बदलाव ही सफलता की कुंजी है।
लोग क्या कहेंगे पर ध्यान देने की बजाय अपने काम पर फोकस करें।
अनुभव के साथ बढ़ती है लीडरशिप स्किल।
मेहनत का नहीं है कोई विकल्प।
केवल पुरुषों के लिए नहीं है विज्ञापन का क्षेत्र।
आईएमए के तीसरे वूमेन लीडरशिप कॉन्क्लेव में कॉरपोरेट और अन्य क्षेत्रों की दिग्गज महिला लीडर्स ने रखे इस आशय के विचार।
इंदौर : बदलते वक्त के साथ लगभग हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है। जिन क्षेत्रों में कभी पुरुषों का एकाधिकार माना जाता था, उनमें भी महिलाएं तेजी से अपनी पैठ बढ़ा रही है। यहां तक कि कॉरपोरेट जगत में भी महिलाएं बड़ी कंपनियों में उच्च पदों को सुशोभित कर रही हैं। उद्योगों का संचालन करते हुए कामयाबी के झंडे गाड़ने में भी वे पीछे नहीं हैं। ये साबित करता है कि बौद्धिक क्षमता, समझ और निर्णय लेने में महिलाएं, पुरुषों से कमतर नहीं हैं। महिलाओं की इसी क्षमता और काबिलियत को प्रोत्साहित करने के लिए आईएमए याने इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन प्रतिवर्ष वूमेन लीडरशिप कॉन्क्लेव का आयोजन करता है। इसी कड़ी में तीसरे वूमेन लीडरशिप कॉन्क्लेव का एक दिवसीय आयोजन हाल ही में ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में किया गया। आईएमए की सचिव चानी त्रिवेदी, इशानी माहेश्वरी और उनकी टीम ने अथक परिश्रम कर इस कॉन्क्लेव को सफल बनाया। कॉन्क्लेव की थीम स्टीरिंग द वर्ल्ड टुगेदर रखी गई थी।
चानी त्रिवेदी ने बताया कि कॉन्क्लेव में देश के विभिन्न हिस्सों से आई करीब 12 वूमेन लीडर्स ने अपनी कामयाबी के सफर को प्रतिभागी महिला उद्यमियों और प्रोफेशनल्स के साथ साझा करते हुए उनकी जिज्ञासाओं को भी शांत किया। सुबह से शाम तक चलें विभिन्न सत्रों में मेहमान सेलिब्रिटीज ने रोचक ढंग से अपने विचार रखे। कॉन्क्लेव में पर्यावरण सहित समसामयिक चुनौतियों का भी जिक्र करते हुए उनसे निपटने के उपाय अपनाने पर जोर दिया गया।
बदलाव ही सफलता की कुंजी है।
कॉन्क्लेव में बिजनेस लीडर संगीता तलवार ने अपनी बात रखते हुए अच्छे टीम लीडर के गुण बताए। उन्होंने कहा कि एक बिजनेस लीडर हमेशा नए प्रयोग करता रहता है। वह सदैव नवाचार की जुगत में लगा रहता है क्योंकि बदलाव ही सफलता की कुंजी हैं।
लोग क्या कहेंगे, इस पर ध्यान देने की बजाय अपने लक्ष्य पर फोकस करें।
दिल्ली से आई एक बड़ी कंपनी की एचआर और कहानीकार व कवयित्री कैनाश्री ने अपने अनुभव खुलकर साझा किए। उन्होंने महिलाओं से कहा कि लोग क्या कहेंगे इसपर ध्यान देने की बजाय जो वे करना चाहती हैं उसपर फोकस करें और लक्ष्य की ओर आगे बढ़ें। उन्होंने अपनी लिखी कविताएं भी पेश करते हुए महिलाओं की प्रगति में बाधक समाजिक विसंगतियों पर प्रहार किए।
मेहनत का कोई विकल्प नहीं ।
बिजनेस सलाहकार नीना चतरथ ने कॉन्क्लेव में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि आगे बढ़ने में माता – पिता का सपोर्ट और सकारात्मक सोच मेरी ताकत बनें। उन्होंने कहा कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। अपनी क्षमताओं को पहचाने, खुद का आकलन करें और सकारात्मक सोच के साथ चुनौतियों का सामना करें, सफलता जरूर मिलेगी।
लीडरशिप जन्मजात नहीं होती।
एक निजी कंपनी की चेयरपर्सन ज्योति नारंग ने कहा कि लीडरशिप स्किल विरासत में नहीं मिलती, इसे समय के साथ कठिनाइयों से जूझते हुए विकसित करना पड़ता है। मुश्किलों को अवसर के रूप में देखें और अपनी आंतरिक ताकत को पहचानते हुए आगे बढ़ें, सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने अच्छी लीडरशिप के लिए बेहतर कम्युनिकेशन स्किल और टीम वर्क को जरूरी बताया।
अनुभव के साथ बढ़ती है लीडरशिप स्किल।
मार्केटिग एक्जीक्यूटिव ईशा नागर ने कॉन्क्लेव में अपने विचार रखते हुए बताया कि लीडरशिप स्किल उम्र या वर्ग की मोहताज नहीं होती, यह सतत काम करते हुए अनुभव के साथ आती है। बेहतर लीडरशिप के साथ टीम वर्क के सहारे लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
केवल पुरुषों के लिए नहीं है विज्ञापन की दुनिया।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सह निदेशक प्रीता सिंह ने कहा कि विज्ञापन की दुनिया केवल पुरुषों के लिए नहीं है। इसमें रचनात्मक सोच और मेहनत की दरकार होती है। कई ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने इस क्षेत्र में भी अपनी क्रिएटिविटी के जरिए पुरुषों के वर्चस्व को तोड़ा है।
खुद के लिए जीना सीखें।
लेखिका पूजा पुनीत का कहना था कि महिलाएं बहुमुखी प्रतिभा की धनी होती हैं। वे घर – परिवार और अपने दफ्तर के काम में सामंजस्य बिठाते हुए बच्चों का भी ध्यान रखती है। उन्होंने कहा कि हमें आत्म स्वीकृति को अहमियत देते हुए खुद के लिए जीना भी सीखना चाहिए।
सभी ऐसा कर सकते हैं तो मै क्यों नहीं।
ख्यात साइकिलिस्ट रेणु सिंघी ने कॉन्क्लेव में अपने विचार रखते हुए कहा कि उनका मूल मंत्र है ‘अगर सभी ऐसा कर सकते हैं तो मै क्यों नहीं’ उन्होंने कहा कि साइकिलिंग में चुनौतियों का सामना करने से उन्हें मानसिक रूप से मजबूती मिली। साइकिलिंग केवल खेल नहीं आत्मविश्वास का भी प्रतीक है।
खाना बनाना केवल कला नहीं प्यार और देखभाल का भी तरीका।
प्रसिद्ध शेफ पंकज भदौरिया ने कॉन्क्लेव में अपनी बात रखते हुए कहा कि खाना बनाना केवल कला नहीं है, यह प्यार और देखभाल का तरीका है। उन्होंने कहा कि स्वादिष्ट खाना बनाने की कला धीरे – धीरे विकसित होती है इसके लिए लगातार मेहनत और नवाचार की जरूरत होती है।
कठिनाइयों के बावजूद अपने सपने को पूरा करने का प्रयास करें।
स्टैंडअप कॉमेडियन आंचल अग्रवाल ने लीडरशिप कॉन्क्लेव में कहा कि कठिनाइयों के बावजूद हम अपने सपने को पूरा करने का प्रयास करते रहें तो एक दिन सफल जरूर होंगे। उन्होंने कहा कि जीवन में ट्रैवल और कॉमेडी का अहम स्थान है। इससे तनाव और परेशानियों से निजात मिलती है।
कॉन्क्लेव में इंदौर व आसपास के शहरों से आई करीब साढ़े तीन सौ महिला उद्यमी और उच्च पदों पर कार्यरत महिला प्रोफेशनल्स ने हिस्सा लिया। मेहमान स्पीकर्स ने प्रतिभागी महिलाओं के सवालों के जवाब भी दिए।