वित्त मंत्री ने पिछले बजट में की गई किसी घोषणा का हिसाब नहीं दिया।
किसान, महिलाओं और बेरोजगारों से वादा खिलाफी का बजट।
भोपाल : मध्य प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने वित्तीय वर्ष 2025 – 26 का जो बजट पेश किया है, उसमें सिर्फ बातों के बताशे बनाए गए हैं और जनहित का मुद्दा पूरी तरह सफाचट है। हद तो इस बात की है कि चुनाव के बाद दूसरा बजट पेश कर दिया गया लेकिन चुनाव में किए गए वादे अब तक नहीं निभाए गए। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक बयान में यह बात कही।
कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश की बहनें इस बात की प्रतीक्षा कर रही थीं कि बजट में उन्हें ₹3000 प्रति महीने लाडली बहना योजना में दिए जाने की घोषणा की जाएगी। लेकिन सरकार ने अपने चुनावी वादे के बारे में एक शब्द नहीं बोला। दूसरी तरफ जब से वर्तमान सरकार बनी है, लाडली बहना योजना में महिलाओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है।
ऐसा नहीं है कि मध्य प्रदेश सरकार सिर्फ लाडली बहना योजना में हितग्राहियों की संख्या कम कर रही है बल्कि कन्या विवाह योजना में भी 2023-24 की तुलना में 2024-25 में 77% हितग्राही कम हो गए हैं। 2023-24 में जहां 59445 बेटियों को कन्या विवाह योजना में लाभार्थी बनाया गया था, वहीं 2024-25 में यह संख्या घटकर 13490 रह गई है।
इसी तरह किसान भाइयों को उम्मीद थी कि बजट में गेहूं और धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार ₹2700 प्रति क्विंटल और 3100 रुपए प्रति क्विंटल करने की घोषणा की जाएगी लेकिन इस बारे में भी वित्त मंत्री ने एक शब्द नहीं बोला। मध्य प्रदेश का किसान निरंतर खाद, बीज, बिजली और पानी के संकट से जूझता है लेकिन इस दिशा में बजट में कोई कदम नहीं उठाया गया।
कमलनाथ ने कहा कि पिछले बजट में वित्त मंत्री ने प्रदेश में रोजगार सृजन का वादा किया था लेकिन इस बजट में ऐसा कोई आंकड़ा पेश नहीं किया कि पिछले 1 साल में प्रदेश में कितनी सरकारी नौकरी, कितनी निजी नौकरी और कितना रोजगार सृजित किया गया। बल्कि सरकार द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में ही यह बात स्वीकार की गई है कि निजी क्षेत्र में 15000 नौकरियां कम हो गई हैं।
वित्त मंत्री ने 11 नए आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने की घोषणा की है लेकिन यह नहीं बताया कि पिछले साल जो मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की गई थी उनके विषय में अब तक क्या प्रगति हुई है। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति यह है की पीएम श्री कॉलेज और सीएम राइज स्कूल आज तक कांग्रेस सरकारों के जमाने में बनाए गए स्कूल और कॉलेज की इमारत में चल रहे हैं। वहां योग्य शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्ति तक नहीं की गई है।
कमलनाथ ने कहा कि वित्त मंत्री इस बात का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं कि सरकार ने कोई नया टैक्स जनता पर नहीं लगाया है। लेकिन सच्चाई यह है कि टैक्स लगाने का ज्यादातर मामला जीएसटी के अधीन जीएसटी काउंसिल के पास है और राज्य सरकार का उसमें कोई विशेष हस्तक्षेप नहीं है। इसी तरह प्रदेश में पहले ही पेट्रोल और डीजल पर अत्यधिक वैट लगता है, ऐसे में वहां टैक्स बढ़ाने की जगह घटाने के बारे में सोचा जाना चाहिए।
बजट से स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश पर बढ़ते कर्ज को कम करने की दिशा में सरकार की कोई सोच नहीं है। हालत यह है कि मध्य प्रदेश सरकार के बजट का जितना आकार है, तकरीबन उतना ही कर्ज प्रदेश सरकार के ऊपर चढ़ चुका है। प्रदेश के ऊपर 4 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज है। पिछली भाजपा सरकार की तरह वर्तमान सरकार भी कर्ज लेकर घी पीने की रणनीति पर काम कर रही है। कर्ज की यह रकम मध्यप्रदेश के किसान, नौजवान और महिलाओं के विकास पर नहीं बल्कि सरकारी तमाशेबाजी पर खर्च की जानी है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि बजट में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और सर्व समाज के लिए किसी बुनियादी विकास की घोषणा नहीं की गई है।
कमलनाथ ने कहा कि वर्तमान सरकार का बजट पूरी तरह से निराश करने वाला है और इसमें मध्य प्रदेश के नवनिर्माण का कोई रास्ता नजर नहीं आता।