बड़ी बहन भी भाई की भूमिका निभाने में पीछे नहीं रहती
कहते है नियति के फैसले को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए, पर मानव मन इतना समझदार कहाँ। ऊमा और रमा दोनों बहनें थी। हमारे यहाँ परिवारों में प्रायः पुत्र आगमन की विशेष इच्छा होती है। जब लड़कियाँ हुई तो परिवार और रिश्तेदारों को लड़के की कमी महसूस हुई। थोड़ी उदासी भी जाहिर हुई, पर भगवान के निर्णय भविष्य के धरातल पर सृजित होते है। नियति के निर्णय के साथ तो चलना ही था, समय के साथ-साथ ऊमा और रमा उच्च शिक्षा और पढ़े