इंदौर : सीएम की कुर्सी ज्योतिरादित्य सिंधिया से छीनने के बाद कमलनाथ ने पीसीसी चीफ का पद भी उनकी झोली में नहीं जाने दिया। इसके चलते आजतक इस पद पर किसी अन्य नेता की भी ताजपोशी नहीं हो पाई है। हालांकि वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया के झाबुआ विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद एक बार फिर पीसीसी चीफ को लेकर सियासी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। दिग्विजय सिंह के बाद अब सीएम कमलनाथ के करीबी माने जाने वाले पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कांतिलाल भूरिया को पीसीसी चीफ बनाने की पैरवी की है।
भूरिया, बाला बच्चन से बड़े आदिवासी नेता।
पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने सोमवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि वे हमेशा से इस पक्ष में रहे हैं कि पीसीसी की कमान किसी आदिवासी नेता के हाथ में देनी चाहिए। कांग्रेस के 30 आदिवासी विधायक चुनकर आए हैं और सरकार बनवाने में उनका बड़ा योगदान है। इसीलिए पहले उन्होंने गृहमंत्री बाला बच्चन को पीसीसी चीफ बनाने का सुझाव दिया था। अब बदली हुई परिस्थितियों में कांतिलाल भूरिया को पीसीसी की कमान देनी चाहिए क्योंकि वे बाला बच्चन से बड़े आदिवासी नेता हैं।
सत्ता- संगठन में बना सकते हैं बेहतर तालमेल।
केबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के मुताबिक कांतिलाल भूरिया पहले भी पीसीसी चीफ रह चुके हैं। अगर उन्हें फिर से पीसीसी अध्यक्ष बनाया जाता है तो ये सत्ता और संगठन के हित में होगा। वे दोनों में बेहतर तालमेल बना सकेंगे। इसका लाभ ये होगा कि कमलनाथ सरकार न केवल 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा करेगी बल्कि अगले कार्यकाल की भी तैयारी कर सकेगी।
केबिनेट मंत्री श्री वर्मा के इस बयान के बाद कांग्रेस में पीसीसी चीफ को लेकर सियासी घमासान तेज हो सकता है। सिंधिया समर्थकों की इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है ये देखना अब दिलचस्प होगा।