भक्ति से अलंकृत ज्ञान ही शोभायमान होता है
गीता भवन में चल रहे 67वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव में जगदगुरू वल्लभाचार्य के आशीर्वचन। इंद : अर्जुन भले ही कुरूक्षेत्र के मैदान में निमित्त रहा हो, गीता के संदेश मनुष्य मात्र के लिए कल्याणकारी हैं।भगवान के प्रति अनन्य भक्ति और शरणागति का भाव होना चाहिए। भगवान को अभूषणों या रत्न मंडित वस्त्रों से नहीं, बल्कि दीनता के भाव से ही प्रसन्नता मिलेगी। ज्ञान में अहंकार नहीं होना चाहिए। भक्ति से अलंकृत ज्ञान ही शोभायमान होता है। गीता को हम और पढ़े