PICOM-25 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य समापन,
उत्कृष्ट शोध पत्रों, पीएचडी थीसिस को मिला सम्मान।
इंदौर: प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च (PIMR) द्वारा आयोजित 20वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन PICOM-25 का समापन रविवार को हुआ। ‘उद्योग 5.0 के युग में मानव-मशीन समन्वय: व्यापार परिवर्तन को पुनर्परिभाषित करना’ विषय पर केंद्रित इस सम्मेलन में वित्त, कॉर्पोरेट प्रशासन, स्वास्थ्य देखभाल में जनसंपर्क और उपभोक्ता व्यवहार सहित विभिन्न क्षेत्रों पर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन और प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी के चांसलर, डॉ. डेविश जैन ने कहा कि दो दिनों में भारत और दुनिया भर के 150 से अधिक विद्वानों और विशेषज्ञों ने अपने शोध और विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने उद्योग और शिक्षा के बीच की खाई को पाटने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि शोध को व्यावसायिक रणनीतियों में बदलना आवश्यक है, ताकि शिक्षण संस्थान नवाचार के केंद्र बने रहें। डॉ. जैन ने कहा कि व्यवसायों को केवल स्वचालन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग बुद्धिमान निर्णय लेने और समस्याओं के समाधान के लिए किया जाना चाहिए। AI का उद्देश्य मानव क्षमताओं को प्रतिस्थापित करना नहीं, बल्कि उन्हें और अधिक सशक्त बनाना होना चाहिए।
सम्मेलन में उद्योग 5.0 के विकास, नवाचार और शोध की दिशा में गहन विमर्श हुआ। इस अवसर पर सम्मेलन की स्मारिका का विमोचन भी किया गया, जिसमें प्रमुख वक्ताओं के विचार, शोध पत्रों का संकलन और सम्मेलन की मुख्य झलकियां शामिल हैं। इसी के साथ “रिसर्च मेथडोलॉजी वर्कशॉप” का अनावरण भी किया गया, जो शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को अनुसंधान पद्धतियों को प्रभावी रूप से अपनाने का मंच प्रदान करेगी।
समापन समारोह में डॉ. ज्योति लालजानी को सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जबकि देवेश मोहन को “आउटस्टैंडिंग एलुमनस अवार्ड” प्रदान किया गया। शरद चतुर्वेदी को “पीआईएमआर यंग लीडर अवार्ड” से नवाजा गया। 21 विद्यार्थियों को मेरिट आधारित छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया।
PIMR के ग्रुप डायरेक्टर डॉ. एस. एस. भाकर ने कहा कि यह सम्मेलन उद्योग 5.0 के लिए एक स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करेगा और भविष्य में तकनीकि नवाचार को नई दिशा देगा। PICOM-25 ने मानव और मशीन के समन्वय से व्यापार परिवर्तन के नए आयामों पर एक महत्वपूर्ण संवाद स्थापित किया। अनुसंधान व नवाचार की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।