*बंदूक लाइसेंस की फीस में 50 से 70 फीसदी तक बढ़ोतरी के कारण हजारो लाइसेंस और हतियार सरेंडर*
रोटी, कपड़ा और मकान भले ही ना हो, लेकिन कंधे पर बंदूक जरूर टंगी होनी चाहिए। चंबल में बंदूक हमेशा से ही शान की प्रतीक रही है, लेकिन अब यहां लोगों का बंदूक से मोह भंग हो रहा है। वजह है-लाइसेंस नवीनीकरण और नए लाइसेंस बनवाने की फीस में 50 से 70 फीसदी तक बढ़ोतरी। फीस बढ़ने के बाद से भिंड, मुरैना, रायसेन, सीहोर सहित प्रदेश के ज्यादातर जिलों के लोग बड़ी संख्या में लाइसेंसी हथियार सरेंडर कर रहे हैं। कई जिलों में तो नए लाइसेंस भी नहीं बने हैं।
प्रदेश में सबसे अधिक करीब 28 हजार लाइसेंसी हथियारों की संख्या वाले ग्वालियर में इस साल 250 लोगों ने लाइसेंस सरेंडर कर दिए, जबकि डेढ़ हजार ने लाइसेंस का नवीनीकरण ही नहीं कराया। यही स्थिति भिंड-मुरैना की है। भिंड में 60 लाइसेंसधारियों ने हथियार सरेंडर किए और 1400 ने लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया।
मुरैना जिले में लाइसेंस सरेंडर करने वालों की संख्या भले एक दर्जन के आसपास है, लेकिन यहां तकरीबन 3 हजार लाइसेंस का इस साल नवीनीकरण नहीं हुआ है। रायसेन जिले में 25 लाइसेंस धारियों ने हथियार सरेंडर कर दिए और करीब इतनी ही संख्या में लाइसेंसों का नवीनीकरण नहीं हुआ है।
सीहोर जिले में 20 लाइसेंस सरेंडर हुए हैं जबकि 250 लोगों ने अपने लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया है। कुछ ऐसा ही हाल विदिशा, भोपाल, होशंगाबाद और बैतूल सहित दूसरे जिलों का भी है।
*इस साल एक भी नया लाइसेंस नहीं*
ग्वाालियर में 28 हजार, भिंड में 23, 300 और मुरैना में 27 हजार बंदूक के लाइसेंस हैं। ये प्रदेश में सर्वाधिक लाइसेंसी हथियारों वाले जिले हैं। भिंड व मुरैना में हर साल औसतन 100 व ग्वालियर में करीब 350 हाथियारों के नए लाइसेंस बनते थे, लेकिन इस साल इन तीनों जिलों में एक भी नया लाइसेंस नहीं बना।