दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के घर से बड़ी मात्रा में मिली नकद राशि

  
Last Updated:  March 21, 2025 " 07:18 pm"

आग लगने की सूचना मिलने पर पहुंचे फायर ब्रिगेड कर्मियों को एक कमरे में रखी मिली बेहिसाब धनराशि।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने मामले का लिया संज्ञान, संबंधित हाईकोर्ट जज का किया तबादला।

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवासीय बंगले में लगी आग बुझाने गए फायर ब्रिगेड के अमले की आंखे उससमय फटी रह गई जब न्यायाधीश के घर में भारी मात्रा में नकदी रखी पाई गई। इस घटना से न्यायिक महकमे में हलचल मच गई है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व वाले सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को तुरंत अन्य उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का निर्णय लेना पड़ा।

बताया जाता है कि जब आग लगी, तब जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली के बाहर थे। उनके परिजनों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना दी। आग नियंत्रण में आने के बाद बचावकर्मियों को एक कमरे में बेहिसाब मात्रा में नकदी मिली, जिसकी आधिकारिक प्रविष्टियाँ दर्ज कराई गईं।

स्थानीय पुलिसकर्मियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस बेहिसाब नकद राशि के बारे में सूचना दी। उच्च अधिकारियों ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति खन्ना को जस्टिस वर्मा के घर से मिली इस दौलत के बारे में सूचित किया।

CJI खन्ना ने इसे बहुत गंभीर विषय माना और आनन फानन में कॉलेजियम की बैठक बुलाई। दिल्ली हाईकोर्ट का जज कॉलेजियम इस बात पर एकमत था कि जस्टिस वर्मा को तुरंत स्थानांतरित किया जाना चाहिए। जस्टिस वर्मा को मूल इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया है। वे अक्टूबर 2021 में वहीं से दिल्ली हाईकोर्ट आए थे।

हालांकि, पांच न्यायाधीशों वाले कॉलेजियम के कुछ सदस्यों का मानना था कि यदि इतनी गंभीर घटना को स्थानांतरित कर दिया गया तो इससे न केवल न्यायपालिका की छवि धूमिल होगी, बल्कि संस्था के प्रति विश्वास भी कम होगा।

उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा जाना चाहिए और यदि वह इनकार करते हैं तो मुख्य न्यायाधीश द्वारा आंतरिक जांच शुरू की जानी चाहिए, जो संसद द्वारा उन्हें हटाने की दिशा में पहला कदम होगा। न्यायाधीशों के विरुद्ध भ्रष्टाचार, गलत कार्य या अनौचित्य के आरोपों से निपटने के लिए 1999 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तैयार की गई आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार, शिकायत प्राप्त होने पर मुख्य न्यायाधीश न्यायाधीश से जवाब मांगते हैं। यदि वे जवाब से संतुष्ट नहीं हैं या इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि मामले में गहन जांच की आवश्यकता है तो वे एक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और दो उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों वाली आंतरिक जांच समिति गठित कर सकते हैं।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *