या का दृश्य देखकर लगा रामजी लौट आए।

शनिवार रात अयोध्या लाखों दियों से जगमगा रही थी। उसके बारे में पूछे गए सवाल पर कैलाशजी का कहना था की वह दृश्य देखकर कल्पना की जा सकती है कि त्रेता युग में लंका विजय के बाद प्रभु श्रीराम अयोध्या लौटे थे तो कुछ ऐसा ही नजारा रहा होगा। कैलाशजी ने राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आनेवाले फैसले के बारे में सवाल किए जाने पर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि फैसला देशहित में आएगा।

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