बंगलुरु : (के.राजेन्द्र)चंद्रयान 2, एक ऐसा मिशन बन गया था जिससे केवल इसरो के वैज्ञानिक ही नहीं पूरा देश जुड़ गया था। भारतीयों के लिए यह मिशन गर्व की अनुभूति देने वाला जरिया बना हुआ था। वैज्ञानिकों की अथक मेहनत का ही परिणाम था कि चंद्रयान 2 ने अपना 98 फीसदी सफर कामयाबी के साथ पूरा किया। धरती से चांद की दूरी 3 लाख 84 हजार 400 किमी है। ये सही है कि हम लक्ष्य से महज दो कदम दूर रह गए पर मिशन सफल रहा। लेंडर विक्रम को चांद की सतह छूने के लिए सिर्फ 2.1 किमी दूरी तय करनी बाकी थी। तभी उससे संपर्क टूट गया। इतने नजदीक आकर हम चूक गए इसका मलाल उन तमाम वैज्ञानिकों को है जो बरसों से इस मिशन को अंजाम देने में जुटे थे। ठीक है कि हम चांद की सतह को नहीं छू पाए पर उसके इतने करीब पहुंच गए ये भी बहुत बड़ी उपलब्धि है।हमें ये याद रखना चाहिए कि इसरो का मिशन चंद्रयान 2, चांद के दक्षिणी हिस्से को छूने का था जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा। इजराइल ने भी इसी वर्ष अपना यान भेजा था जो 10 किमी पहले क्रैश हो गया था। राहत की बात ये है हमारा लेंडर विक्रम क्रैश नहीं हुआ है। संपर्क टूटा है, हौसला नहीं। उम्मीदें अभी जिंदा है। चांद से 100 किमी की दूरी पर स्थापित ऑर्बिटर से इसरो के वैज्ञानिकों का संपर्क उससे बना हुआ है। ऑर्बिटर के जरिये लगातार चांद की सतह की तस्वीरें व अन्य डाटा इसरो को मिल रहा है। एक से सात साल तक ऑर्बिटर सक्रिय रूप से काम करता रहेगा। लेंडर विक्रम से दुबारा संपर्क का माध्यम भी ऑर्बिटर बना हुआ है। वैज्ञानिक अबतक मिले डाटा का अध्ययन करने के साथ लेंडर विक्रम से जुड़ने का प्रयास भी जारी रखे हुए है। हो सकता है कि उनके प्रयास सफल हो जाएं और हम उस मुकाम पर पहुंच जाएं जो हमारा लक्ष्य था।
बड़े देशों को कई प्रयासों के बाद मिली थी सफलता।
जो लोग चंद्रयान 2 की कामयाबी पर सवाल उठा रहे हैं उन्हें यह जान लेना चाहिए कि दुनिया के बड़े देश जिन्हें हम सुपर पॉवर कहते हैं, को भी चांद पर पहुंचने के लिए कई प्रयास करने पड़े थे। अमेरिका, रूस और चीन के कई मिशन फेल हुए पर उन्होंने प्रयास जारी रखे। उसी का परिणाम रहा कि वे चांद को छू पाए। हमने तो अपने मिशन के लिए चंद्रमा के उस (दक्षिणी )हिस्से को चुना था जहां ये देश भी नहीं पहुंच पाए हैं। पहले प्रयास में ही हम चांद के इतने करीब पहुंच गए यही हमारे वैज्ञानिकों की बहुत बड़ी सफलता है। इस मिशन ने उस चंद्रमा को छूने, उसपर चहलकदमी करने के द्वार खोल दिये हैं जो हमारे संस्कारों, रीति- रिवाजों और पौराणिक गाथाओं का सदियों से हिस्सा रहा है। छोटे बच्चों का चंदामामा और नवयौवनाओं के लिए सुंदरता का पर्याय चांद अब हमारी पहुंच में है। बस उम्मीद बनाएं रखिये, हौसला कायम रखिये और हमारे वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते रहिये। हम शिखर जरूर छुएंगे इसमें कोई शक नहीं है।