कमलनाथ ने अपनी सरकार के पतन के लिए बीजेपी को ठहराया जिम्मेदार, राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा

  
Last Updated:  March 20, 2020 " 12:57 pm"

भोपाल : बीते दो सप्ताह से चल रहे सियासी ड्रामें का अंत सीएम कमलनाथ के इस्तीफे और कांग्रेस सरकार के पतन के साथ हुआ। गुरुवार को दो दिन की मैराथन बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 20 मार्च को मप्र विधानसभा का सत्र बुलाकर बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही ये लगने लगा था कि कमलनाथ फ्लोर टेस्ट के पहले राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं। देर रात 16 विधायकों के इस्तीफे स्पीकर एनपी प्रजापति द्वारा स्वीकार कर लिए जाने के बाद तो लगभग ये तय हो गया था कि फ्लोर टेस्ट की नौबत नहीं आएगी और हुआ भी वही। शुक्रवार दोपहर 12 बजे बुलाई गई प्रेस वार्ता में कमलनाथ ने अपनी सरकार के पतन के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराते हुए अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। हालांकि अपनी सरकार की 15 माह की उपलब्धियां गिनाने से वे नहीं चूके।

जनता के साथ किया विश्वासघात।

इस्तीफा देने से पहले मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि भाजपा कितनी भी साजिश रच ले, विकास के पथ पर हम सदैव अग्रसर रहेंगे, चुनौतियों का डटकर मुकाबला करेंगे, कर्तव्य के पथ पर ना हम रूकेंगे, ना डिगेंगे, ना झुकेंगे। प्रदेश की जनता का विश्वास हमारे साथ है। मैंने केन्द्रीय मंत्री रहते हुए भी निष्पक्ष भाव से प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार को हर संभव सहयोग प्रदान किया। विकास को लेकर कई योजनाएँ बनाई और उसमें सहयोग किया। प्रदेश की जनता इस सच्चाई को जानती है और भाजपा की इस साजिश का मुँह तोड़ जवाब देगी।

बीजेपी की साजिश उनके विश्वास को नहीं डिगा सकती।

कमल नाथ ने कहा कि भाजपा सोचती है कि वह मेरे प्रदेश को हराकर खुद जीत जाएगी पर ना ये मेरे प्रदेश को हरा सकते हैं और
ना मेरे हौसले को। भाजपा जितना षड़यंत्र मेरे प्रदेश के साथ करेगी उतना ही मेरा विश्वास दृढ़ होगा। कांग्रेस के सिद्धांतों और नीतियों पर चलते हुए प्रदेश के लोगों की बेहतरी और इसको अंतर्राष्ट्रीय पहचान देने के
लिए हम संकल्पित हैं। किसान, युवा, आदिवासी, अनुसूचित जातियों के साथ ही पूरा प्रदेश खुशहाल हो इसके लिए हम वचनबद्ध हैं। भाजपा के राजनीतिक षड़यंत्र उसके घिनौने हथकंडे मेरे विश्वास को डिगा नहीं सकते हैं। उनके यह प्रयास मुझे और दृढ़ता प्रदान करते हैं उनके खिलाफ पूरी ताकत से लड़ने के लिए।

बीजेपी उनके खिलाफ लगातार साजिश रचती रही।

निवर्तमान मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा क्या कसूर – मैं तो प्रदेश की तस्वीर बदलने चला था। मेरे 40 साल के राजनैतिक जीवन में मैंने हमेशा से विकास में विश्वास रखा है और भाजपा ने हमेशा विश्वासघात में। जब मैं केन्द्र में
यूपीए की सरकार में मंत्री था, हमेशा यही सोचता था कि प्रदेश का विकास कैसे करूँ? मुझे जनता ने प्रदेश की तस्वीर बदलने के लिए पाँच वर्ष दिए, भाजपा को जनता ने पूरे 15 वर्ष दिए। जनता ने उनके कार्यकाल की सच्चाई देखी है और मेरे 15 माह के कार्यकाल को भी देखा है। उन्होंने कहा कि 15 माह में प्रदेश का हर नागरिक गौरवान्वित हुआ है। भाजपा को प्रदेश हित में मेरे द्वारा किए जा रहे जनहितैषी कार्य रास नहीं आए इसलिए भय व बौखलाहट में वो मेरे खिलाफ निरंतर साजिश रचती रही।

महाराज और बीजेपी ने लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे 22 विधायकों को प्रलोभन देकर कर्नाटक में बंधक बनाने का काम किया गया, जिसकी सच्चाई देश की जनता ने प्रतिदिन देखी। किस प्रकार से करोड़ों रुपए खर्च कर प्रलोभन का खेल खेला गया। जनता द्वारा नकारे गए महत्वाकांक्षी, सत्तालोलुप “महाराज” और उनके द्वारा प्रोत्साहित 22 लोभियों (विधायकों) के साथ मिलकर भाजपा ने खेल रचकर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की। प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने वाले इन लोभियों व भोगियों को जनता कभी माफ नहीं करेगी।
बीजेपी ने जनता के साथ धोखा किया।

कमलनाथ ने कहा कि मैं चाहता था कि कांग्रेस महल में नहीं बल्कि महल कांग्रेस में आए ताकि जनता शक्तिशाली बने। हमने कई बार विधानसभा में अपना बहुमत साबित किया लेकिन भाजपा बार-बार अल्पमत की सरकार बताकर प्रदेश की जनता को गुमराह व भ्रमित करती रही।
मेरी सरकार को अस्थिर कर भाजपा ने प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के साथ विश्वासघात किया है। उसे यह भय सता रहा है कि यदि मैं प्रदेश की तस्वीर बदल दूँगा तो प्रदेश से भाजपा का नामोनिशान मिट जाएगा।

कमलनाथ ने अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि उन्हें जनादेश 5 साल के लिए मिला था। मेरी सरकार ने 15 माह में प्रथम चरण में 20 लाख किसानों की कर्ज माफी की। दूसरे चरण में साढ़े सात लाख किसानों की कर्ज माफी की प्रक्रिया चल रही है। एक जून से कर्ज माफी के तीसरे चरण में 2 लाख तक के किसानों के कर्ज माफ होने थे। हमने खेती को लाभ का धन्धा बनाकर , प्रदेश में कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्या कर रहे किसानों की आत्महत्याओं को रोका। हमने किसानों के हित में कई निर्णय लिए। भाजपा ने हमारी सरकार के साथ षड़यंत्र कर उन सभी किसान भाईयों के साथ धोखा व विश्वासघात करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि 15 माह में माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया। भाजपा नहीं चाहती है कि माफियाओं के खिलाफ कोई कार्यवाही हो, क्योंकि ये सारे माफिया भाजपा की 15 वर्ष की सरकार में ही पनपे है इसलिए उसने माफियाओं के साथ मिलकर मेरी सरकार को अस्थिर करने की साजिश रची और प्रदेश को भयमुक्त और सुरक्षित प्रदेश बनने से रोकने का काम किया। प्रदेश को मिलावट मुक्त प्रदेश बनाने के लिए शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाया। भाजपा नहीं चाहती कि प्रदेश की जनता को शुद्ध खाद्य पदार्थ मिले इसलिए उसने यह साजिश रच प्रदेश की जनता के साथ धोखा व विश्वासघात करने का काम किया है।

हमारे जनहितैषी कार्य बीजेपी को रास नहीं आए।

कमलनाथ ने कहा कि हमने युवाओं को रोजगार देने के लिए युवा स्वाभिमान योजना प्रारंभ की। भाजपा के शासनकाल में युवाओं की आत्महत्या में प्रदेश देश के शीर्ष राज्यों में शामिल रहा। हम प्रदेश पर लगे बेरोजगारी के दाग को धोने का काम निरंतर कर रहे थे, भाजपा को हमारा युवाओं को रोजगार देना रास नहीं आया। इसलिए भाजपा ने यह खेल खेला।
इंदिरा गृह ज्योति योजना के माध्यम से प्रदेश की जनता को 100 रुपए में 100 युनिट बिजली प्रदान की जिसका फायदा प्रदेश के करीब 1 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को मिल रहा है। भाजपा को जनता को सस्ती बिजली मिलना रास नहीं आया। हमने किसानों को आधी दर में बिजली प्रदान की, यह भी भाजपा को रास नहीं आया।
श्री नाथ ने कहा कि प्रदेश का नाम विश्व पटल पर पहुँचाने के लिए प्रदेश में कई आयोजन कर, प्रदेश की ख्याति को विश्वस्तरीय बनाने का काम कर रहे थे, प्रदेशवासी इसके गवाह है। यह भाजपा को रास नहीं आया।
हमने कन्या विवाह की राशि को 28 हजार से बढ़ाकर 51 हजार किया। भाजपा को यह रास नहीं आया। हमने सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि को 300 से बढ़ाकर 600 रुपए कर दिया। यह भाजपा को रास नहीं आया। हमने प्रदेश में सड़कों पर घूम रही निराश्रित गोमाता के संरक्षण के लिए एक हजार गौ-शालाएँ बनाने का निर्णय लिया, यह भाजपा को रास नहीं आया।
हमने राम वन पथ गमन पथ के निर्माण का संकल्प लिया, श्रीलंका में माता सीता का मंदिर बनाने का निर्णय लिया, यह भाजपा को रास नहीं आया। महाकाल मंदिर के व्यवस्था विस्तार को लेकर 300 करोड़ की योजना बनायी, हमने ओंकारेश्वर मंदिर के विकास को लेकर 146 करोड़ की योजना बनायी , यह भाजपा को रास नहीं आयी।
हमने पुजारियों का मानदेय तीन गुना बढ़ाया, यह भाजपा को रास नहीं आया। हमने आदिवासी भाईयों को साहूकारी ऋण से मुक्ति दिलाने का काम किया, मुख्यमंत्री मदद योजना के तहत शादी और मृत्यु होने पर सहायता का प्रावधान किया, आदिवासी इलाकों में 40 एकलव्य विद्यालय खोलने का निर्णय लिया, वनाधिकार के पट्टे दिलवाये तथा इस वर्ग के उत्थान व भलाई के लिए कई कार्य किए।

पूरे किए 400 वचन।

कमलनाथ ने दावा किया कि 15 माह में हमने वचन-पत्र के करीब 400 वचनों को पूरा किया। 21 हजार अधूरी घोषणाओं वाली भाजपा को हमारा वचनों को पूरा करना रास नहीं आया।
हमने पिछड़े वर्ग के आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया, जिससे इस वर्ग का उत्थान व विकास हो सके। हमने आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया। भाजपा को यह रास नहीं आया।
हमने भोपाल और इंदौर में मेट्रो का कार्य प्रारंभ किया, भाजपा को यह रास नहीं आया।
हमने प्रदेश में निरंतर निवेश लाने को लेकर कार्य किया। हमने निवेश को लेकर झूठे वादे व घोषणाएँ नहीं की। हमने निवेश को लेकर उद्योगपतियों से सीधे चर्चा कर, उनसे सुझाव माँग अपनी उद्योग नीति में परिवर्तन किया। प्रदेश के स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत रोजगार देना अनिवार्य किया। झूठी इनवेस्टर मीट व निवेश की झूठी घोषणाएँ करने वाली भाजपा को यह रास नहीं आया।
हमने प्रदेश पर लगे महिला अपराधों में देश में शीर्ष राज्य के दाग को धोने का काम किया। महिलाओं को सम्मान व सुरक्षा दी, भाजपा को यह रास नहीं आया।

15 माह में घोटाले का कोई आरोप नहीं लगा।

कमलनाथ के मुताबिक प्रदेश की जनता इस सच्चाई को जानती है कि मैंने इन 15 माह में दिन रात कार्य कर प्रदेश की प्रोफाइल बदलने का काम पूरी ईमानदारी से किया है। प्रदेश पर पिछले 15 वर्षों में लगे दागों को धोने का काम किया है। 15 माह में हमारे ऊपर किसी भी घोटाले या भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। प्रदेश की जनता ने यह महसूस किया कि सरकार क्या होती है, जनहितैषी कार्य क्या होते है। मेरे इन कामों की सच्चाई प्रदेश की जनता जानती है और मुझे जनता के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है भाजपा के प्रमाण पत्र की नहीं।

अपने घोटाले उजागर होने के डर से बीजेपी ने उनकी सरकार गिराई।

भाजपा के नेताओं को यह डर था कि उनके पिछले पन्द्रह साल के घोटाले और कारनामों के खुलासा होने का समय आ गया है। ई-टेंडर घोटाला, बुन्देलखंड पैकेज घोटाला, माध्यम घोटाला, व्यापम घोटाला, नर्मदा पौध रोपण और सिंहस्थ घोटालों आदि के साथ ही भू-माफिया, मिलावटखोरों के खिलाफ जो अभियान हमने चलाया उससे वो सभी लोग घबरा गए जिन्होंने इस प्रदेश को लूटा। इन आपराधिक तत्वों और भ्रष्टाचारियों द्वारा कमाए गए धन का उपयोग कर भाजपा ने मेरी सरकार को गिराने का षड़यंत्र किया और उसमें वो सफल हो गई।
बहरहाल, निवर्तमान सीएम कमलनाथ ने सत्ता से बेदखल होने का सारा ठीकरा बीजेपी के माथे पर फोड़कर जनता की सहानुभूति बटोरने की कोशिश की।लेकिन सच्चाई ये भी है कि उनका अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ता और विधायकों के साथ संवाद नहीं के बराबर था। तमाम कार्यकर्ताओं, नेताओं और विधायकों में असंतोष उबाले मार रहा था पर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने उनकी सुध नहीं ली। सिंधिया को हाशिये पर धकेलने में ही उनकी सारी ऊर्जा लगी रही। यही कारण रहा कि सिंधिया ने समर्थक विधायकों के साथ अलग राह पकड़ ली। समय रहते कमलनाथ सबको साधकर चलते तो उन्हें ये दिन नहीं देखना पड़ता।

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