औषधियों के जल से शुद्धता और थकान को मिटाने के लिए किया जाता है प्रभु वेंकटेश का शांति अभिषेक।
ध्वजा अवतरण के साथ सात दिवसीय श्री ब्रम्होत्सव एवं रथयात्रा महोत्सव का समापन।
इंदौर : पावन सिद्ध धाम श्रीलक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग में चल रहे सात दिवसीय श्री ब्रम्होत्सव एवं रथयात्रा महोत्सव का रथयात्रा के नगर भ्रमण के बाद शांति अभिषेक और ध्वजावतरण के साथ समापन हुआ।
दक्षिण भारत से पधारे श्रीमन्नारायण भटर स्वामियों के एक बड़े समुदाय के साथ ब्रम्होत्सव के सात दिवसीय समापन पर नागोरिया पीठाधीश्वर स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज ने अनेक सुगंधित पदार्थों व माखन, दूध, दही, शकर, घी, इत्र, केशर, फलों के रस से प्रभु वेंकटेश के दिव्य मंगल विग्रह का शांति अभिषेक किया।
उत्सव के सात दिनों में प्रभु को जो थकान हो जाती है उसे मिटाने के लिए प्रभु वेंकटेश, भगवती श्री देवी और भू देवी का शांति अभिषेक किया गया। इस दौरान उत्सव में कोई भूल या प्रभु को कोई कष्ट हुआ हो तो उसकी क्षमायाचना की गई।
इस अवसर पर प्रभु को हल्दी लगाकर वनमाला धारण कराई गई।श्री सूक्त, पुरुष सूक्त, वेंकटेश स्तोत्र, गुरु परंपरा के स्तोत्र का पाठ किया गया।
रजत पुष्प व तुलसी पुष्प से अर्चना की गई।
इसके पूर्व को देवस्थान से निकली रथयात्रा नगर में भ्रमण करते हुए रात्रि में 2. 30 बजे गोविंदा गोविंदा के कीर्तन ओर हनुमान चालीसा करते भक्तों के साथ देवस्थान पहुची। देवस्थान पहुचते ही जोरदार आतिशबाजी के साथ प्रभु का पुनः स्वागत किया गया। प्रभु की नजर उतारी गई। यज्ञ का समापन कर स्वर्ण खंभ पर उत्सव के प्रारंभ में चढ़ाए गए गरुड़ ध्वज को पूजन कर उतारा गया। इसके बाद ध्वज की परिक्रमा कर भगवान गरुड़ को विदा किया गया।