चिकित्सकों के सांस्कृतिक समूह ‘ स्पंदन’ ने किया था स्व. डॉ. अनुराग श्रीवास्तव की याद को समर्पित इस कार्यक्रम का आयोजन।
इंदौर : गीत – संगीत में रुचि रखने वाले डॉक्टरों के समूह स्पंदन के बैनर तले सुरीले गीतों से सजा कार्यक्रम रवींद्र नाट्यगृह में आयोजित किया गया। समूह से जुड़े दिवंगत नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग श्रीवास्तव की याद को समर्पित इस महफिल को ‘अनंत अनुराग’ नाम दिया गया था। उनके परिवार के तमाम सदस्य भी इस दौरान मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत स्व.डॉ.अनुराग श्रीवास्तव के पसंदीदा गीत ‘ किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार ‘ से की गई। इसे सभी गायक कलाकारों ने समवेत स्वर में गाकर डॉ. अनुराग को स्वरांजलि अर्पित की। इसके बाद तो एक से बढ़कर एक सुरीले गीतों का सिलसिला सा चल पड़ा। बाहर मेघ अपनी तान छेड़े हुए थे तो हॉल के अंदर चिकित्सक अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय देते हुए सुमधुर गीतों की बौछारों से श्रोताओं के अंतर्मन को भिगो रहे थे। हर तरफ अब यही अफसाने हैं, नजर न लग जाए, जब से तेरे नैना, निगाहें मिलाने को जी चाहता है, आंखों आंखों में बात होने दो, परदेसियों से ना अखियां मिलाना, आंखों की गुस्ताखियां, तेरे चेहरे से नजर नहीं हटती जैसे कई एकल व युगल गीत शिद्दत के साथ प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का समापन जिंदगी के फलसफे को इंगित करते गीत जीना यहां, मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां से हुआ।
जिन चिकित्सक कलाकारों ने इस कार्यक्रम में प्रस्तुत गीतों को अपनी आवाज दी उनमें डॉ. मनोज भटनागर, डॉ. संजय लौंढे,डॉ. प्रमोद नीमा, डॉ. हेमंत मंडोवरा, डॉ. अमित वर्मा, डॉ. अतुल भट्ट, डॉ. सेलेस्की वर्मा, डॉ. पिनाक भटनागर, डॉ. निकिता भटनागर और डॉ. रुचि शाह।संगीत संयोजन कपिल राठौर व अभिजीत गौड का था। संगत कलाकार थे राज बिजोरे, हिमांशु वर्मा, ऋषि शर्मा और आदित्य पांडे। कार्यक्रम का रोचक संचालन डॉ. संजय लौंढे ने किया। बड़ी संख्या में उपस्थित डॉक्टरों के परिजन व सुधि श्रोताओं ने सुरमई गीतों से सजे इस कार्यक्रम का भरपूर लुत्फ उठाया।